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अवसाद बना दिमागी उन्माद!

By Edited By: Published: Sat, 17 Sep 2011 10:44 PM (IST)Updated: Sat, 17 Sep 2011 10:44 PM (IST)

सुभाष चंद्र राय, पानीपत : घर में रोटी नहीं है तो अवसाद, पति दारू पीता है तो अवसाद, बेटा पढ़ता नहीं है तो अवसाद, टीबी पर हिंसक फिल्म देखते हैं तो भी अवसाद और न जाने कौन-कौन से कारण हैं इस अवसाद के फसाद के। अवसाद (डिप्रेशन) लोगों के लिए दिमागी उन्माद बनकर सामने आ रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के ताजा सर्वे के मुताबिक आत्महत्या करने वालों में 50 फीसदी लोग अवसाद के शिकार हैं। सर्वे से यह बात भी सामने आई है कि 66 फीसदी लोग आत्महत्या से पूर्व संकेत दे देते हैं। रजत मस्तिष्क केंद्र के मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. रजत सेतिया ने डब्ल्यूएचओ के ताजा सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि 33 फीसदी आत्महत्या को भले ही नहीं रोका जा सकता है, लेकिन आत्महत्या करने वाले 66 फीसदी लोगों को बचाया जा सकता है।

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केमिकल असंतुलन है आत्महत्या :

मनुष्य के दिमाग में सिरोटोनिन, डोपामिन और एसीटाकोलीन तीन तरह के मुख्य केमिकल पाए जाते हैं। सिरोटोनिन का लेवल कम हुआ तो अवसाद, डोपामिन का लेवल बढ़ा तो पागलपन और एसिटाकोलीन कम हुआ तो मेमोरी लॉस। फिल्म गजनी में आमिर खान इसी एसिटाकोलीन का शिकार थे। आज मानसिक रोगों की सूची बहुत लंबी होती जा रही है। डॉ. सेतिया कहते हैं कि प्यार में असफल होने पर आत्महत्या करने वालों की संख्या आज सबसे अधिक है। डॉक्टरों के मुताबिक आत्महत्या करने वाले दो तिहाई लोग संकेत दे देते हैं और अगर ऐसे लोगों का किसी मनोरोग विशेषज्ञ से इलाज कराया जाए तो उसे बचाया जा सकता है। जान बचाने वाले दोस्त, पिता, माता, बहन व अन्य सभी हो सकते हैं। डॉक्टर कहते हैं कि अगर कोई जान देने की बात कहता है तो उसे धमकी न समझें।

रोग के अन्य कारण :

बचपन के अनुभव, अनुवांशिकता, बीमारिया, जन्म के पूर्व का जोखिम और तनाव डिप्रेशन ऐसे कुछ कारकों के नाम गिने जाते हैं। किशोरावस्था, युवावस्था, वृद्धावस्था, गर्भधारण जैसे शारीरिक परिवर्तन कई मनोरोगों का आधार बन सकते हैं। आपसी संबंधों में तनाव, किसी प्रिय व्यक्ति की मृत्यु, सम्मान को ठोस, कार्य को खो बैठना, आर्थिक हानि, विवाह, तलाक, शिशु जन्म, परीक्षा या प्यार में असफलता आदि भी मनोरोगों को उत्पन्न करने या बढ़ाने में योगदान देते हैं। अपने में खोए हुए, चुप रहने वाले, कम मित्र रखने वाले किताबी कीड़े जैसे गुण वाले, स्कीजायड व्यक्तित्व वाले लोगों में स्कीजोफ्रीनिया अधिक होता है, जबकि अनुशासित तथा सफाई पसंद, समयनिष्ठ, मितव्ययी जैसे गुणों वाले खपती व्यक्तित्व के लोगों में खपत रोग अधिक पाया जाता है।

मानसिक रोग :

- भय (फोबिया), मनोदशा (मूड) विकार, व्यक्तित्व विकार, अवसाद (डिप्रेशन), चिंता, मनोविक्षिप्ति, उत्पीड़न भ्रांति आदि ये सभी मानसिक रोग हैं।

रोगियों की बातों से बनाएं संतुलन :

डॉक्टर कहते हैं कि अब जबकि आप जान चुके हैं कि मनोरोग केमिकल असंतुलन से होता है तो मनोरोगियों की बातों से सामंजस्य बिठाने की कोशिश करें। उसकी बातों को न तो माने और न ही अनसुना करें।

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