Move to Jagran APP

पहली बार नहीं लगेगा ऐतिहासिक प्राचीन कपालमोचन मेला, यहां आए थे भगवान श्रीराम

हरियाणा के यमुनानगर में लगने वाला राज्‍यस्‍तरीय कपालमोचन मेला इस बार नहीं लगेगा। यह पहली बार होगा जब कार्यक्रम का आयोजन नहीं हो रहा है। कपालमोचन मेला की काफी मान्‍यता है। यहां पर भगवान श्रीराम भी आए थे।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Sat, 24 Oct 2020 11:55 AM (IST)Updated: Sat, 24 Oct 2020 11:55 AM (IST)
इस बार ऐतिहासिक प्राचीन कपालमोचन मेला नहीं लगेगा। पिछली बार इस तरह जुटे थे श्रद्धालु।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। कपालमोचन तीर्थ में ऐसा पहली बार हो रहा है कि राज्य स्तरीय मेले का आयोजन नहीं होगा। आस्था के इस मेले में हिंदू, मुस्लिम व सिख समाज से लाखों श्रद्धालु आते हैं। मन्नतें मांगकर पवित्र सरोवारों में मोक्ष की डूबी लगाते हैं। कोरोना महामारी को देखते हुए प्रशासन ने धार्मिक गुरुओं से चर्चा के बाद मेला का आयोजन नहीं करवाने का निर्णय लिया है। पवित्र सरोवरों में जल नहीं भरा जाएगा। मेले में कोई श्रद्धालु न आए। इसके लिए सभी रास्तों पर पुलिस के नाके लगाए जाएंगे। पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में डीसी मुकुल कुमार की अध्यक्षता में इस संबंध में बैठक हुई। इसमें सामाजिक, धार्मिक, धर्मगुरुओं एवं प्रशासन के अधिकारियों ने भाग लिया। डीसी ने सभी से सहयोग की उम्मीद जताई है।

loksabha election banner

गुरु शुक्राचार्य ने तप किया यहां पर

कपालमोचन के नाम से प्रसिद्घ औशनस नामक इस तीर्थ में गुरु शुक्राचार्य ने तप किया था। शुक्राचार्य का नाम उशनस था। उन्हीं की तपस्थली के नाम से अर्थात औशनस नाम से विख्यात हो गया। स्कन्ध महापुराण के अनुसार औशनस तीर्थ अर्थात कपाल मोचन द्वैतवन में स्थित था। महर्षि वेद व्यास की कर्म स्थली रही है।

पिछली बार लगे कपालमोचन मेले में पहुंचे थे साधु-संत।

यज्ञ में लिया था देवी देवताओं ने भाग

आदिकाल में ब्रहमा ने द्वैतवन में यज्ञ किया, जिसमें सभी देवी-देवताओं एवं ऋषि-मुनियों ने भाग लिया था। ब्रह्मा जी ने पदम काल में यज्ञ करवाने के लिए तीन हवन कुंड बनवाए थे, जो प्लक्ष, सोम सरोवर व ऋण मोचन के नाम से प्रसिद्घ हैं। यज्ञ के दौरान ब्राह्मण का लडक़ा ऋषियों-मुनियों की सेवा किया करता था। यज्ञ के पश्चात ब्रह्मा ब्रह्मलोक चले गए। ऋषियों ने लड़के से कहा कि स्नान के लिए सरस्वती नदी से पवित्र जल ले आओं। लडकें ने जल लाने में आना-कानी की जिसे ऋषियों-मुनियों ने भांप लिया। ऋषियों-मुनियों ने क्रोध से उसे कहा कि यह जल ही तेरा उद्घार करेगा। श्राप के डर से वह सरस्वती नदी से स्नान हेतु जल लेने चला गया। जब वह लौटा तो ऋषियों- ने अपने गन्तव्य की तैयारी कर ली। उन्होंने वह जल लडक़े के ऊपर दे मारा। कुछ जल यज्ञ हवन कुंड में गिर गया। देरी से आने के कारण ऋषियों-मुनियों ने ब्राह्मण के लडक़े को श्राप दिया कि तूं कभी गाय के पेट से जन्म लेगा व कभी ब्राह्मण के रूप में। यज्ञ हवन कुंड में ऋषियों द्वारा फैंके गए जल में अमृत रूप पैदा हुआ और इसका नाम सोमसर रखा। भगवान शंकर के ब्रहम हत्या के कपाली दोष से छुटकारा मिलने के कारण इस सोम सरोवर का नाम कपाल मोचन सरोवर हो गया।

गुरु गोबिंद सिंह व गुरुनानक देव आए यहां

सिखों के दशम गुरु गोबिंद सिंह भंगानी के युद्घ के बाद 52 दिन यहां पर रूके। उन्होंने ऋण मोचन व कपालमोचन में स्नान किया और अस्त्र-शस्त्र धोए। कपालमोचन और ऋणमोचन तीर्थो के बीच प्राचीन अष्टकौण गुरुद्वारा है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गुरू नानक देव के पर्व गुरु पर्व को मानने वालों की सारी कामनाएं पूरी होने का वरदान दिया, जिस कारण यहां लाखों गुरू भक्त आकर गुरुपर्व मनाते है। गुरु गोबिन्द सिंह ने कपालमोचन के महंत को हस्त लिखित पट्टी और ताम्र पत्र दिया, जो आज भी मौजूद है।

