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किसानों के लिए खुशखबरी, फसल अवशेष के लिए मिलेगा प्रति एकड़ एक हजार रुपये, बस करना होगा ये काम

हरियाणा (Haryana) और दिल्‍ली (Delhi) के लिए प्रदूषण का कारण बनी फसल अवशेष को लेकर‍ किसानों के लिए खुशखबरी है। अब सरकार की ओर से प्रति एकड़ एक हजार रुपये दिए जाएंगे। सरकार किसानों को लगातार जागरूक कर रही है।

By dd jhaEdited By: Anurag ShuklaPublished: Mon, 26 Sep 2022 04:59 PM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 04:59 PM (IST)
किसानों के लिए खुशखबरी, फसल अवशेष के लिए मिलेगा प्रति एकड़ एक हजार रुपये, बस करना होगा ये काम
ट्रैक्‍टर से मिट्टी में फसल अवशेष को मिलाता किसान।

पानीपत, जागरण संवाददाता। अब प्रदेश में किसानों को धान कटाई के बाद खेत में बचे फसली अवशेषों (फानों) को मिट्टी में मिलाने पर भी एक हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। पहले किसानों को फसली अवशेष खेत से बाहर निकालने और बले बनाने प एक हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती थी। सरकार की ओर से अब अवशेषों को मिट्टी में दबाने पर भी प्राेत्साहन राशि दिए जाने से जिला के करीब 55 हजार किसानों को फायदा मिलेगा।

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गौरतलब है कि जिला में 72 हजार हेक्टेयर यानि एक लाख 82 हजार एकड़ क्षेत्र में धान की फसल होती है। अगेती धान की कटाई शुरू हो गई है। हाथ के बजाय अब कंबाइन से अधिक धान की कटाई की जाती है। कंबाइन से कटाई के बाद खेतों में बड़े फाने बच जाते हैं। कई किसान मजबूरी में इसमें आग लगा देते हैं। इससे जहां पर्यावरण प्रदूषित होता है। वहीं जमीन की सेहत बिगड़ जाती है। जमीन को बंजर होेने सहित पैदावार कम होने का खतरा रहता है।

सरकार की पहल से किसानों में आई है जागरूकता

सरकार की सख्ती, अनुदान सहित कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के जागरूकता शिविर से दो सालों से अवशेष जलाने में काफी कमी आई है। सरकार सैटेलाइट से इस पर नजर रखती है। पकड़े जाने पर खेत मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाता है। किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र दिए जा रहे हैं। कस्टम हायरिंग सेंटर में अवशेष प्रबंधन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। पराली खरीदने के लिए जिले में तीन-चार सेंटर बनाए गए हैं। पराली के बले बनाकर बेचने और मिट्टी में दबाने पर अनुदान दिया जा रहा है। किसानों ने इसमें रुचि दिखानी शुरू कर दी है।

हायरिंग सेंटर पर मौजूद उपकरण

एक हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि के लिए किसानों को हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, रिवर्सिबल प्लो, जीरो ड्रिल आदि की मदद से फानों को खेत की मिट्टी में मिलाना होगा। अवशेष प्रबंधन के जीपीएस लोकेशन वाली तस्वीरों का रिकार्ड अपने पास रखना होगा। एग्रोहरियाणाडाटजीओवीडाटइन पोर्टल पर पंजीकरण भी करना होगा। ग्राम स्तरीय कमेटी इसका सत्यापन करेगी। जिला उपायुक्त की अध्यक्षता वाली कमेटी के अनुमोदन के बाद पात्र किसानों को प्रोत्साहन राशि का लाभ दिया जाएगा। किसान की फसल का मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर भी रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा।

किसानों के लिए फायदेमंद है योजना : एपीपीओ

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सहायक पौधा संरक्षण अधिकारी (एपीपीओ) डा. राजेश भारद्वाज ने बताया कि अवशेष प्रबंधन से पर्यावरण व मिट्टी की सेहत को मजबूती मिलेगी। किसानों को फायदा मिलेगा।


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