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मानव शरीर में आयोडीन की कमी और अधिकता, दोनों हानिकारक : डा. जितेंद्र

जागरण संवाददाता पानीपत प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है। सिि

By JagranEdited By: Published: Thu, 22 Oct 2020 07:41 AM (IST)Updated: Thu, 22 Oct 2020 07:41 AM (IST)
मानव शरीर में आयोडीन की कमी और अधिकता, दोनों हानिकारक : डा. जितेंद्र
मानव शरीर में आयोडीन की कमी और अधिकता, दोनों हानिकारक : डा. जितेंद्र

जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता दिवस मनाया जाता है। सिविल अस्पताल की मेडिसिन, स्त्री रोग, नाक-कान-गला एवं शिशु रोग ओपीडी में मरीजों-तीमारदारों को पंफलेट बांटकर जागरूक किया गया। मानव शरीर में आयोडीन की कमी और अधिकता दोनों ही नुकसानदायक हैं। संतुलन बनाए रखना जरूरी है।

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फिजिशियन कंसल्टेंट डा. जितेंद्र त्यागी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के हवाले से बताया कि किशोर और व्यस्कों के लिए रोजाना 150 माइक्रोग्राम, एक से 11 वर्ष के बच्चों के लिए 90-100, एक वर्ष से कम शिशु के लिए 50-90 और गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन 200-220 माइक्रोग्राम आयोडीन की जरूरत होती है। सिविल अस्पताल में आयोडीन की कमी के शिकार करीब 50 मरीज रोजाना पहुंचते हैं। आयोडीन की कमी होने से महिलाओं में गभर्पात का खतरा रहता है। गर्भस्थ शिशु का ठीक ढंग से मानसिक-शारीरिक विकास ठीक से नहीं हो पाता।

पैदा होने के बाद बच्चा मानसिक विकारों से भी ग्रस्त हो सकता है। डा. त्यागी के मुताबिक आयोडीन की कमी से थायराइड अनियंत्रित हो जाता है। किसी को भी घेंघा रोग हो सकता है।

ऐसे करें आयोडीन की पूर्ति

एक ग्राम नमक में करीब 77 माइक्रो ग्राम आयोडीन होता है। आलू, दूध, अंडा, दही, स्ट्राबेरी, मछली, दाल-अनाज और केला भोजन में शामिल करने से आयोडीन की पूर्ति होती है।

आयोडीन कमी के लक्षण :

कमजोरी होना, वजन बढ़ना, थकान महसूस होना, त्वचा में रूखापन, बाल झड़ना, दम घुटना, नींद अधिक आना, मासिक धर्म अनियमित होना, हृदय गति धीमी होना, यादाश्त कमजोर होना, चेहरे व गले पर सूजन और मांसपेशियों में जकड़न।

आयोडीन की अधिकता से नुकसान

चाऊमीन, चिली पोटेटो, हॉट डाग, बर्गर, फ्राइड राइस, सांबर आदि सहित चटपटा भोजन सेवन के कारण करीब 70 फीसद लोग 250 माइक्रोग्राम तक आयोडीन ले रहे हैं। इससे नींद न आना, मोटापा, पीरियडस अनियमित होना, घबराहट और रक्तचाप के रोगी बढ़ रहे हैं। स्वाद ग्रंथियों भी प्रभावित हो रही हैं।


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