किला मामले में अवमानना पर अफसरों को राहत, हाई कोर्ट ने तीन साल बाद किया खत्म
हाईकोर्ट ने किला मामले में निगम अधिकारियों पर दर्ज अवमानना के केस को खत्म कर दिया है। हाई कोर्ट ने साथ में इस मामले में 23 कब्जों को गलत बताते हुए इनको खाली करने के निर्देश दिए हैं।
पानीपत, जेएनएन। हाईकोर्ट ने किला मामले में निगम अधिकारियों पर दर्ज अवमानना के केस को खत्म कर दिया है। हाई कोर्ट ने साथ में इस मामले में 23 कब्जों को गलत बताते हुए इनको खाली करने के निर्देश दिए हैं। इस केस को राजेश बंसल के स्टे ऑर्डर के साथ अटैच कर दिया है। इधर किला संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट में 27 लोगों के स्टे का एक मामला ही विचाराधीन रहने का दावा किया है।
हाई कोर्ट में सोमवार को जस्टिस अविनाश ¨झगन की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। दोनों पक्ष के वकीलों ने अपने-अपने तर्क दिए। विदित है कि किला मैदान की 54 हजार वर्ग गज जमीन है। इसमें 45 हजार वर्ग गज पर कब्जा करने का आरोप लगा था। समान नागरिक संहिता अभियान के संयोजक नेमचंद जैन और पूर्व जिला पार्षद ने हाईकोर्ट में केस दायर किया था। उन्होंने नगर निगम द्वारा आरटीआइ के तहत दी सूचना को कब्जों का आधार माना था। उनका आरोप है कि इस जमीन को नजूल लैंड बताया गया। इस पर किसी तरह का निर्माण नहीं किया जा सकता। यह जमीन पेड़ पौधे लगाने के लिए सुरक्षित रखी जाती है। लोगों ने अधिकारियों के साथ मिलकर 242 जगहों पर मकान आदि बना लिए हैं।
तारीखों पर तारीख चली
हाई कोर्ट ने 2011 में केस दायर कर लिया था। इसके बाद किलावासियों को नोटिस आने शुरू हो गए। स्थानीय लोगों ने शुरुआत में तो इनको इतनी गंभीरता से नहीं लिया, लेकिन बाद में दबाव बढ़ने पर लोगों ने एकजुट होना शुरू कर दिया। लोगों ने नगर निगम की संयुक्त आयुक्त की कोर्ट में अपना पक्ष रखा। किला संघर्ष समिति के प्रधान दीपक अरोड़ा ने बताया कि गत वर्ष इस केस को एसडीएम कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया। जहां से 192 लोगों को सही पाया था। हाईकोर्ट ने भी इनको सही माना था। इसके अलावा 22 लोगों को पहले ही राहत मिल चुकी थी। बाकी 27 लोगों को राजेश बंसल के केस पर स्टे मिला हुआ है। इस मामले में अगली सुनवाई 12 सितंबर का है।
इधर समान नागरिक संहिता अभियान के संयोजक नेमचंद जैन ने बताया कि 242 में से 193 के हक में एसडीएम कोर्ट ने फैसला दे रखा है। 26 पर स्टे बताया गया है। बाकी 23 को खाली करने के ऑर्डर हाई कोर्ट ने दिए हैं। जेसी की पावर एसडीएम को कैसे दी समान नागरिक संहिता अभियान के संयोजक नेमचंद जैन ने बताया कि नगर निगम अधिनियम 1994 की धारा 408-ए तहत कब्जे हटाने या सुनवाई करने की पावर नगर निगम के संयुक्त आयुक्त को होती है। उनके फैसले को 408-बी में कमिश्नर के पास अपील की जा सकती है। पानीपत में इसके उल्टा किया गया। संयुक्त आयुक्त की केस सुनने की पावर एसडीएम को दे दी गई। जबकि जिलाधिकारी राजस्व संबंधित पावर ही ट्रांसफर सकते हैं। हाईकोर्ट में इस मामले को भी रखा जाएगा।