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सांसदों का चुनावी रण है जलालपुर, सत्ता में आने के बाद वादे भूल जाते नेताजी

सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने जलालपुर प्रथम गांव को वादों से वोट बैंक तो बनाया लेकिन कभी विकास कार्य नहीं कराए। पानीपत जिला बनने के 30 साल बाद भी ग्रामीण विकास कार्यो की बाट देख रहे हैं। लोगों को तीन किलोमीटर की दूरी पैदल चल कर सनौली रोड से बस पकड़नी पड़ती है। युवा अधूरे विकसित खेल स्टेडियम में अभ्यास करने के लिए मजबूर हैं।

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 Apr 2019 07:03 AM (IST)Updated: Mon, 29 Apr 2019 07:03 AM (IST)
सांसदों का चुनावी रण है जलालपुर, सत्ता में आने के बाद वादे भूल जाते नेताजी
सांसदों का चुनावी रण है जलालपुर, सत्ता में आने के बाद वादे भूल जाते नेताजी

बलराज, बापौली : सत्ताधारी और विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने जलालपुर प्रथम गांव को वादों से वोट बैंक तो बनाया, लेकिन कभी विकास कार्य नहीं कराए। पानीपत जिला बनने के 30 साल बाद भी ग्रामीण विकास कार्यो की बाट देख रहे हैं। लोगों को तीन किलोमीटर की दूरी पैदल चल कर सनौली रोड से बस पकड़नी पड़ती है। युवा अधूरे विकसित खेल स्टेडियम में अभ्यास करने के लिए मजबूर हैं। गहरी खोदाई के कारण पशुपालकों को जोहड़ में डूबने का डर सताता है। इलाज के लिए आज भी झोलाछाप के पास जाने के अलावा और कोई दूसरा विकल्प नहीं है। ग्रामीणों की मानें तो सांसद चिरंजीलाल शर्मा, आइडी स्वामी, डॉ. अरविन्द शर्मा और आइडी स्वामी के विकास के वादे ग्रामीणों को आज भी याद है। पैराशूट वाले सांसद उन्हें भूल गए। गांव में आज भी बिजली, पानी और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सेवाओं का अभाव है। इसका परिणाम लोकसभा चुनाव में कई पार्टियों के लिए महंगा साबित हो सकता है।

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आबादी : 5250

वोटर : 1700

साक्षरता दर : 55-60 फीसद इतिहास

जलालपुर प्रथम गांव का इतिहास लगभग सात दशक पुराना है। आजादी की लड़ाई के बाद धीरे-धीरे हिदू धर्म के विभिन्न समुदायों के लोगों ने इस गांव में बसना शुरू कर दिया। ग्रामीणों का जीवन पूरी तरह से खेतीबाड़ी पर निर्भर था। गांव का जवान महेंद्र रावल देश की रक्षा करते हुए जम्मू कश्मीर में प्राण न्योछावर कर दिए।

मुद्दा नं 1 :

सफाई कर्मचारियों की है कमी

पांच हजार से अधिक आबादी का गांव होने के बावजूद भी गांव में सफाई व्यवस्था दुरूस्त नहीं है। कुछ सफाई कर्मचारी नियुक्त किए गए है। जो एक दिन में पूरे गांव की सफाई नहीं कर पाते। जिस कारण गांव की गलियों में अक्सर कूड़ा-कचरा पड़ा रहा है।

मुद्दा नं 2 :

झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज जान खतरे में

गांव में सीएचसी या पीएचसी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की टीमें भी नियमित रूप से गांव का दौरा नहीं करती। जिस कारण बीमार होने पर झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ता है। आपातकालीन स्थिति में शहर जाने के अलावा कोई चारा नहीं होता। सरकार को ग्रामीणों को स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं देनी चाहिए।

मुद्दा नं 3 :

खराब निकासी व्यवस्था से बीमारियों को न्योता

गांव में गंदे पानी की निकासी के पुख्ता प्रबंध नहीं है। गंदा पानी गलियों में जमा हो जाता है। बरसाती मौसम में हालात और भी बदतर हो जाते हैं। इससे गांव में मच्छरों और कीटों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। हर समय बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है। जनप्रतिनिधि भूले स्टेडियम के वादे

