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जिस खेल का नाम नहीं पता, उसका खिलाड़ी बन जीते मेडल Panipat News

अंबाला कैंट के प्रगति विहार निवासी 18 वर्षीय जतिंद्र चावला जिम्नास्टिक खिलाड़ी हैं। उन्होंने नेशनल लेवल पर कई मेडल जीते हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 03:54 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 03:54 PM (IST)
जिस खेल का नाम नहीं पता, उसका खिलाड़ी बन जीते मेडल Panipat News
जिस खेल का नाम नहीं पता, उसका खिलाड़ी बन जीते मेडल Panipat News

पानीपत/यमुनानगर, [राजेश कुमार]। अंबाला कैंट के प्रगति विहार निवासी 18 वर्षीय जतिंद्र चावला जब सातवीं कक्षा में थे, तब स्कूल की छुट्टी के बाद घर लौट रहे थे। स्कूल के साथ ही खेल का ग्राउंड है। ग्राउंड में उन्होंने खिलाडिय़ों को उल्टे-सीधे जंप करते देखा। शाम को वे ग्राउंड में अपने पिता संजय चावला को लेकर गए। जहां पर पिता ने उन्हें बताया कि इस खेल का नाम जिम्नास्टिक है। यहां से जतिंद्र ने जिम्नास्टिक खेलने की ठानी। वे इसकी तैयारी करने लगे।

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 इसी का नतीजा है कि अब तक छह बार नेशनल खेलों में खेल चुके हैं, जिसमें उन्हें एक बार गोल्ड मेडल, दो बार सिल्वर व तीन बार कांस्य पदक जीता। जतिंद्र बृहस्पतिवार को जगाधरी के तेजली खेल परिसर में खेल एवं युवा कार्यक्रम विभाग की ओर से आयोजित तीन दिवसीय राज्यस्तरीय अंतर केंद्र जिम्नास्टिक प्रतियोगिता में खेलने आए हुए थे।

अब अंतरराष्ट्रीय खेलों की तैयारी

जतिंद्र चावला ने बताया कि उसका सपना इंटरनेशनल खेलों में गोल्ड मेडल जीतने का है। इसके लिए वह दिनरात मेहनत कर रहो हैं। इंटरनेशनल के लिए अभी ट्रायल होने हैं। वह सुबह चार बजे ग्राउंड में पहुंचते हैं। जहां पर तीन घंटे सुबह और तीन घंटे शाम को प्रेक्टिस करते हैं। जिमनास्टिक में छह अप्रेटेस होते हैं। सभी में अच्छे अंक लेने होते हैं। तब जाकर खिलाड़ी का इंटरनेशनल लेवल पर चयन किया जाता है।

मिल रही डाइट पर्याप्त नहीं

अंबाला कैंट में कुछ माह पहले ही जिम्नास्टिक की अकादमी खुली है। जतिंद्र ने बताया कि अकादमी की तरफ से उन्हें सुबह 450 ग्राम दूध की थैली व दो केले दिए जा रहे हैं। कभी कभार अंडे भी दिए जाते हैं। यही सामान शाम को भी मिलता है। परंतु यह डाइट पर्याप्त नहीं है। क्योंकि इस खेल में सबसे ज्यादा दूध चाहिए। इसके अलावा उन्हें जिम्नास्टिक किट भी नहीं मिलती। यह किट करीब 15 हजार रुपये की है। यदि खेल विभाग की तरफ से उन्हें सभी सुविधाएं मिल जाएं, तो केवल वे ही नहीं बल्कि अन्य खिलाड़ी भी इस खेल में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि उसके पिता संजय चावला बाइक मैकेनिक हैं। मां माया चावला गृहणी हैं। बड़ा भाई भूपेंद्र बीए अंतिम वर्ष के छात्र हैं, जबकि जतिंद्र  खुद जीएमएन कॉलेज अंबाला कैंट के बीए प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं।


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