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जान अब्राहम की टीम से खेलेगा गुरमीत

जींद के मोलखेड़ा गांव का किसान राजबीर चहल अपने बेटे गुरमीत ¨सह को पहलवान बनाना चाहता था। अखाड़े में भी छोड़ा। गुरमीत को तो रोनाल्डो की तरह मैदान में फुटबॉल को पैरों से नचाना पसंद था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Aug 2018 09:37 AM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2018 09:37 AM (IST)
जान अब्राहम की टीम से खेलेगा गुरमीत
जान अब्राहम की टीम से खेलेगा गुरमीत

विजय गाहल्याण पानीपत:

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जींद के मोलखेड़ा गांव का किसान राजबीर चहल अपने बेटे गुरमीत ¨सह को पहलवान बनाना चाहता था। अखाड़े में भी छोड़ा। गुरमीत को तो रोनाल्डो की तरह मैदान में फुटबॉल को पैरों से नचाना पसंद था। बेटे की जिद के सामने पिता हार गए और उसे फुटबॉल खेलने की अनुमति दी। अब गुरमीत का नार्थ-ईस्ट यूनाइटेड फुटबॉल क्लब गुवाहाटी के साथ तीन साल का करार हुआ है। दुबई में अभ्यास होगा। यह टीम फिल्मी सितारे जान अब्राहम की है। गुरमीत हरियाणा के इकलौते खिलाड़ी हैं, जिनका फुटबॉल क्लब में चयन हुआ है। कोच जोगेंद्र भौक्कर ने रविवार को मीडिया क्लब में यह जानकारी दी। गुरमीत गोलकीपर है।

गुरमीत ¨सह 2016 में सुब्रतो फुटबॉल कप में बेस्ट गोलकीपर चुने गए। इसके अलावा उन्होंने 8 से 16 सितंबर 2017 को ईरान में हुई एशियन स्कूल गेम्स में फुटबॉल टीम की कप्तानी भी की। जान अब्राहम ने गुरमीत को खेलते देखा और उसके मुरीद हो गए। तभी से 18 वर्षीय गुरमीत को अपनी टीम में शामिल करने की ठानी ली।

कोच ने बदल दी ¨जदगी : गुरमीत ¨सह का कहना है कि खेती से पिता मुश्किल से घर का गुजारा चला पाते हैं। खेल का खर्च चलाना उनके बूते नहीं था। वह गांव में रहकर कभी फुटबॉल का खिलाड़ी नहीं बन पाता। छह साल पहले पिता ने उसे पानीपत के दिवाना गांव स्थित मजेस्टिक फुटबॉल एकेडमी में कोच जोगेंद्र भौक्कर के पास छोड़ दिया। कोच जोगेंद्र ने मुफ्त में ट्रे¨नग दी, डीपीएस पानीपत के प्रो. वाइस चेयरमैन अमित राणा ने मुफ्त शिक्षा और इम्पैक्ट स्टार के मालिक मोहम्मद ओवेस ने जूते व पोशाक मुहैया कराई। केके सांगवान और प्रदीप कादियान ने तकनीक में सुधार कराया। इन्हीं ने उसकी ¨जदगी बदल दी। वह कभी नेशनल स्तर पर भी खेलने की उम्मीद नहीं रखता था अब उसे विदेश के बड़े खिलाड़ियों के साथ खेलने का मौका मिल रहा है। नौ महीने से चीनी नहीं खाई, नौ घंटे करता है अभ्यास

कोच जोगेंद्र भौक्कर ने बताया कि गुरमीत ¨सह सुबह तीन, दिन में दो और शाम को चार घंटे अभ्यास करता है। उसकी यही लगन उसे अन्य खिलाड़ियों से अलग करती है। गुरमीत ने नौ महीने से चीनी व इससे बने खाद्य पदार्थ नहीं खाए। चीनी से मोटापा बढ़ता है और स्टेमिना भी कम होता है।

गुरमीत की ये हैं उपलब्धि -स्कूल फुटबॉल नेशनल प्रतियोगिता में शिरकत की।

-स्कूल स्टेट फुटबॉल चैंपियनशिप में तीन स्वर्ण पदक।

-तीन बार सुब्रतो फुटबॉल प्रतियोगिता में शिरकत की।


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