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एक्शन में मंत्री विज, चौकी प्रभारी, हुडा के जेई और एसडीओ सस्पेंड, इंस्पेक्टर का तबादला Panipat News

पानीपत के लघु सचिवालय में कष्ट निवारण समिति की बैठक में स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने लोगों की शिकायत सुनीं। इस दौरान पुलिस और हुडा अधिकारियों पर गाज गिरी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 28 Jun 2019 01:51 PM (IST)Updated: Sat, 29 Jun 2019 10:26 AM (IST)
एक्शन में मंत्री विज, चौकी प्रभारी, हुडा के जेई और एसडीओ सस्पेंड, इंस्पेक्टर का तबादला Panipat News
एक्शन में मंत्री विज, चौकी प्रभारी, हुडा के जेई और एसडीओ सस्पेंड, इंस्पेक्टर का तबादला Panipat News

पानीपत, जेएनएन। जैसा अंदेशा था, ठीक वैसा ही हुआ। लंबे समय के बाद पानीपत में हो रही कष्ट निवारण समिति की बैठक की अध्यक्षता में अनिल विज पहुंचे। उन्होंने एक के बाद एक मामलों को गंभीरता से सुना। एक फरियादी की शिकायत पर उन्होंने चौकी प्रभारी, एएसआइ, हुडा के एसडीओ, जेई को सस्‍पेंड और एक इंस्पेक्टर का तबादला कर दिया। 

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जिला कष्ट निवारण समिति की नौ महीने बाद हुई बैठक में अधिकारियों के टालमटोल करने पर स्वास्थ्य एवं खेल मंत्री अनिल विज एक्शन में आ गए। अधिकारियों ने उनको कोर्ट और सरकार के हक में कार्रवाई करने की कहकर टालने का प्रयास किया, लेकिन मंत्री ने अधिकारियों की चाल को पकड़ लिया। उन्होंने अधिकारियों को साफ शब्दों में कहा कि मेरा नाम अनिल विज है। मैं जहां होता हूं, वहां सिस्टम से काम होता है। वहां किसी तरह पॉलिटिकल प्रेशर काम नहीं करता। उन्होंने तीसरी शिकायत पर अधिकारियों पर एक्शन लेना शुरू किया।

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90 मिनट तक चली बैठक में 14 शिकायत सुनी
मंत्री ने 90 मिनट तक चली बैठक में 14 शिकायत सुनी। इनमें नौ का मौके पर ही निपटारा किया। बाकी पांच शिकायतों को अगली बैठक के लिए लंबित रखा। उरलाना चौकी के तत्कालीन प्रभारी समेत दो पुलिसकर्मियों, एचएसवीपी के एसडीओ व जेई को सस्पेंड कर दिया। एक मामले में बाबरपुर ट्रैफिक थाना के प्रभारी महेंद्र का पानीपत से 150 किलोमीटर दूर ट्रांसफर करने के आदेश दिए। बैठक में एसपी सुमित कुमार नहीं थे। इस दौरान उनके बहादुरगढ़ डीएसपी रहते वक्त एक जांच पर सवाल उठे। इस मौके पर  विधायक महिपाल ढांडा, रोहिता रेवड़ी, रविंंद्र मच्छरौली, मेयर अवनीत कौर, वरिष्ठ भाजपा नेता नितिसैन भाटिया, डीसी सुमेधा कटारिया व एडीसी प्रीति मौजूद रही। 