ऋणमोचन सरोवर

ऋणमोचन सरोवर में स्नान करने से अनेक प्रकार ऋणों से मुक्ति मिलती है। भगवान श्रीराम ने रावण को मार कर यहां स्नान ध्यान पर मोक्ष की कामना की। श्रीकृष्ण व पाण्डवों ने द्वापर में कुरूक्षेत्र की लड़ाई के बाद यहां अपने अस्त्र-शस्त्र धोए व पितृ ऋण से मुक्ति पाई। कलयुग में जब पूर्णाहुति पर श्रेष्ठता को लेकर देवताओं में विवाद हो गया, तब भगवान शिव को ब्रह्म हत्या की कपाली लग गई। जिसे दूर करने के लिए उन्होंने अनेक प्रयास किए लेकिन उन्हें मुक्ति कपालमोचन सरोवर में स्नान करने पर ही मिली।

कपालमोचन सरोवर

कपालमोचन सरोवर में भगवान शिव ने स्नान कर ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति पाई थी। श्रीराम ने पुष्पक विमान में श्री लक्ष्मण व सीता माता के संग आकर ऋणमोचन में स्नान कर ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाई। वहीं श्रीकृष्ण व पांडवों ने यहां स्नान कर पितरी ऋण से मुक्ति पाई थी। सोमसर सरोवर में स्नान कर भगवान शिव ने कपाली दूर कर ब्रह्म हत्या से मुक्ति पाई थी।

सूरजकुंड सरोवर

सूरजकुंड पर स्नान कर कदंब के पेड़ की पूजा की जाती है। सबसे पहले ऋणमोचन, फिर कपालमोचन व अंत में सूरजकुंड में स्नान करते हैं। माता कुंती ने सूर्यदेव की तपस्या की जिसके बाद कर्ण नाम पुत्र की प्राप्ति हुई। इस कुंड में स्नान करने से आत्मिक शांति मिलती है। कलेशों से मुक्ति और ज्ञान में वृदिध् होती है।

मुस्लिम राजा भी आए यहां पर

शास्त्र वर्णित है कि राजा अकबर भी कपालमोचन में आए थे। तब साढौरा रियासत के कीनूदीन काजी की पत्नी को पुत्र की प्राप्ति नहीं हो रही थी। यहां श्रीराम मंदिर में पूजा अर्चना कर पुत्र रतन की प्राप्ति हुई। बाद में उन्होंने यहां सबसे ऊंचा श्रीराम मंदिर बनवाया। जिसमें आज भी साढौरा तक सुरंग बताई जाती है। काजी की पत्नी शाम को मंदिर में जले दी के दर्शन कर ही रात का भोजन करती थी। बाद में अकबर महाराज के यहां आने के साक्ष्य है।

मंत्रा देवी का एक मात्र दिन आदिबद्री में

कपालमोचन से 18 किमी दूर आदिबद्री भगवान आदिबद्री नारायण की तपस्थली है। आदिबद्री मंदिर के पास सोम व सरस्वती नदी का मिलन होता है। आदिबद्री नारायण मंदिर के पास में केदारनाथ स्वयंभू शिव लिंग का प्राचीन मंदिर है। पहाड़ों के बाद जमीन आने वाला रास्ता सरस्वती उद्गम स्थल भी यहीं पर है। यहां पर महाऋषि वेदव्यास ने श्री मद् भागवत पुराण की रचना की। जमीन से 2.5 किमी ऊंचाई पर पर्वत की चोटी पर माता मंत्रा देवी का मंदिर है। महंत विनय स्वरूप का कहना है कि मंत्रों से उत्पन्न माता मंत्रा का यह एक मात्र मंदिर है। कपालमोचन के बाद आदिबद्री में आने के बाद यात्रा पूरी होती है इसीलिए शास्त्रों में अंकित है कि सभी धाम बार-बार कपालमोचन में एक बार आने से पाप दूर होते है।

मांगा जनता से सहयोग

एसजीपीसी के पूर्व मीत प्रधान बलदेव सिंह कायमपुर, जाट धर्मशाला के प्रधान जगीर सिंह ने कहा कि कपालमोचन के साथ लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। हरियाणा पंजाब, दिल्ली, हिमाचल व अन्य राज्यों से सभी धर्मों के लोग स्नान के लिए आते है। मेले पर जन मानस की सुरक्षा को देखते हुए रोक नहीं लगाई गई तो बीमारी बढ़ सकती हे। गुर्जर सभा के प्रधान रणधीर सिंह ने कहा कि लोकहित के लिए मेले को स्थगित करना जरूरी है। सभा पूरी तरह से प्रशासन का सहयोग करने को तैयार है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.