जिले के ईंट-भट्ठा संचालकों की बेमियादी हड़ताल, मजदूरों के सामने संकट
महंगा कोयला और जीएसटी की दर पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने से जिले के ईंट भट्ठा मालिक बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने जीएसटी और कोयले के दाम घटाने तक हड़ताल पर रहने की बात कही है। कोयले और जीएसटी के बढ़ने से अव्वल ईंट सात हजार से आठ हजार रुपये हो जाएगी।
जागरण संवाददाता, पानीपत : महंगा कोयला और जीएसटी की दर पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत करने से जिले के ईंट भट्ठा मालिक बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने जीएसटी और कोयले के दाम घटाने तक हड़ताल पर रहने की बात कही है। कोयले और जीएसटी के बढ़ने से अव्वल ईंट सात हजार से आठ हजार रुपये हो जाएगी। लोगों को मकान बनाना अब मुश्किल हो जाएगा।
जिला में 90 ईंट-भट्ठा हैं। भट्ठे पर बरसात के समय में कामकाज बंद रहता है। अक्टूबर से जनवरी तर जहां मिट्टी सहित मजदूरों की व्यवस्था की जाती है। वहीं शेष चार महीने ईंट बनाने, पकाने, बेचने और स्टाक करने काम चलता है। मजदूर सहित भट्ठे में उपयोग होने वाले सामग्रियों के महंगे होने और जीएसटी की दर बढ़ने से भट्ठा मालिक सहित ग्राहकों के सामने समस्या खड़ी हो गई है।
जिला प्रधान खुशी राम और बापौली के खंड प्रधान अमित कंसल ने बताया कि सरकारी की नीतियों से तंग होकर ईंट-भट्ठा स्वामी एसोसिएशन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल करने की घोषणा कर दी। अंबाला में हुई प्रदेश स्तरीय मीटिग के बाद सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है। प्रदेशभर के 2276 ईंट-भट्ठों के संचालकों ने ईंट बनाना बंद कर दिया है। 1000 ईंट 7000 रुपये में बेचने पर 840 रुपये जीएसटी
जिला प्रधान खुशी राम सहित खंड प्रधान अमित कंसल, ईंट भट्ठा मालिक रणबीर गाहल्याण, कुलबीर आट्टा ने बताया कि पहले ईंट पर पांच प्रतिशत जीएसटी की दर थी। अब इसे बढ़ाकर 12 प्रतिशत कर दिया है। एक हजार ईंटें 7000 रुपये में बेचने पर मालिक को 840 रुपये जीएसटी देने होंगे। कोयला के रेट भी बढ़ा है। गत वर्ष कोयला नौ से 10 हजार रुपए प्रति टन था, अब कीमत प्रति टन बढ़कर 27 हजार हो गई है। एक लाख ईंट को तैयार करने के लिए करीब 15 टन कोयले की जरूरत होती है। एक टन कोयले पर 16 से 17 हजार रुपये की बढ़ोतरी को पाटना उनके लिए मुश्किल है। 18 हजार मजदूरों पर रोजी-रोटी का संकट
ईंट भट्ठों की हड़ताल से जिले के 90 भट्ठों पर काम करने वाले 18000 मजदूरों पर इसका असर पड़ेगा। उनके सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो जाएगा। भट्ठा मालिक पहले से ही महंगाई को लेकर परेशान हैं। सरकार से खर्च कम करने की मांग कर रहे हैं।