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होमगार्ड विभाग में नेटवर्क ऐसा, ड्यूटी के लिए चलता पैसा Panipat News

हरियाणा में 14018 होमगार्ड के पद हैं। फिलहाल केवल 11000 जवान हैं। ड्यूटी पर 5000 जवान तैनात हैं। प्रदेश के 4000 जवान दिल्ली चुनाव में तैनात हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 05:27 PM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 05:27 PM (IST)
होमगार्ड विभाग में नेटवर्क ऐसा, ड्यूटी के लिए चलता पैसा Panipat News
होमगार्ड विभाग में नेटवर्क ऐसा, ड्यूटी के लिए चलता पैसा Panipat News

पानीपत/करनाल, जेएनएन। प्रदेश में होमगार्ड को अपनी ड्यूटी लगवाने के लिए रिश्वत देनी पड़ रही है और ऐसा न करने पर जवान को बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है। वर्षों से चल रहे इस खेल पर ब्रेक लगाने के लिए गृहमंत्री अनिल विज के प्रयास भी फेल हो चुके हैं। मिलीभगत का खेल इतना मजबूत है कि जानबूझ कर उच्चाधिकारी रोस्टर प्रणाली को ऑनलाइन नहीं होने दे रहे हैं। नतीजतन जिला कार्यालय स्तर पर रोस्टर सिस्टम होने के कारण जवानों को मजबूरन अपने अधिकारियों की शर्तों का पालना करना पड़ रहा है। वरना किसी अधिकारी की कोठी पर चाकरी करने को भेज दिया जाता है। बता दें कि 14 हजार होमगार्डों में से पांच हजार प्रदेश में तैनात हैं, जबकि चार हजार होमगाड्र्स इन दिनों दिल्ली चुनाव में सुरक्षा व्यवस्था संभाल रहे हैं। 

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क्या है रोस्टर सिस्टम

रोस्टर प्रक्रिया के तहत एक जवान की ड्यूटी तीन महीने तक रहती है और उसके बाद सर्कल के अनुसार दूसरे जवान को ड्यूटी दी जाती है। प्रदेश में 14 हजार होमगार्डों की ड्यूटी के लिए रोस्टर सिस्टम जिला स्तर पर तैयार किया जाता है और जवानों की ड्यूटी लगाने के बाद मुख्यालय को रिपोर्ट कर दी जाती है। साठगांठ के खेल में चहेते होमगार्डों को कोटे की आड़ में समय से पहले ड्यूटी पर तैनात कर दिया जाता है, जबकि हकदार होने के बावजूद दूसरे जवान को ड्यूटी नहीं मिल पाती है। करनाल के जिला कमांडेंट अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि ड्यूटी लगाने में अधिकारियों व नेताओं के दस फीसदी कोटे का पालन किया जाता है।

रोस्टर में चहेतों को तवज्जो

होमगार्ड यूनियन प्रदेशाध्यक्ष विकास कुमार रंगा ने बताया कि होमगार्ड के शोषण के विरोध में गृहमंत्री से मुलाकात कर अधिकारियों की मनमर्जी के बारे में अवगत करवाया गया है। रोस्टर सिस्टम जिला स्तर पर तैयार होने के कारण मुख्याधिकारी अपनी मनमर्जी से जवान की ड्यूटी रेगूलर कर देते हैं। अगर कभी होमगार्ड इसका विरोध करता है तो उसे बाहर का रास्ता दिखाया जाता है। मुख्य शहरों के चौराहों पर अपने चहेतों को ड्यूटी सौंपी जाती है और ड्यूटी के लिए हिस्सा तय किया जाता है। होमगार्ड विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते जानबूझकर रोस्टर सिस्टम को ऑनलाइन नहीं किया जा रहा है। हैरत की बात है कि सत्ताधारी नेताओं को जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है।

दो साल से कर रहे भ्रष्टाचार का विरोध

रोस्टर सिस्टम प्रणाली में भाइचारा, पैसा व सिफारिश का विरोध करने वाले सोनम कुमार और गौरव कुमार ने बताया कि ड्यूटी में बड़ा खेल चलता है। पैसे देने के साथ-साथ चापलूसी किए बिना ड्यूटी नहीं मिलती है। होमगार्ड अधिकारियों के तानाशाही रवैये से परेशान हैं। जो रकम नहीं देता, उसे मनपसंद ड्यूटी नहीं मिलती। पुलिस के साथ ड्यूटी करने वाले होमगार्ड भी शोषण का शिकार होते हैं। किसी प्रकार के ड्यूटी रोस्टर का पालन नहीं हो रहा। गड़बड़ी का विरोध करने पर अधिकारियों ने 31 अगस्त 2017 को हम दो लोगों को बाहर कर दिया था और अभी तक ड्यूटी नहीं दी जा रही है। गृहमंत्री अनिल विज को शिकायत देने के बावजूद ऊपर से नीचे तक बने रैकेट में कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है। 

जानता हूं, हो रही गड़बड़ी : डीजीपी

डीजीपी होमगार्ड पीआर देव ने बताया कि मैं बेहतर तरीके से होमगोर्ड ड्यूटी में हो रही गड़बडिय़ों को जानता हूं, जिला स्तर पर ड्यूटी लगाने में किसी तरह का कोटा नहीं होता है। गड़बड़ी की मुख्यालय में होमगार्ड द्वारा शिकायतें बढ़ रही हैं। रोस्टर सिस्टम को सेंटरलाइज ऑनलाइन प्रणाली से जोडऩे की प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। आने वाले समय में प्रदेश के 14 हजार होमगार्ड अपनी ड्यूटी ऑनलाइन देख सकेंगे। गौरव और सोनम के केस को मैं स्टडी करूंगा ताकि उन्हें जल्द ड्यूटी पर रखा जा सके।


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