लोग कहते हैं- वो देखो जा रही हैंडबॉल वाली श्वेता, गरीबी को लांघकर बनीं चैंपियन
जींद में नॉर्थ जोन इंटर यूनिवर्सिटी हैंडबॉल चैंपियनशिप। आठवीं कक्षा से खेलना शुरू किया था श्वेता ने। पिता की मौत के बाद मां के साथ परिवार को संभाला और अपना हुनर भी दिखाया।
जेएनएन, पानीपत - खेल के प्रति जुनून ही खिलाड़ी को आगे ले जाता है। आपको मिलाते हैं एक ऐसी हैंडबॉल की खिलाड़ी से, जिसने गरीबी को लांघकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति हासिल की। वक्त भी इतना मुश्किल था कि कुछ वर्ष पहले पिता का देहांत हो गया। घर पर बड़ा संकट आ गया। मां के साथ परिवार को भी संभाला और अपना हुनर भी दिखाया। इनका नाम है श्वेता। पढे़ं खिलाड़ी की ये रियल स्टोरी।
राजकीय महिला कॉलेज की बीए फाइनल वर्ष की छात्रा श्वेता सीआरएसयू की तरफ से नॉर्थ जोन इंटर यूनिवर्सिटी हैंडबॉल चैंपियनशिप में खेल रही हैं। उनका गांव किलाजफरगढ़ है और फिलहाल जींद शहर के शिव कॉलोनी में रहती हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता दलबीर निजी वाहनों पर ड्राइवरी करके परिवार चला रहे थे। उनका साल 2010 में कैंसर की बीमारी के चलते उनका निधन हो गया था। इससे परिवार पूरी तरह से टूट गया था।
आठवीं कक्षा से खेलना शुरू किया
मां नन्ही देवी ने जैसे-तैसे परिवार को संभाला। श्वेता की दो बहनें और एक भाई है। श्वेता से छोटी बहन सोनिया भी हैंडबॉल खिलाड़ी है। श्वेता ने आठवीं कक्षा में हैंडबॉल खेलना शुरू किया और उसके बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। साल 2016 में बांग्लादेश में हुए इंटरनेशनल हैंडबॉल फेडरेशन में देश के लिए खेलते हुए गोल्ड मेडल जीता। फिलहाल वे एशियन गेम्स के लिए कैंप में सीनियर इंडियन टीम का हिस्सा हैं।
उपलब्धियां
वहीं अन्य उपलब्धियों में मिनी नेशनल खेलों में गोल्ड, पाइका में गोल्ड, स्कूल गेम में सिल्वर, सब जूनियर में सिल्वर, सीनियर नेशनल में गोल्ड मेडल, जूनियर नेशनल में गोल्ड व आल इंडिया गेम्स में गोल्ड मेडल व नॉर्थ जोन सीनियर गोल्ड जीता। कुछ माह पहले उन्हें प्रदेश सरकार द्वारा तीन लाख रुपये की राशि देकर सम्मानित भी किया गया।