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अधिकारियों पर इस तरह से गिरी गाज 
मामला नंबर-एक 
डीएसपी ने सिविल कोर्ट में केस चलने की कहकर मामला टालना चाहा 
गांव पाथरी की राधा रानी ने शिकायत दी थी, हालांकि वे बैठक में अपना पक्ष रखने नहीं पहुंची। डीएसपी ने रिपोर्ट में कहा कि यह केस कोर्ट में चल रहा है। ऐसे में पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। मंत्री ने कहा कि कोर्ट में सिविल का केस चल रहा है, महिला का आरोप है कि उसको मारपीट की गई। जिससे मजबूर होकर गांव छोडऩा पड़ा। वह अपनी दो बेटियों और दस साल के बेटे को निराश्रय छोड़कर दर-दर भटक रही है। पुलिस अक्तूबर के मामले को अब तक लटकाए हुए है। जांच अधिकारी एएसआई कप्तान सिंह ने उनके मकान के गेट का ताला तोड़कर रास्ता दे दिया गया। इंस्पेक्टर महेंद्र सिंह दबाव बनाए हुए हैं। डीएसपी ने इस मामले में जांच अधिकारी एएसआइ कप्तान के खिलाफ विभागीय जांच करने की जानकारी दी। मंत्री ने कहा कि यह गंभीर मामला है। उरलाना कलां चौकी के तत्कालीन प्रभारी को तुरंत सस्पेंड किया जाएं। दबाव डालने वाले इंस्पेक्टर महेंद्र का पानीपत से 150 किलोमीटर दूर तबादला किया जाएं। ताकी उसको भी अपने घर से दूर रहने का आभास हो सके। यह पुलिस की क्रीमिनल लापरवाही भी है। महिला चंडीगढ़ में ही तो है कोई पाकिस्तान नहीं चली गई। उसको पुलिस सुरक्षा के बीच अगली बैठक में लाया जाएं। वह उसके मुंह से सुनी बातों को ही सच मानेंगे।

मामला नंबर-दो 
कांग्रेसी नेता के दबाव में कार्रवाई पर अधिकारी घिरे 
उग्रा खेड़ी के संदीप मलिक ने आरोप लगाया कि साजिश के तहत उस पर तेजधार हथियार से हमला किया। हमलावर उसको मरा हुआ समझकर छडोड़ गए थे। थाना चांदनी बाग पुलिस ने 17 अप्रैल 2017 को मुकदमा दर्ज तो किया, लेकिन कांग्रेस के पूर्व ग्रामीण जिला प्रधान जगदेव मलिक के प्रभाव में आकर मामला बदल दिया। जांच अधिकारी सतपाल सिंह ने उसके बयान की बजाय अपने ढंग से मामला लिख दिया। बहादुरगढ़ में डीएसपी रहते वक्त एसपी पानीपत सुमित कुमार ने भी इस मामले की जांच की थी। उन्होंने जांच अधिकारी की कार्रवाई को ठीक बताया। इसके बाद सफीदों के तत्कालीन डीएसपी हरिंद्र कुमार ने जांच की। जिसमें स्पष्ट किया कि जांच अधिकारी सतपाल ने सभी तथ्यों को छुपा दिया। अधिकारियों ने कोर्ट में केस कैंसिल करने की रिपोर्ट दे दी। शिकायकर्ता ने अपने लैपटॉप में जुटाए सारे सबूत मंत्री को दिखाए। मंत्री ने डिस्ट्रिक अटॉर्नी से इस मामले में सलाह ली। उन्होंने बताया कि पुलिस 173-ए के तहत कार्रवाई कर सकती है। मंत्री ने जांच अधिकारी एएसआई सतपाल को सस्पेंड करने और इस मामले में पुन: एफआइआर दर्ज कर सभी आरोपितों को तुरंत गिरफ़्तार करने के आदेश दिए। इस मामले की कार्रवाई रिपोर्ट अपनी शिकायत में रखी जाएं। 

