हे भगवान! पति को हादसे ने छीना, पत्नी ट्रेन के नीचे आई, बच्चे हो गए अनाथ
पानीपत में सड़क हादसे में पति की मौत हो गई। हादसे की सूचना मिलने के दो घंटे बाद ही पत्नी की भी मौत हो गई।
पानीपत, जेएनएन। पानीपत में दर्दनाक हादसा सामने आया है। इस हादसे के बारे में जिसने भी सुना उसके मुंह से बस हे भगवान शब्द ही निकला। तीन बच्चे अनाथ हो गए। पति की मौत के बाद ही पत्नी की भी जान चली गई।
दरअसल सैमसंग कंपनी के सेल्स मैनेजर रविंद्र (39) की कार शनिवार देर रात पेड़ से टकरा गई। इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। स्वजनों ने जाटल रोड पर मायके गई उनकी पत्नी सुमन (35) को रविंद्र की मौत की सूचना दी। सुमन अलसुबह ही पैदल घर के लिए निकल पड़ी। जाटल ओवरब्रिज के नीचे रेल लाइन क्रास करते समय ट्रेन की चपेट में आ गई। उसकी भी मौके पर ही मौत हो गई।
गांधी कॉलोनी निवासी रविंद्र कश्यप ने लगभग छह महीने पहले ही सैमसंग कंपनी में स्टेट सेल्स मैनेजर की नौकरी ज्वाइन की थी। उसकी रोहतक और करनाल कार्यालय में ही ड्यूटी रहती थी। शनिवार रात को वह रिट्रज कार में रोहतक से घर लौट रहे थे। बिंझौल मोड़ के पास पशु कार के सामने आ गया। पशु को बचाने के कारण कार अनियंत्रित होकर पेड़ से टकरा गई। स्वजनों ने साढ़े 11 बजे तक रङ्क्षवद्र के घर नहीं आने पर उसे फोन किया तो किसी राहगीर नें हादसे की जानकारी दी। स्वजन लहुलूहान हालत में रविंद्र को लेकर निजी अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
सात घंटे में तीन मासूमों के सिर से उठा मां-बाप का साया
सात घंटे के अंतराल में तीन मासूम भाइयों के सिर से मां-बाप का साया उठ गया। हर कोई फूट-फूटकर रोते हुए दिखाई दिया। पोस्टमार्टम के बाद दंपती की चिता जली तो बच्चों ने पूछा- अब उन्हें कौन संभालेगा?
बेटे ने फोन किया, नहीं हुआ रिसीव
रात साढ़े 11 बजे तक रविंद्र घर नहीं लौटा तो 16 वर्षीय बड़े बेटे देव ने कॉल की। कई बार रिंग करने पर भी फोन रिसीव नहीं हुआ तो काफी देर बाद राहगीर ने फोन उठाया और कहा कि उसके पिता का बिंझौल मोड पर एक्सीडेंट हो गया है। उसने हादसे की जानकारी मां सुनीता, ताऊ रामगोपाल, मौसा पवन कुमार और अन्य स्वजनों को दी। आधे घंटे बाद स्वजन घटनास्थल पर पहुंचे। इस दौरान सुमन ने कई बार फोन किए तो रविंद्र के घायल होने और अस्पताल में भर्ती होने की बात कही।
रात में सुलाया, सुबह छिन गया मां का आंचल
14 वर्षीय मंझला बेटा साहिल और सात साल का लक्ष्य मां के साथ ननिहाल में ही थे। रात को उन दोनों को सुनीता ने ही सुलाया था। एकाएक उन्हें सुबह जल्दी जगाकर उनके घर ले गए। वहां स्वजनों का तांता लगा हुआ था। पहले तो कुछ समझ ही नहीं आया, लेकिन जैसे ही मां-बाप की मौत का पता चला तो दोनों जोर-जोर से रोने लगा।