सरकार ने सभी गांवों में खेल स्टेडियम बनाने की घोषणा की थी। लेकिन आज तक गांव में खेल स्टेडियम का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। कई सांसदों ने निर्माण कार्य पूरा कराने का वादा तो किया था, लेकिन चुनाव होते ही वे अपने वादे भूल गए। खेल अभ्यास में परेशानी के कारण खिलाड़ी पिछड़ रहे है।

राजेश, ग्रामीण सरकारी ट्यूबवेल का पानी नहीं है पीने योग्य

गांव में भूजल का स्तर बिगड़ चुका है। फैक्ट्रियों का विषैला पानी मिलने के कारण आज गांव के सबमर्सिबलों का पानी पीने योग्य नहीं रहा। स्वच्छ पेयजल योजना कागजों में सिमट गई है। नेता हर बार इसका समाधान करने का झूठा वादा करते हैं। अधिकारी भी शिकायत देने पर भी कोई सुनवाई नहीं करते।

कृष्ण भगत, ग्रामीण इलाज के लिए तरस रहे ग्रामीण

गांव में आज तक सीएचसी या पीएचसी नहीं बनाई गई। स्वास्थ्य विभाग ने भी किसी सरकारी डॉक्टर की गांव स्थायी नियुक्ति नहीं की। शहर के सरकारी अस्पताल में इलाज करवाने जाते हैं तो कर्मचारी कई दिनों तक चक्कर कटवा देते है। मजबूरन झोलाछाप चिकित्सकों के पास इलाज कराना पड़ता है।

ईश्वर सिंह, ग्रामीण जहरीले पानी का असर फसल पर

जलालपुर गांव में अधिकतर किसानों की जमीन पानीपत-हरिद्वार रोड पर है। वहीं कई बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां भी बनी हुई है। अक्सर फैक्ट्रियों का विषैला पानी खेतों में जाने के कारण फसल खराब हो जाती है। कई विभागों की मंथली जाने के कारण किसानों की सुनवाई नहीं होती।

चंद्रभान, ग्रामीण प्रशासन सहयोग करे गोशाला प्रबंधन में

गोमाता की सेवा के लिए गांव में एक गोशाला का निर्माण किया गया था। आज भी गोशाला में 120 गाय है। ग्रामीण अक्सर गोशाला में जाकर श्रमदान और दान-पुण्य करते है। ग्रामीण सदैव गोरक्षा के लिए तैयार रहते है। प्रशासन को भी इस काम में गोशाला प्रबंधन समिति का सहयोग करना चाहिए।

जयभगवान, ग्रामीण बरसाती मौसम में घरों में घुसता है पानी

गांव की पानी निकासी व्यवस्था सुधारने के लिए जोहड़ की गहरी खुदाई करवाई गई थी। लेकिन उससे भी कोई फायदा नहीं हुआ। घरों का पानी लेवल सही नहीं होने के कारण जोहड़ तक पहुंच ही नहीं पाता। अक्सर गंदा पानी गलियों में खड़ा रहता है। बरसाती मौसम में यही पानी लोगों के घरों में भी घुस जाता है।

महीपाल, ग्रामीण बेटियां अधिकारों से वंचित

गांव में बेटियों की शिक्षा की ओर कोई खास ध्यान नहीं दिया जा रहा है। स्कूल दूर होने के कारण अधिकतर अभिभावक बेटियों की पढ़ाई अधर में ही छुड़वा देते है। लड़कियां उनके अधिकारों से वंचित रहने लगी है। बेटी पढ़ाओ का नारा फेल होता नजर आ रहा है।

हवा सिंह, नंबरदार दूषित पेयजल पीकर लोग हो रहे बीमार

पानी की टंकी उचित रख-रखाव नहीं होने के कारण खराब हो रही है। जोहड़ का गंदा पानी पेयजल के साथ मिलकर नलों में जा रहा है। जिससे ग्रामीणों को परेशानी हो रही है। दूषित पेयजल पीने के कारण लोग बीमार हो रहे है।

धर्म सिंह छौक्कर, पूर्व विधायक


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