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माता अंजनी की तपोभूमि पर हर साल आता एक बंदर, तालाब में स्नान कर करता पूजन, देखने जुटते हजारों श्रद्धालु

Hanuman Jayanti 2022 करनाल से लगभग 22 किलोमीटर दूर अंजनथली नामक ग्राम में अंजनी तीर्थ स्थित है। इस प्राचीन तीर्थ का संबंध हनुमान की माता अंजनी से है। कहा जाता है कि माता अंजनी ने इस स्थल पर तपस्या की

By Rajesh KumarEdited By: Published: Fri, 15 Apr 2022 05:05 PM (IST)Updated: Fri, 15 Apr 2022 05:05 PM (IST)
माता अंजनी की तपोभूमि पर हर साल आता एक बंदर, तालाब में स्नान कर करता पूजन, देखने जुटते हजारों श्रद्धालु
Hanuman Jayanti News: यहां माता अंजनी ने की थी तपस्या।

करनाल, जागरण संवाददाता। हनुमान जयंती का त्योहार देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भगवान हनुमान की पूजा अर्चना करने का विशेष महत्व है। करनाल में नीलोखेड़ी क्षेत्र के अंतर्गत और करनाल से लगभग 22 किलोमीटर दूर अंजनथली नामक ग्राम में अंजनी तीर्थ स्थित है। इस प्राचीन तीर्थ का संबंध हनुमान की माता अंजनी से है। कहा जाता है कि माता अंजनी ने इस स्थल पर तपस्या की, इसलिए कालांतर में इसका नाम अंजनथली पड़ गया। लोक कथाओं और स्थानीय मान्यताओं के अनुसार यहां हर दूसरे साल मंगलवार के दिन एक वानर पास स्थित तालाब में स्नान करने आता है और फिर चला जाता है।

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गांव में नहीं है कोई बंदर

जबकि वास्तविकता में इस गांव के आस-पास कहीं भी बंदर नहीं मिलते। श्रद्धालुजन उस वानर को बजरंग बली का रूप मानते हैं। लोक मान्यताओं के अनुसार यदि इस तीर्थ के पास स्थित तालाब के पानी का उपयोग खेती के लिए किया जाए तो फसल सूख जाती है। इसे भी चमत्कारिक दृष्टिकोण से देखा जाता है। वहीं, स्थानीय लोगों में मान्यता है कि आंखों में अंजनहारी या अन्य नेत्र रोग होने पर यदि इस पानी को आंखों में लगाया जाए तो शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिलता है। 

हनुमान जयंती पर जुटते हैं श्रद्धालु

हर साल हनुमान जन्मोत्सव पर यहां आसपास के क्षेत्रों से काफी श्रद्धालु जुटते हैं और पूर्ण विधि-विधान से पूजा-अर्चना करते हैं। तीर्थ परिसर में शोध-अनुसंधान के तहत यहां एक प्रस्तर निर्मित चौखट के भग्नावशेष भी मिल चुके हैं, जिससे यहां प्रतिहार कालीन यानि लगभग 9-10वीं शती ईसवी में प्रस्तर निर्मित मंदिर अवस्थित होने की पुष्टि होती है। हालांकि, अभी भी यहां इस दिशा में काफी कार्य होना बाकी है। हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई प्रमुख धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों पर पुरातात्विक अनुसंधान में सहभागी रहे इतिहासवेत्ता राजीव उपाध्याय बताते हैं कि यह निस्संदेह एक प्राचीन तीर्थ है, जिससे जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के आलोक में अनुसंधान कार्य को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।


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