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मामला नंबर-3 
मकान अवैध बताकर तोडऩे में एसडीओ और जेई सस्पेंड 
सनौली रोड की राजरानी की शिकायत पर एडीसी प्रीति और एचएसवीपी के ईओ योगेश रंगा ने अपनी रिपोर्ट पेश की। उन्होंने उक्त मकान पर सरकार के हित में कार्रवाई करना बताया। एडीसी ने कहा कि किसी भी नए कब्जे को हटाने के लिए नोटिस देना जरूरी नहीं होता। मंत्री ने कहा कि राजरानी का कहना है कि 15 फरवरी 1989 को उसके पिता जिले सिंह ने जमीन खरीदकर मकान बनाया था। एचएसवीपी ने बिना नोटिस के 23 जुलाई 2018 को मकान का कुछ हिस्सा गिरा दिया। उसी जमीन पर किसी दूसरे व्यक्ति को कब्जा दिलवा दिया। एडीसी ने कहा कि 1982 में तत्कालीन पटवारी हवासिंह व महासिंह ने जमीन का इंद्राज नहीं किया था। मंत्री ने कहा कि अधिकारियों की गलती आम जनता क्यों भुगते। इसकी सजा भी अधिकारियों को मिलनी चाहिए। मंत्री ने कब्जा हटाने गए एसडीओ देवेंद्र कुमार मलिक और जेई कर्मबीर को तुरंत सस्पेंड करने के आदेश दिए। मंत्री ने शिकायतकर्ता को हर्जाना लेने के लिए कोर्ट में केस डालने की सलाह दी। मंत्री ने अधिकारियों का कहा कि इस देश में नरेंद्र मोदी का राज चलता है, कोई जंगलराज नहीं है। 

मामला नंबर-4 
मिट्टी खनन में मुकदमा दर्ज करने के आदेश 
बहरामपुर के ऋषिपाल ने खेतों से नियमों को तोड़कर  मिट्टी उठाने का आरोप लगाया था। एसडीएम समालखा व जिला खनन अधिकारी माध्वी गुप्ता ने अपनी रिपोर्ट पेश की। उन्होंने इस मामले में संबंधित लोगों पर 84 हजार रु़पये का जुर्माना लगाने की रिपोर्ट पेश की। शिकायतकर्ता ठेकेदार पर कार्रवाई करने की मांग पर अड़ा रहा। इसी बीच ठेकेदार ने आकर रिकॉर्डिंग सुना दी। जिसमें 20 लाख रुपये में फैसला करने की बात कही जा रही थी। दोनों पक्ष मंत्री के सामने ही एक दूसरे पर आरोप-प्रत्योप लगाने लगे। मंत्री ने रिकॉर्डिंग सुनकर इस मामले में मुकदमा दर्ज कर सभी तथ्यों पर पुन: जांच करने के आदेश दिए। इसकी जांच डीएसपी बिजेंद्र सिंह को सौंपी है।

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अन्य मामलों में कार्रवाई 
पुलिस दो साल बाद भी छात्र का नहीं लगा पाई सुराग 
जाटल रोड निवासी सुभाष गौस्वामी  ने शिकायत में कहा कि करीब दो साल पहले उसका बेटा दीपक लापता हो गया था। उसकी गुमशुदगी की एफआईआर भी दर्ज करवा दी थी, लेकिन अब तक उसका कोई सुराग नहीं लग पाया है। उसने आरोप लगाया कि उसी दौरान कॉलोनी से चार बच्चे और इसी तरह से लापता हुए थे। 2018 में कष्ट निवारण समिति की बैठक में केस आने पर बेटा मिलने की उम्मीद बढ़ी थी, लेकिन पुलिस अब तक कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं कर पाई है। अधिकारी केवल कार्रवाई रिपोर्ट पेश कर देते हैं। डीएसपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पुलिस ने बच्चे को तलाश करने की अपनी पूरी कोशिश की, लेकिन बच्चे का कोई सुराग नहीं लगा। इसी जांच के दौरान दो और बच्चे बरामद हुए हैं। पुलिस आसपास के जिलों और प्रदेश की पुलिस के साथ भी संपर्क कर रही है। इस दौरान बरामद अज्ञात शवों की भी रिपोर्ट ली है। मंत्री ने इसमें स्पेशल टीम गठित कर जांच रिपोर्ट अगली बैठक में रखने के आदेश दिए।  पांचवी शिकायत गांव जाटल के हुकम सिंह की थी। मंत्री ने सबूतों को देखते हुए जग्गीराम निवासी तारागढ़ कैथल हाल निवासी जाटल का बीपीएल कार्ड कैंसिल करने और कानूनी कार्रवाई करने के आदेश दिए। मंत्री ने उनको दी सारी सुविधाएं वापस लेने के आदेश दिए। 


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