डाई हाउसों का अवैध कारोबार उगल रहा जहर, RTI से पर्दाफाश Panipat News
पानीपत में डाई हाउसों ने आठ साल में छह गुना जहर उगला। आरटीआइ से मिला जवाब हैरान कर देने वाला है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी चुप्पी साधे है।
पानीपत, [अरविन्द झा]। डाई हाउसों का कारोबार एक दशक में ही ज्यादा बढ़ा है। वर्ष 2010 में पानीपत जिले में 177 डाई हाउस प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिकार्ड में दिखाए गए। आरटीआइ में मांगी सूचना में यह पता चला है। यह संख्या अब बढ़कर एक हजार के आंकड़ें को पार कर गई।
भूजल का अंधाधुंध दोहन कर डाई हाउस पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उद्योगों का बिना ट्रीट किया काला पानी नालों से बहकर ड्रेन के सहारे यमुना नदी में मिल रहा है। डाहर गांव के एक आरटीआइ कार्यकर्ता ने हरियाणा स्टेट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से 8 अप्रैल, 2010 को डाई हाउसों के बारे में सूचनाएं मांगी थी। बोर्ड के जनसंपर्क अधिकारी ने लिखित में बताया कि उस निर्धारित तिथि तक पानीपत में 177 डाई हाउस चल रहे थे। इनमें से 169 उद्योगों में ईटीपी होने की सूचना दी गई। 137 उद्योगों में ईटीपी चलते दिखाए गए।
आरटीआइ में एक प्रश्न पूछा था कि जिन उद्योगों में ईटीपी नहीं है, उनमें डाई हाउस से निकलने वाले रंगीन पानी को डिस्चार्ज करने का क्या प्रावधान है। जवाब में कहा गया कि नजदीकी सीवर और ड्रेन में ये पानी बहा देते हैं। यानी, बोर्ड के अधिकारी शुरू से इस विषय पर गंभीर नहीं दिखे। दूषित पानी भूजल को खराब कर रहा है, पता होते हुए भी कोई कार्रवाई नहीं की गई।