दो दिन बाद 256 वां शौर्य दिवस, काला आंब वीरान
जागरण संवाददाता, पानीपत 1761 में मराठा सैनिकों की वीरता का गवाह बना ऐतिहासिक स्थल काला
जागरण संवाददाता, पानीपत
1761 में मराठा सैनिकों की वीरता का गवाह बना ऐतिहासिक स्थल काला अंब अव्यवस्थाओं के चलते वीरान है। इसी स्थल पर मात्र दो दिन बाद 14 जनवरी को मराठा जागृति मंच व रोड मराठा एकता संघ के सदस्य संयुक्त रूप से शौर्य दिवस मनाएंगे। पुरातत्व विभाग ने इस स्थल की साफ-सफाई और सौंदर्यकरण की सुध नहीं ली है। शौर्य दिवस पर वीवीआइपी व वीआइपी इस स्थल पर पहुंचते रहे हैं।
इतिहास में दर्ज गाथा के मुताबिक पानीपत में हुए तीसरे युद्ध में मराठों की वीरता को विश्व में बड़ी पहचान मिली थी। मराठा महाराजा महाराष्ट्र से मुगलों को हराते हुए पानीपत तक पहुंचे। हालांकि, मराठा सेना अहमदशाह अब्दाली की सेना से हार गई थी। इतिहास बताता है कि मराठा सैनिकों ने स्वाभिमान की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। काला अम्ब इस वीरता का गवाह बना। शौर्य दिवस पर मराठा अपने पितरों को जल तर्पण करते हैं। प्रसाद का वितरण किया जाता है।
मंगलवार को ऐतिहासिक स्थल पहुंचे पर्यटकों ने काला अंब स्थल पर अव्यवस्था देखकर, पुरातत्व विभाग को कोसा। पर्यटकों का कहना था कि विभाग को मराठाओं की वीरता और शहादत के सम्मान की चिंता नहीं है।
गोरखपुर निवासी हरिकेश ने बताया कि काला अंम्ब को देखने की बहुत इच्छा थी। यहां आए तो वीरानी से सामना हुआ। ऐतिहासिक स्थल में फल-फूल के पौधे लगना चाहिए। इससे पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
पटना बिहार निवासी राजू व रमाकांत ने कहा कि मराठा सैनिकों की वीरता के गवाह इस स्थल पर पत्थरों के अलावा कुछ नहीं है। हरियाली गायब है। झील में गंदा पानी है। सरकार को इसकी सुध लेनी चाहिए।
पानीपत निवासी मुकेश व सफीदों निवासी दीपक ने बताया कि इस स्थल से बेहतर तो ताऊ देवीलाल पार्क का रखरखाव है। शौचालय व पेयजल की सुविधा नहीं है। आवारा पशु परिसर में घूस आते हैं।
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आयोजक कमेटी का अभी मेरे पास कोई पत्र नहीं आया है। फिलहाल मैं अवकाश पर भी हूं। कार्यक्रम से पूर्व व्यवस्था में सुधार होगा।
प्रवीन कुमार, सीए-पुरातत्व विभाग
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अभी हमारे पास समय है। शौर्य दिवस के दिन स्थल के अंदर पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था की जाएगी। बाहर अस्थायी शौचालय बनेंगे।
श्यामलाल, आयोजक कमेटी के सदस्य