डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइन के मुताबिक जिले में नहीं डॉक्टर
विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन के मुताबिक प्रति हजार की आबादी पर एक डॉक्टर होना चाहिए।
जागरण संवाददाता, पानीपत
विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइड लाइन के मुताबिक प्रति हजार की आबादी पर एक फिजिशियन और एमबीबीएस चिकित्सक, प्रत्येक 10 हजार की आबादी पर एक विशेषज्ञ चिकित्सक होना चाहिए। जिले में सरकारी चिकित्सा व्यवस्था और डिग्रीधारक प्राइवेट डॉक्टरों की संख्या गाइडलाइन पर कहीं खरी नहीं उतरती।
सिविल अस्पताल में कुल 47 डॉक्टरों के पोस्ट स्वीकृत हैं। इनमें से लगभग 24 डॉक्टर ही यहां ओपीडी करते हैं।अस्पताल के 9 डॉक्टर वर्षों से अनुपस्थित हैं। सर्जन डॉ. सौरव मुदगिल और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राकेश कालड़ा, प्लास्टिक सर्जन डॉ. अजय कपूर और डॉ. अरविन्द सरकारी चिकित्सा सेवा को तिलांजलि देकर कई निजी क्लीनिक खोल चुके हैं। डॉक्टर नेहा कौशिक इमरजेंसी लीव पर हैं तो 4 डॉक्टर चाइल्ड केयर लीव पर हैं। अस्पताल के 2 डॉक्टर एमडी का कोर्स कर रहे हैं। डॉ. यजुवेंद्र, डॉ. जोगेंद्र और सुनील डेपुटेशन पर दूसरे स्थानों पर भेजे गए हैं।
जिले में 4 सीएचसी और 14 पीएचसी हैं। मानकों के मुताबिक सीएचसी में पांच और पीएचसी में दो डॉक्टर होने चाहिए। फिलहाल की बात करें तो कुल 35 डॉक्टर तैनात हैं। चुलकाना और कवि पीएचसी में तो मेडिकल ऑफिसर तक नहीं है। एक नजर इसे भी पढ़ें :
280 की तुलना में मात्र 90 सब सेंटर
30 हजार के बजाय 48 हजार की आबादी पर पीएचसी
06 के बजाय मात्र 4 सीएचसी प्राइवेट में इलाज की स्थिति :
जिले में एलोपैथिक, आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक चिकित्सक मिलाकर डिग्रीधारक कुल 500 चिकित्सक है। आइएमए, पानीपत के पदाधिकारियों की मानें तो जिला वासियों को बेहतर चिकित्सा सुविधा मिले इसके लिए इतने ही चिकित्सक और होने चाहिए। जिले में लगभग 120 प्राइवेट अस्पताल हैं। ग्रामीण क्षेत्र में अच्छे अस्पतालों का अभाव है।