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गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस. कैथल के श्री मंजी साहिब गुरुद्वारा में आए थे सिखों के नौंवे गुरू

गुरुद्वारा मंजी साहिब के हेड ग्रंथी साहिब सिंह ने बताया कि ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार करीब 600 साल पहले सिखों के नौंवे गुरु श्री तेग बहादुर सिख धर्म को लेकर प्रचार कर रहे थे। मालवे की धरती पर प्रचार करने के बाद वह कैथल में भी पहुंचे थे।

By Rajesh KumarEdited By: Published: Wed, 24 Nov 2021 03:49 PM (IST)Updated: Wed, 24 Nov 2021 03:49 PM (IST)
सिखों के नौंवे गुरू तेग बहादुर ने कैथल में किया था प्रचार।

कैथल, जागरण संवाददाता। कैथल के श्री मंजी साहिब गुरुद्वारा आकर्षण का केंद्र हैं। यह शहर का ऐसा गुरुद्वारा है जहां स्वयं सिखों के नौंवे पातशाह ने प्रचार के दौरान लोगों को प्रवचन दिया था। गुरु तेग बहादुर के यहां पहुंचने के कारण गुरुद्वारे की काफी मान्यता है। यहां पर सिखों के गुरुओं के प्रकाश पर्व पर भव्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। यहां पर देश स्टील का गुरुद्वारे बनाने का प्रस्ताव था। परंतु इस प्रस्ताव पर मोहर नहीं लग पाई और यहां पर गुुरुद्वारा के दो मंजिला नए भवन का निर्माण किया जा रहा है। जिसके अगले एक साल तक पूरा होने की संभावना है। 

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यह है गुरुद्वारे का इतिहास

गुरुद्वारा मंजी साहिब के हेड ग्रंथी साहिब सिंह ने बताया कि ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार करीब 600 साल पहले सिखों के नौंवे गुरु श्री तेग बहादुर सिख धर्म को लेकर प्रचार कर रहे थे। मालवे की धरती पर प्रचार करने के बाद वह बांगर की धरती यानि हरियाणा में आए तो कैथल में भी पहुंचे थे। उस समय कई तरखान सिख की उनके अनुयायी थे। हरियाणा में सबसे पहले वह जींद जिले के धमतान साहिब में पहुंचे थे। उस समय कैथल के एक तरखान सिख जुगल सिंह उन्हें कैथल में लेकर आए। उनके कैथल आने के बाद गुरुजी ने डोगरा गेट स्थित नीम साहिब और श्री मंजी साहिब में एक दिन तक विश्राम किया था। इस दौरान श्री मंजी साहिब गुरुद्वारा में प्रवचन भी किया था। इस दौरान यहां रहने वाले सेठ परिवारों ने गुरु की महिमा का बखान किया। तब गुरु जी ने भविष्यवाणी की थी कि यहां पर कीर्तन, लंगर और कथा लगातार चलेगी। जिसके बाद से यहां पर लगातार कीर्तन, लंगर और कथा चल रही है। 

वर्तमान में यह है स्थिति

गुरुद्वारा में नए भव्य भवन का निर्माण किया जा रहा है।गुरुद्वारा परिसर के सामने लंगर हाल में गुरु ग्रंथ साहिब विराजमान किए गए हैं। गुरुद्वारे की बस स्टैंड दूरी करीबी चार किलोमीटर है जबकि रेलवे स्टेशन से तीन किलोमीटर की दूरी है। यहां पर बस स्टैंड से आटो पर कमेटी चौक और रेलवे स्टेशन से माता गेट पहुंचकर गुरुद्वारे में पहुंचा जा सकता है। 

कवि संतोख सिंह ने लिखा है गुरु प्रताप सूरज ग्रंथ

कैथल की रियासत के अंतिम हिंदू प्रशासक राजा भाई उदय सिंह के दरबारी कवि संतोख सिंह ने भी गुरु तेग बहादुर की महिमा का बखान किया है। उन्होंने गुरु का बखान करते हुए गुरु प्रताप सूरज ग्रंथ लिखा है। उन्होंने यह ग्रंथ 18वीं सदी में लिखा था।


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