जींद की बीबीएस छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म मामले में छह बरी
बीबीए छात्रा से दुष्कर्म मामले में छह आरोपितों को बरी कर दिया गया है। हालांकि मामले का मुख्य आरोपी अभी भगोड़ा है। उस पर अभी मुकदमा चलता रहेगा।
जेएनएन, पानीपत। जींद निवासी बीबीए की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म के बहुचर्चित मामले में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश शशिबाला चौहान ने छह आरोपितों को बरी कर दिया है। हालांकि मामले का मुख्य आरोपी नीरज अभी भगोड़ा है। उस पर अभी मुकदमा चलता रहेगा। फैसला सुनाने के दौरान दोनों पक्षों के 50 से ज्यादा लोग कोर्ट परिसर में जमा थे। सुरक्षा-व्यवस्था के मद्देनजर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
मामला 2014 का है। बीबीए की छात्रा ने जींद थाने में शिकायत देते हुए बताया कि 20 जनवरी 2014 को उसके पास जींद के गांव जयपुर गदड़ी के नीरज पुत्र जगदीश का फोन आया। उसने कोचिंग देने की बात कही। इसके बाद वह पानीपत के बस स्टैंड पहुंची तो नीरज वहां खड़ा मिला और रिट्ज कार में बैठाकर समालखा के होटल ब्लूजे ले गया।
युवती ने बताया था कि युवक ने कोल्ड ड्रिंक में नशीला पदार्थ पिलाकर उससे दुष्कर्म किया। इस दौरान उसने उसकी अश्लील वीडियो क्लिप भी बनाई। जब वह होश में आई तो युवक ने उसे जान से मारने की धमकी दी। मई 2014 में ब्लैकमेल करते हुए युवक ने उसे फिर से पानीपत बस स्टैंड बुलाया, वहां नीरज के साथ जयवीर निवासी सफीदो, शहजाद निवासी उत्तर प्रदेश भी थे।
अनजान स्थान पर ले जाकर तीनों ने उससे सामूहिक दुष्कर्म किया। मई 2015 में नीरज ने आशीष निवासी जसराना, जिला सोनीपत और संदीप निवासी जलालपुर कलां जींद से मिलवाया। सभी ने पहले दुष्कर्म किया, अश्लील क्लिप बनाई और ब्लैकमेल करते हुए 10 लाख रुपये की मांग की। इसके बाद 26 अगस्त 2015 को फिर से सात लाख रुपये मांगे।
इस पूरे कृत्य में जिला भिवानी निवासी एक महिला की संलिप्तता भी रही। जींद पुलिस ने जीरो एफआइआर दर्ज कर, केस को पानीपत सिटी थाना ट्रांसफर कर दिया था। पानीपत पुलिस ने महिला सहित आठ के खिलाफ के खिलाफ धारा 376डी, 328, 342, 506 आइपीसी में मुकदमा दर्ज किया था। छह आरोपितों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जयवीर पकड़ में नहीं आ सका। कोर्ट ने छह लोगों को बरी कर दिया। कोर्ट से भगोड़ा नीरज पर मुकदमा चलता रहेगा।
इसलिए हुए बरी
- घटना के कई माह बाद मुकदमा दर्ज कराया गया।
- छात्रा ने 164 के बयान में अपना मोबाइल नंबर गलत बताया।
- उस नंबर को मां-बेटा इस्तेमाल करते थे, वह छात्र को जानते तक नहीं।
- उस महिला को पुलिस ने गवाह नहीं बनाया।
- पुलिस और पीड़िता वीडियो क्लिप पेश नहीं कर सकी।
- स्काईलार्क में कमरा बुक कराते समय दोनों बार छात्र की आइडी लगी थी।
- दूसरी बार एक अन्य लड़की पीड़िता के साथ थी।
- होटल ब्लूजे का रूम नंबर सही नहीं बता सकी पीड़िता।
- स्काईलार्क और ब्लूजे के सीसीटीवी कैमरों में कुछ नहीं मिला।
फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे
छात्रा के वकील जितेंद्र कुंडू का कहना है कि केस में सही ढंग से जांच नहीं की गई है। सुबूत और गवाह होने के बावजूद जुटाए नहीं गए। कुछ सुबूत जुटाए, लेकिन कोर्ट में पेश नहीं किए। फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट जाएंगे।
बरी हुए लोगों की ओर से चार वकील
एडीजे कोर्ट से बरी हुए लोगों की ओर से चार वकीलों एडवोकेट केसी शर्मा, राज सिंह रावल, डीएन भार्गव तथा जींद निवासी एक अन्य वकील ने पैरवी की। उधर, मुकदमा दर्ज कराने वाली छात्र की ओर से भी एडवोकेट जितेंद्र कुण्डू सहित तीन वकीलों ने पैरवी की।
जांच अधिकारी हुई थी सस्पेंड
पुलिस को 90 दिनों के अंदर कोर्ट में चालान पेश करना होता है। जांच अधिकारी एएसआइ विनीत ने 90 दिनों के बाद चलान पेश किया। इस पर कोर्ट ने जांच अधिकारी को सस्पेंड करने के आदेश एसपी को दिए थे।
केस पर बन रही है फिल्म
छात्रा से दिसंबर 2015 में शादी करने वाले वकालत की पढ़ाई कर रहे युवक ने बताया कि बीबीए के बाद छात्रा ने वकालत की डिग्री ली थी। एक बच्चा भी है। युवक ने दावा किया कि पूरे प्रकरण पर एक लघु फिल्म भी बनाई जा रही है, जिसमें छात्रा को न्याय के लिए संघर्ष करते दिखाया जाएगा।
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