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जानिए हरियाणा के 35 गांवों को क्यों संभालनी पड़ी जल संरक्षण की जिम्मेदारी, भू-जल प्रबंधन का प्लान तैयार

जल संरक्षण करना भविष्य के लिए बेहद जरूरी है। हरियाणा के 35 गांवों में भू-जल प्रबंधन की समस्याओं को एकत्र कर जल संरक्षण की दिशा में कार्य आरंभ हुआ। इन गांवों में जल प्रबंधन की समस्याओं को एकत्रित किया जा रहा है।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 05 Jan 2022 03:36 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jan 2022 03:36 PM (IST)
हरियाणा के 35 गांवों ने संभाला जल संरक्षण का जिम्मा।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। कुरुक्षेत्र के अलट भू-जल योजना के तहत लाडवा खंड के 35 गांवों में जल प्रबंधन की समस्याओं को एकत्रित किया जा रहा है। इन समस्याओं पर मंथन करने के उपरांत जल संरक्षण में विशेष योगदान दिया जाएगा। खंड की अधिकांश गावों में  मुख्य समस्या गांव के तालाब की बदहाली और पशुओं के साथ-साथ घरेलू कचरे से आने वाले गंदे पानी से उसका जुड़ाव है। जिससे गांव के तालाब के पानी का प्रयोग न तो खेती के लिए हो रहा है और न ही पशुओं के पीने के लिए। सरकार की ओर से कुछ साल पहले पांच तालाब प्रणाली की स्थापना की गई थी। जिसके तहत भूमिगत-पाइप लाइन को दूसरे तालाब से जोड़ा गया था।

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ठीक से काम नहीं कर रही पाइप लाइन

दो तालाबों को जोड़ने वाली पाइप लाइन इसके शुरू होने के बाद से ठीक से काम नहीं कर रही है। इस समस्या के कारण  तालाब ओवरफ्लो हो जाता है और पानी की एक भी बूंद पांच तालाब प्रणाली तालाब में नहीं गिरती है। इस समस्या के चलते ग्रामीणों का सुझाव है कि अटल भू-जल योजना के तहत इस समस्या को जल सुरक्षा योजना में प्रस्तावित कर दोनों तालाबों की बदहाली को सुधारा जा सकता है। जल संरक्षण में सहयोग होगा। 

बोरवेल की स्थिति बेहद खराब

भू-जल विशेषज्ञ डा. नवीन नैन ने बताया कि तालाब के जीर्णोद्धार और गाद निकालने की समस्या गांव की जल सुरक्षा योजना में शामिल हो गई है। अधिकांश सार्वजनिक स्वास्थ्य बोरवेल की स्थिति बहुत खराब है और उनकी पाइप लाइन भी खराब स्थिति में है। नवीनतम भू-जल और सामाजिक जल विज्ञान सर्वेक्षण के दौरान बाढ़ की बुनियादी समस्याओं और गांव के तालाब, नाला और जल घर की पाइप लाइनों की खराब स्थिति की पहचान की जा रही है। उत्कृष्ट सर्वेक्षण के दौरान यह भी पाया जा रहा है कि गांव के तालाब के ओवरफ्लो होने से खतरनाक बीमारियां (डेंगू, हाइपेटेटस-सी) फैल रही हैं। डा. नैन ने बताया कि बारिश का पानी भी बहने में बर्बाद हो रहा है जिसे वर्षा जल संचयन संरचनाओं को अपनाकर संरक्षित और रिचार्ज भी किया जा सकता है। प्रत्येक गांव के लोग काफी सक्रिय हैं और जल सुरक्षा की उत्कृष्ट योजना बनाने के लिए वे जल पंचायत में भाग ले रहे है।


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