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कपालमोचन मेला में पहुंचे सीएम मनोहर लाल, सरोवरों व मंदिरों में की पूजा, आरती में लिया हिस्सा

कार्तिक पूर्णिमा के दिन कपालमोचन मेला में मुख्यमंत्री मनोहर लाल पहुंचे। उन्‍होंने कपालमोचन ऋणमोचन व सूरजकुंड सरोवर पर पूजा अर्चना की। सभी को गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व की बधाई दी। अधिकारियों से कहा कपालमोचन के विकास का बनाएं प्लान।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Fri, 19 Nov 2021 06:18 PM (IST)Updated: Fri, 19 Nov 2021 06:18 PM (IST)
कपालमोचन मेले में पूजन अर्चन करते सीएम मनोहर लाल।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। कपालमोचन मेला में कार्तिक पूर्णिमा के दिन शुक्रवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कपालमोचन, ऋणमोचन व सूरजकुंड सरोवर पर पूजा अर्चना की। उन्होंने तीनों सरोवरों के जल का आचमन करते हुए सभी को गुरु नानक देव के प्रकाश पर्व की बधाई दी। इससे पहले वह गुरुद्वारा पहली व दसवीं पातशाही में भी गए। जहां पर उन्हें सिरोपा व स्मृति चिह्न भेंट किया गया। पूजा में उनके साथ शिक्षा एवं वन मंत्री कंवरपाल गुर्जर, अंबाला सांसद रत्न लाल कटारिया, कुरुक्षेत्र सांसद नायब सैनी, यमुनानगर विधायक घनश्यादास अरोड़ा व भाजपा जिलाध्यक्ष राजेश सपरा ने भी हिस्सा लिया।

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मनोहर लाल ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि 1977 से कपालमोचन में मेले के दौरान कोई मुख्यमंत्री नहीं आया तो मैंने आज होने वाली दो मुख्य बैठकों को रद करते हुए यहां आने का निर्णय लिया है। कपालमोचन के आने के बाद कोई दोबारा सत्ता का सुख प्राप्त नहीं करता इस पर उन्होंने कहा कि यह सब अंधविश्वास है। मेरे जैसा व्यक्ति इन सब बातों पर विश्वास नहीं करता। उन्होंने कपालमोचन के विकास के लिए अधिकारियों को प्लान बनाने को कहा। सीएम के कार्यक्रम के दौरान कुछ लोगों ने नारेबाजी भी की। किसान एकता के नारे लगाए।

मनोहर लाल ने कहा कि कपालमोचन से बहुत सी प्राचीन प्रथाएं जुड़ी हैं। महर्षि वेदव्यास ने यहां पर वेदों की रचना की। गुरु नानक देव व गुरु गोबिंद सिंह का भी यहां पर आगमन हुआ। र्तिक मास की पूर्णिमा का पर्व बहुत पवित्र होता है। तीर्थ स्थानों व नदियों के सरोवर में स्नान करके सब लोग अपने पापों का प्रायश्चित भी करते हैं। आज देव दीपावली का दिन है। साथ ही आज गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व भी है। इसके लिए मैं सभी को बधाई देता हूं। कपालमोचन से रणजीतपुर तक की सड़क को चौड़ा किया गया है। आदिबद्री तक करीब पांच किलोमीटर की सड़क को भी जल्द चौड़ा करेंगे।

इस बार कपालमोचन मेला आयोजन करने में बहुत कम समय मिला। परंतु प्रशासन ने काेरोना महामारी के बीच बहुत कम समय में मेला आयोजन की अच्छी तैयारी की है। कपालमोचन आने से दोबारा सत्ता में नहीं आते ऐसे अंधविश्वासों पर विश्वास नहीं करना चाहिए। पहले मुझे बताया गया था कि मधुबन ऐसा क्षेत्र है जहां पर 30 सालों में कोई मुख्यमंत्री नहीं गया। वहां भी मैं तीन बार जाकर आया हूं। इससे पहले भी मैं कपालमोचन में आदिबद्री के दर्शन करने के दौरान आ चुका हूं।

कपालमोचन में समाज के सभी वर्गों के मंदिर व गुरुद्वारा बने हैं। यह समाज की एकता का रूप हैं। कुरुक्षेत्र की तर्ज पर कपालमोचन का भी विकास किया जाएगा। कपालमोचन के साथ बिलासपुर, आदिबद्री, लोहगढ़, माता मंत्रा देवी, पंचमुखी हनुमान मंदिर लगते हैं। इन सब को जोड़ते हुए यमुनानगर के कलेसर से पंचकूला के कालका तक के क्षेत्र को तीर्थाटन व पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाएगा। कपालमोचन के विकास को लेकर भी संतों ने कुछ मांगे रखी हैं। उन्हें भी पूरा किया जाएगा


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