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40 साल पहले सात गेटों में बसा था कैथल, व्यापार में अनाज मंडी का था अहम योगदान

हरियाणा के कैथल को छोटी काशी भी कहा जाता है। जिला बनने से पहले कैथल में सात गेट हुआ करते थे। ये शहर के चारों दिशाओं में बना हुआ था। यहां के व्‍यापार में अनाज मंडी का विशेष योगदान था। रेलवे स्‍टेशन भी अंग्रेजों के समय का है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 25 Oct 2021 09:42 AM (IST)Updated: Mon, 25 Oct 2021 09:42 AM (IST)
कैथल में सात गेट इसकी पहचान थे।

कैथल, जागरण संवाददाता। करीब 40 साल पहले कैथल एक तहसाील होती थी, जो कुरुक्षेत्र जिले में आती थी। इस दौरान इस तहसील के तहत कुल 700 गांव आते थे। जिला बनने के बाद कैथल तहसील का रकबा घट गया। उस समय शहर सात गेटों में बसा था। जो शहर की चारों दिशाओं में स्थापित थे। इन गेटों में महज तीन गेटों भी जर्जर व्यवस्था में दिखाई देते हैं। उस समय इन सात गेटों के अंदर ही शहर बसा था।

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वरिष्ठ साहित्यकार कमलेश शर्मा ने बताया कि उस समय कैथल ने इतनी तरक्की नहीं की थी, लेकिन शहर में होने वाले व्यापार में अनाज मंडी का अहम योगदान था। उस समय मंडियों में कार्य करने वाले चाैकीदार भी रात के समय में लालटेन लेकर कार्य करते थे। शर्मा ने बताया कि जवाहर पार्क भी करीब 50 साल पुराना है। इसमें स्थित विद्क्यार झील 100 साल से अधिक पुराना है। पानी की कमी में चलते लोग यहां नहाने के लिए आया करते थे। परंतु जैसे-जैसे समय बदला तो इसका महत्व कम हो गया।

यह गेट थे स्थापित 

शहर में चंदाना गेट, प्रताप गेट, डोगरा गेट, सीवन गेट, माता गेट, कोठी गेट व क्योड़क गेट स्थापित थे। कैथल के जिला बनने के बाद शिक्षण क्षेत्र में इसका रूतबा बढ़ा। हालांकि उस समय आरकेएसडी शिक्षण संस्थान तो था। इसके अलावा हिंदू वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल, जाट स्कूल और कमेटी चौक स्थित राजकीय स्कूल थे।

कैथल की अनाज मंडी में दूर-दराज से पहुंचते थे मजदूर 

कमलेश शर्मा ने बताया कि शुरूआत से ही कैथल का व्यापार में काफी योगदान था। यहां स्थापित मंडियां काफी प्रसिद्ध थी। यहां हार्थ से ढुलाई होने के कारण दूर-दराज से मजदूर काम करने के लिए पहुंचते थे।

पहले नरवाना से अंबाला तक जाती थी ट्रेन 

रेल यात्री कल्याण समिति के चेयरमैन सतपाल गुप्ता ने बताया कि शहर में स्थित रेलवे स्टेशन भी अंग्रेजों के समय का है। इसका निर्माण वर्ष 1890 में हुआ था। वर्तमान में कैथल रेलवे पिछड़ा है। परंतु उस समय ट्रेन नरवाना से अंबाला वाया कैथल होकर जाती थी। जिले के गठन के बाद इस ट्रेन का संचालन कुरुक्षेत्र से नरवाना तक कर दिया गया। कैथल के जिला बनने के बाद यहां पर केवल दो नई ट्रेनें ही चलाई गई। जिसमें दिल्ली-कुरुक्षेत्र और जयपुर-दौलतपुर इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन ही चलाई गई।


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