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गृहमंत्री अनिल विज के जिले अंबाला से एचएपी की दोनों बटालियन छिनीं, बिना अनुमति भेजी थी दूसरे जिले में

अंबाला में एचएपी की दो बटालियन थीं। यमुनानगर के जयधर गांव में तनाव पर वहां भेजी गई थीं। इसके लिए डीजीपी कार्यालय की अनुमति नहीं ली गई। वहां कांस्टेबल ने आत्महत्या कर ली थी। सारा ठीकरा एएसआइ पर फोड़ दिया गया था।

By Umesh KdhyaniEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 11:51 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 11:51 AM (IST)
गृहमंत्री अनिल विज के जिले अंबाला से एचएपी की दोनों बटालियन छिनीं, बिना अनुमति भेजी थी दूसरे जिले में
अंबाला पुलिस को एचएपी की दो कंपनियां अतिरिक्त दी गई थीं।

दीपक बहल, अंबाला। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के गृह जिले से एचएपी की दोनों पुलिस बटालियन को वापस छीन लिया है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कार्यालय की अनुमति के बिना अधिकारियों ने अंबाला से यमुनानगर एचएपी की बटालियन को भेज दिया गया था। यहां कांस्टेबल राजेश ने आत्महत्या कर ली थी।

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इस मौत की जानकारी डीजीपी कार्यालय को मिली तो अंबाला और यमुनानगर पुलिस अधिकारियों से जवाब तलब किया गया। हालांकि, अधिकारियों ने यमुनानगर में कानून व्यवस्था बिगड़ने का तर्क दिया। लेकिन वरिष्ठ अधिकारी सहमत नहीं हुए। अंबाला एसपी कार्यालय के एएसआइ (सेना क्लर्क) को सस्पेंड कर दिया गया। इस मामले में पुलिस अधिकारियों को बचाकर सारा ठीकरा एएसआइ पर ही फोड़ दिया गया। उधर, एचएपी की दोनों बटालियन की फाेर्स को अंबाला जिले से रिलीव कर दिया गया है। जिले में कानून व्यवस्था बिगड़ने पर फाेर्स को तत्काल भेज दिया जाता था।

अंबाला को मिली थीं दो अतिरिक्त कंपनियां

जानकारी के अनुसार अंबाला जिला पुलिस को दो एचएपी की कंपनियां अतिरिक्त दे रखी थीं। किसान आंदोलन, पंजाब-हरियाणा सीमा या किसी कार्यक्रम में कोई खलल न डाले, इसके लिए एसपी कार्यालय से ही एचएपी को दो कंपनियों की ड्यूटी लगाई जा रही थी। सूत्रों का कहना है बकरीद पर कुर्बानी को लेकर यमुनानगर के छछरौली के गांव जयधर में दो समुदायों के बीच विवाद हो गया था। कानून व्यवस्था न बिगड़ जाए, इसलिए अंबाला से दो कंपनियां भेज दी गई थीं। हालांकि, डीजीपी कार्यालय से अनुमति मिलने के बाद ही फोर्स को दूसरे जिले भेजा जा सकता है। एसपी, अपने जिले में जवानों को कहीं भी तैनात कर सकते हैं।

कांस्टेबल की आत्महत्या के बाद उठा मामला

लेकिन, यहां पर मामला दूसरे जिले की कानून व्यवस्था से जुड़ा था फिर भी डीजीपी या एडीजीपी की बिना अनुमति फोर्स को भेजने का फैसला ले लिया गया। हालांकि, डीजीपी कार्यालय के संज्ञान में यमुनानगर के हालात बताए जाते तो भी अनुमति मिल जानी थी। यह मामला तब उजागर हुआ, जब कांस्टेबल राजेश ने यमुनानगर में आत्महत्या कर ली। बताते है बीते वीरवार रात ज्यादातर कर्मचारी पुलिस लाइन में लौट आए थे जिसमें राजेश भी शामिल था। शुक्रवार सुबह राजेश का कोई अपा-पता नहीं था। कर्मचारी उसकी तलाश करते हुए हाल में पहुंचे तो राजेश फंदे से लटका मिला था।

आनन-फानन में सेना क्लर्क को सस्पेंड किया

मृतक राजेश वर्ष 2018-19 में पुलिस में भर्ती हुआ था जो जींद का रहने वाला था। राजेश की मौत की सूचना जब पुलिस मुख्यालय गई तो आनन-फानन में सेना क्लर्क को सस्पेंड कर दिया गया। सेना क्लर्क ही पुलिस कर्मचारियों का तबादला या फिर फोर्स की इधर-उधर तैनाती करता है। लेकिन, सेना क्लर्क पुलिस अधिकारियों के बिना आदेश कोई फैसला नहीं लेता। अब कर्मचारी पर विभागीय जांच की तलवार लटक गई है।

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