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नई किताबों की राह मुश्किल, पुरानी से ही बंटेगा ज्ञान, हरियाणा में चलेगा विशेष अभियान

कोरोना महामारी को देखते स्‍कूल खोलने के निर्णय अभी तक नहीं लिया जा सका है। वहीं बच्‍चों की पढ़ाई प्रभावित न होने इसके लिए शिक्षा विभाग ने कदम बढ़ाया है। बच्‍चों को किताबें दी जाएंगी। निदेशालय ने सभी डीईओ व डीईईओ को पत्र लिख दिए निर्देश।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 15 Jun 2021 08:28 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jun 2021 08:28 AM (IST)
नई किताबों की राह मुश्किल, पुरानी से ही बंटेगा ज्ञान, हरियाणा में चलेगा विशेष अभियान
छात्रों को पुरानी किताबों से चलाना होगा काम।

पानीपत, जेएनएन। कोरोना महामारी के बीच प्रदेश के राजकीय स्कूलों में पहली से आठवीं कक्षा तक के स्कूलों का खुलना और बच्चों में किताबों का बंटना मुश्किल दिख रहा है। ऐसे में बिन किताबें बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो, इसको लेकर स्कूल शिक्षा निदेशालय ने पुरानी किताबों के पारस्परिक आदान प्रदान को लेकर विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं। निदेशालय ने प्रदेश के सभी डीईओ व डीईईओ को पत्र लिखा है। हालांकि एक जून से शिक्षक पुस्तकों का आदान प्रदान करा भी रहे हैं।

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पिछले साल 50 लाख पुस्तकों का हुआ था आदान प्रदान 

शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की अनुपालना में प्रदेश के राजकीय स्कूलों में पढऩे वाले पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को निशुल्क किताबें मुहैया कराई जाती हैं। महामारी के बीच पिछले दो साल में ये संभव नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पिछले शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में शिक्षकों द्वारा विद्यार्थियों में पुस्तकों के पारस्परिक आदान प्रदान की प्रक्रिया को प्रोत्साहित किया गया। निदेशालय के आकड़ों के मुताबिक पिछले साल 50 लाख पुस्तकों का आदान प्रदान होने से नौ लाख विद्यार्थी लाभांवित हुए। ऐसे में खुद सीएम ने अभियान की सराहना की।

ये परंपरा पर्यावरण के लिए भी लाभकारी

निदेशालय का कहना है कि पुस्तकों का पारस्परिक आदान प्रदान काफी पुरानी परंपरा है। यह परंपरा पर्यावरण के लिए भी मददगार होगी। क्योंकि जिस पेड़ के कागज से पुस्तकें छपती हैं। वह उस पेड़ को काटकर ही प्राप्त होता है। जबकि आज के दौर में पेड़ों का संरक्षण अति अनिवार्य हैं। ऐसे में इस पारस्परिक आदान प्रदान से न केवल लाकडाउन में पुस्तकों की समस्या का हल निकलेगा, बल्कि पर्यावरण की मदद भी कर पाएंगे।

28 तक भरनी होगी गूगल फार्म पर जानकारी

निदेशालय ने अधिकारियों को स्कूलों में एसएमसी सदस्य व अभिभावकों के सहयोग से पुस्तकों के आदान प्रदान को सुनिश्चित करने के साथ बच्चों की पढ़ाई व पर्यावरण की सुरक्षा में योगदान देने के लिए कहा है। निदेशालय के मुताबिक पुस्तकों के आदान प्रदान की स्थिति का अवलोकन करने के लिए विभाग द्वारा गूगल फार्म बनाया गया है। ऐसे में सभी जिलों को अपनी सूचना 28 जून तक गूगल फार्म पर भरनी होगी।

अभियान के साथ ये सावधानी

--कक्षा अध्यापक, स्कूल मुखिया व एसएमसी सदस्य मिलकर उक्त कार्य को करेंगे।

--आदान प्रदान के दौरान कोई गतिविधि लाकडाउन को नकारात्मक रुप से प्रभावित न करे।

--पुस्तकों को लेते व देते समय सावधानी बरती जाए।

--पुस्तकों को कम से कम दो दिन तक ऐसे स्थान पर रखे, जहां कोई हाथ न लगाए।

--पुस्तक लेने के बाद साबुन से हाथ जरूर धोये।

--पुस्तक लेने व देने से पूर्व दूरभाष पर संपर्क करे।


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