फिसड्डी : छह माह में मरणोपरांत दो की आंखें कलेक्ट कर सका स्वास्थ्य विभाग
स्वास्थ्य विभाग अगस्त 2019 से 17 फरवरी 2020 तक मात्र दो लोगों की मरणोपरांत आंखें कलेक्ट कर सका है। जबकि माधव आई बैंक की टीम 13 माह में 168 लोगों की मरणोपरांत आंखें कलेक्ट करा चुकी है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : स्वास्थ्य विभाग की सुस्ती एनपीसीबी-वीआइ (द नेशनल प्रोग्राम फॉर कंट्रोल ऑफ ब्लाइंडनेस एंड विजुअल इंपेयरमेंट) को पलीता लगा रही है। अगस्त 2019 से 17 फरवरी 2020 तक विभाग दो लोगों की मरणोपरांत आंखें कलेक्ट कर सका है। उधर, सिविल अस्पताल परिसर में कार्यालय खोलकर बैठे जन सेवा दल के सदस्य माधव आई बैंक की टीम को 13 माह में 168 लोगों की मरणोपरांत आंखें कलेक्ट करा चुके हैं।
सिविल अस्पताल स्थित आई कलेक्शन सेंटर का लाइसेंस वर्ष 2015 में खत्म हुआ था। करीब चार साल तक अस्पताल प्रशासन ने उसके नवीनीकरण की सुध नहीं ली। अगस्त 2019 में पुन: लाइसेंस मिला और अस्पताल के नेत्र विभाग में कलेक्शन सेंटर खोला गया। सेंटर तो खुल गया, विभाग जन सेवा दल सहित अन्य समाजसेवी संस्थाओं से तालमेल नहीं कर सका। नतीजा, दल के सदस्य भी सिविल अस्पताल के नेत्र विभाग को सूचना देने के बजाय, माधव आई बैंक की टीम को बुलाते रहे हैं। हालांकि, विभाग ने करीब 14 माह में 560 से अधिक लोगों से आंखें दान करने के लिए फॉर्म भरवा लिया है।
बता दें कि ब्लाइंडनेस कंट्रोल अभियान पर राज्य सरकार लगभग 10 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष खर्च करती है। इसके बावजूद प्रोग्राम परवान नहीं चढ़ सका है। सिविल अस्पताल में सर्जरी सामान के लिए दो माह पहले बजट मांगा गया है,अभी तक नहीं मिला है। वर्जन :
आंकड़े निश्चित रूप से चौंकाने वाले हैं। इसकी समीक्षा की जाएगी। जन सेवा दल को इस बाबत पत्र भेजेंगे। दल के सदस्यों को बुलाकर समझाया जाएगा कि वे विभाग का सहयोग करें। दल को अस्पताल परिसर में कमरे भी सहयोग के उद्देश्य से दिए गए हैं।
डॉ. संतलाल वर्मा, सिविल सर्जन वर्जन :
स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक कोई मदद नहीं मांगी है। विभाग आंखों को रोहतक पहुंचाने की जिम्मेदारी ने तो हमें सूचना देने में कोई दिक्कत नहीं है।
चमन गुलाटी, सचिव-जन सेवा दल