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करनाल में हाईकोर्ट के आदेश पर किराएदार को सौंपी बिना छत वाले मकान की चाबी

करनाल में लंबे समय से विवाद में चल रहे सेक्टर 14 के एक मकान की भले ही अब छत नहीं है लेकिन उसके मुख्य गेट पर प्रशासन ने ताला लगाकर चाबियां किराएदार को सौंप दी हैं।

By Manoj KumarEdited By: Published: Thu, 30 Jul 2020 08:00 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jul 2020 08:00 PM (IST)
करनाल में हाईकोर्ट के आदेश पर किराएदार को सौंपी बिना छत वाले मकान की चाबी
करनाल में हाईकोर्ट के आदेश पर किराएदार को सौंपी बिना छत वाले मकान की चाबी

करनाल, जेएनएन। करनाल में लंबे समय से विवाद में चल रहे सेक्टर 14 के एक मकान की भले ही अब छत नहीं है लेकिन उसके मुख्य गेट पर प्रशासन ने ताला लगाकर चाबियां किराएदार को सौंप दी हैं। पंजाब एवं हरियाणा हाइकोर्ट के सख्त आदेशों के चलते प्रशासन ने यह कार्रवाई वीरवार को बारिश के बीच ही की, जिसके लिए डयूटी मजिस्ट्रेट के तौर पर एसडीएम नरेंद्रपाल मलिक भारी पुलिस बल के साथ पहुंचे। वहीं मकान मालिक ने प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए और कानून के अनुसार आदेशों को चुनौती देने का दावा किया है।

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सेक्टर 14 का मकान नंबर 325 पिछले दिनों उस समय सुर्खियों में आ गया था, जब मकान मालिक बिमला देवी एवं बिशंबरदास और इसमें रह रही किराएदार हरजिंद्र कौर आमने-सामने आ गए थे। दोनों में अनबन के चलते मकान पर कब्जे को लेकर मामला अदालत में पहुंचा, जहां बुजुर्ग दंपती ने मकान खाली करने की गुहार लगाई। कई सामाजिक संस्थाएं भी उनके पक्ष में आ गई थीं और धरने शुरू हो गए। लॉकडाउन के दौरान प्रशासन ने बुजुर्ग दंपती को मकान पर कब्जा दिला दिया था जबकि किराएदार हरजिंद्र कौर को बाहर कर दिया था।

विरोध में हरजिंद्र ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाइकोर्ट ने मामले में सुनवाई करते हुए प्रशासन को किराएदार को एक अगस्त तक मकान में बैठाने के आदेश दिए थे। इन आदेश के बाद प्रशासन ने वीरवार को कार्रवाई करते हुए किराएदार हरजिंद्र कौर को कब्जा दिलाया। इस मौके पर जहां दोनों पक्षों के वकील मौजूद रहे तो आसपास के लोग भी बड़ी संख्या में जमा रहे।

अब मकान नहीं, महज चारदीवारी

बता दें कि जिस मकान का विवाद हाइकोर्ट तक पहुंचा, अब वहां मकान है ही नहीं। जब प्रशासन कोर्ट के आदेशानुसार किराएदार को कब्जा दिलाने पहुंचा तो वहां महज दीवारें ही खड़ी थीं जबकि पूरे मकान से लेंटर तोड़ा जा चुका था। हालांकि प्रशासन ने मुख्य गेट पर ताला लगाते हुए चाबियां किराएदार को सौंप दी लेकिन मकान की जगह प्लाट मिलने पर अधिकारी कुछ भी कहने से बचते रहे। बिशंबरदास का कहना है कि उन्होंने यह मकान अपने प्लाट में 1970 में बनाया था। पुराना होने के चलते इसमें पानी लीकेज होने लगी थी, जिसके चलते इसे तुड़वा दिया गया।

मकान के थे आदेश, प्लाट के नहीं : बिशंबरदास

बिशंबरदास व उनकी पत्नी बिमला देवी का कहना है कि यह प्लाट व मकान उनका है। मकान पर कब्जा दिलाने के आदेश दिए गए हैं जबकि अब यहां मकान है ही नहीं। प्रशासन ने इन आदेशों से परे जाकर प्लाट पर किराएदार को कब्जा दिला दिया, जो पूरी तरह गलत है। वे हाइकोर्ट के आदेशों व प्रशासन की कार्रवाई को कानून के अनुसार चुनौती देंगे। उन्हें न्यायालय पर पूरा विश्वास है।

एसडीएम बोले-अदालत के आदेशों की पालना

एसडीएम नरेंद्र पाल मलिक ने किराएदार को कब्जा दिलाते हुए कागजी प्रक्रिया मौके पर ही पूरी कराई। उन्होंने कहा कि प्रशासन ने हाइकोर्ट के आदेशों की ही पालना की है, जो प्रशासन के लिए अहम है।

डीसी की परिपक्वता पर उठे थे सवाल

बता दें कि इस चर्चित प्रकरण के तहत हाइकोर्ट ने मकान पर कब्जे को लेकर न केवल डीसी के आदेशों को पलटा बल्कि उनकी परिपक्वता पर भी कमेंट किया था। अदालत के आदेशों और डीसी की कार्रवाई पर दी गई टिप्पणी से यह मामला और भी चर्चा में आ गया है।

वकील बोले-प्रशासन ने मकान गिराने का दिया मौका

किराएदार हरङ्क्षजद्र कौर पक्ष के वकील विनय बंसल का कहना है कि जिला प्रशासन ने किराएदार को मकान से बाहर करने का फैसला गलत दिया था, जिसे हाईकोर्ट ने पलट दिया तो उन्हें कब्जा दिलाने के आदेश भी दिए। प्रशासन ने सब कुछ जानते हुए मकान गिराए जाने का मौका दिया, लेकिन अदालत को पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा।


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