दल बदल के साथ बदले विधानसभा चुनावी समीकरण, थानेसर के बाद पिहोवा में जानिए असर Panipat News
पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा के साथ पिहोवा के गगनजोत सिंह ने भी कांग्रेस का दामन थाम लिया है। इससे थानेसर के साथ पिहोवा में भी विधानसभा चुनावी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी]। कुरुक्षेत्र जिला की दो विधानसभाओं से इनेलो के संभावित प्रत्याशी दिल्ली पहुंच कांग्रेस में शामिल हो गए। इससे दोनों हलकों में नए समीकरण उभरकर आए हैं। पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने तो पहले ही इनेलो से कन्नी काट ली थी, ऐसे में उनके कांग्रेस में शामिल होने के कयास लगाए जा रहे थे। दूसरी ओर पिहोवा हलके से इनेलो के सबसे मजबूत दावेदार पूर्व मंत्री जसविंद्र सिंह संधू के बेटे गगनजोत सिंह संधू तो एक दिन पहले ही पंजाबी धर्मशाला में आयोजित बैठक में इनेलो नेता अभय चौटाला के बगल में बैठे थे। वे भी अशोक अरोड़ा के साथ दिल्ली पहुंच कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा और सीएलपी लीडर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस का दामन थाम लिया। इससे साफ हो गया है कि इनकी आस्था अशोक अरोड़ा में थी।
अब कांग्रेस के हुए गगनजोत सिंह संधू
लंबे अरसे से इनेलो में राजनीति की पारी खेलने वाले स्व. जसविंद्र सिंह संधू के बेटे गगनजोत सिंह संधू ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। वह पिहोवा हलके से इनेलो के सबसे मजबूत दावेदार थे। गगनजोत के पिता पूर्व मंत्री जसविंद्र सिंह संधू ने अपनी साख के बलबूते ही 2014 के विधानसभा चुनावों में भाजपा की लहर के बावजूद इनेलो की टिकट पर जीत दर्ज कराई थी। उनकी इसी साख को देखते हुए गगनजोत संधू को विधानसभा के लिए मजबूत दावेदार माना जा रहा है। इसी के चलते कई बार उनके भाजपा में जाने की अटकलें भी चलती रहती थी। विधायक जसविंद्र संधू के निधन पर शोक व्यक्त करने पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी गगनजोत से बातचीत की थी, लेकिन अशोक अरोड़ा के कांग्रेस के पाले में चले जाने पर वह भी उनके साथ कांग्रेस के खेमे में पहुंच गए हैं। ऐसे में हलके में एक दम नये समीकरण उभर कर आए हैं। इससे पहले पूर्व मंत्री हरमोहिंद्र सिंह ही पूर्व सीएम हुड्डा के खेमे में सबसे मजबूत माने जा रहे थे।
थानेसर का मुकाबला हुआ रोचक
पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा के कांग्रेस में चले जाने पर थानेसर विधानसभा क्षेत्र का चुनाव भी रोमांचक हो गया है। इससे पहले कांग्रेस की धड़ेबाजी के चलते भाजपा विरोधियों को कोई मजबूत ठिकाना नजर नहीं आ रहा था। अब उन्हें थानेसर से कांग्रेस का सबसे मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है। वह इनेलो में लगातार 15 साल प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं और फिलहाल राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दिया है। साल 2014 के चुनावों में भी थानेसर सीट से वही दूसरे स्थान पर रहे थे। थानेसर हलके की राजनीति पर दैनिक जागरण ने पहले से ही इस तरह के समीकरण उभरने की संभावना जताई थी। आज अशोक अरोड़ा ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और दैनिक जागरण की बात भी सही साबित हुई है।