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परिवार से छिपकर लिखते थे गाने, अलग होने की आ गई थी नौबत, आज विदेशों में बिंदर दनौदा के गानों की धूम

हरियाणवी सिंगर बिंदर दनौदा जींद के नरवाना के गांव दनौदा से हैं। बचपन में दादा के टेपरिकॉर्डर पर रागनी व किस्से सुनते थे। 10वीं के बाद सिरसा में लेखक रमेश चहल के संपर्क में आए। गाने लिखने शुरू किए। गांव में दादा रामसर तीर्थ पर पहली भक्ति एलबम बनाई।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Thu, 08 Apr 2021 08:23 AM (IST)Updated: Thu, 08 Apr 2021 08:23 AM (IST)
परिवार से छिपकर लिखते थे गाने, अलग होने की आ गई थी नौबत, आज विदेशों में बिंदर दनौदा के गानों की धूम
बिंदर दनौदा ने गाने लिखने से शुरुआत की थी। अब मॉडलिंग और सिंगिंग से भी कर रहे दिलों पर राज।

जींद [प्रदीप घोघड़ियां]। कुछ लोगों का जन्म ही गायिकी के लिए होता है। नरवाना के गांव दनौदा के बीरेंद्र उर्फ बिंदर दनौदा भी उन लोगों में से एक हैं, जो गायिकी और लेखनी के बल पर लोगों के दिलों पर राज करने के लिए पैदा हुए हैं। एक समय ऐसा भी था, जब बिंदर दनौदा का साथ परिवार के लोगों ने भी नहीं दिया था लेकिन इस समय हरियाणा ही नहीं, विदेश धरती पर भी बिंदर दनौदा के गानों की धूम मच रही है।

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बिंदर दनौदा ने हरियाणवी गाने लिखने से शुरुआत की थी लेकिन आज गायिकी से लेकर मॉडलिंग में बिंदर दनौदा अपनी अनूठी पहचान बनाए हुए हैं। बचपन में बिंदर दनौदा अपने दादा के साथ रहते थे। उनके दादा टेपरिकार्डर रखते थे, जिसमें वह हरियाणवी रागनी, किस्से सुनते रहते थे। वहीं से बिंदर दनौदा को गाने का शौक पैदा हुआ। 10वीं कक्षा गांव के सरकारी स्कूल से करने के बाद परिवार के लोगों ने उन्हें सिरसा होस्टल में पढ़ाने के लिए भेज दिया। वहां पर लेखक रमेश चहल के संपर्क में बिंदर दनौदा आए। बिंदर दनौदा का वहां मन नहीं लगा तो रमेश चहल ने उन्हें वहां से निकालने का मन बनाया। उस दौरान रमेश चहल ने उनके अंदर छिपी प्रतिभा को पहचाना और उसे गाने लिखने तथा गाने के लिए प्रेरित किया। बीएससी हिसार के राजकीय कॉलेज से करने के बाद बिंदर ने छोटी-मोटी कविताएं लिखनी शुरू कर दीं।

रॉयल ब्लड गाने की शूटिंग के दौरान सर छोटूराम के रोल में दायीं तरफ बैठे बिंदर दनौदा।

परिवार वालों ने भी नहीं दिया था साथ

बिंदर दनौदा बताते हैं कि एक समय ऐसा भी था, जब उन्होंने गाने लिखने के लिए परिवार वालों को बताया था तो उन्होंने डांट दिया था। यहांं तक कि घर वालों से अलग होने तक की नौबत आ गई थी। लेकिन घर वालों से छिपकर गाने लिखता और गाता रहा। गांव में दादा रामसर तीर्थ पर पहली भक्ति एलबम बनाई तो उसकी चारों तरफ प्रशंसा हुई। बड़े कलाकारों के मुंह से खुद की प्रशंसा सुनकर बिंदर दनौदा उत्साहित हुए और 2012 में प्रोफेशनली गाने लिखने लगे। हरियाणवी गाने के जिंदल के ब्याह रखी है... से उन्हें पहचान मिली। उसके बाद सपना चौधरी के साथ आए आज्या मैं तेरे लाड़ लड़ाऊं गाने के बाद हर तरफ बिंदर दनौदा का डंका बजने लगा। हरियाणा दिवस पर आस्ट्रेलिया से भी बिंदर दनौदा को बुलावा आया और वहां पर बिंदर दनौदा ने परफॉर्मेंस दी।

कलाकार नहीं होता तो कुछ भी नहीं होता : बिंदर

बिंदर दनौदा ने कहा कि अगर वह कलाकार नहीं होते तो सायद कुछ भी नहीं होते। हरियाणवी गानों के माध्यम से उन्होंने नशे पर चोट की तो वहीं भाई-बहन, माता-पिता के रिश्तों पर भी खूब कलम चलाई। तीन महीने पहले दीनबंधु सर छोटूराम पर फिल्माए रॉयल ब्लड गाने ने विदेशों तक में धूम मचाई। अभी अफीम और महाराजा सूरजमल पर भी बिंदर दनौदा के गाने रिलीज होने वाले हैं तो चौधर नाम से वेब सीरिज आने वाली है।

हरियाणवी इंडस्ट्री को आगे ले जाने की तमन्ना

बिंदर दनौदा ने कहा कि हरियाणवी इंडस्ट्री को क्षितिज तक ले जाने की उनकी तमन्ना है। एक दिन हरियाणवी इंडस्ट्री को भी बालीवुड के बराबर का दर्जा मिलेगा। बिंदर ने बताया कि बहुत जल्द दीप सिसाय के बैनर तले किसानों के मसीहा सर छोटूराम फिल्म का निर्देशन किया जाएगा, जिसे बॉलीवुड के स्तर पर लांच किया जाएगा। छोटूराम के जीवन पर यह पहली ऐतिहासिक और बड़ी फिल्म होगी। इसके अलावा 1857 की क्रांति में शहीद हुए हरियाणा के शहीदों को भी गानों के माध्यम से लोगाें के सामने लाया जाएगा।

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