राज्यपाल की जीरो बजट खेती के कायल कृषिमंत्री और प्रधानमंत्री भी
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने दी जीरो बजट खेती की परिकल्पना।
बृजेश द्विवेदी, कुरुक्षेत्र
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और हरियाणा केकुरुक्षेत्र स्थित गुरुकुल शिक्षण संस्थान के संरक्षक आचार्य डॉ. देवव्रत की जीरो बजट प्राकृतिक खेती का फार्मूला उम्मीद की नई किरण के रूप में सामने आया है। इस विधि से खेती के सामने आए सकारात्मक परिणामों ने न सिर्फ किसानों की आमदनी को दोगुना करने का रास्ता दिखाया है, बल्कि पर्यावरण, जल संरक्षण और गोरक्षण जैसे मसलों का हल भी सुझाया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी तारीफ कर चुके हैं। कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई केंद्रीय मंत्री भी गुरुकुल का दौरा कर जीरो बजट खेती के फायदों से परिचित हो चुके हैं। चार जनवरी को केंद्र के निमंत्रण पर डॉ. देवव्रत इस विधि से होने वाली खेती के फायदों पर संसद भवन में भाषण दे चुके हैं।
इसलिए किया प्राकृतिक खेती की ओर रुख:
आचार्य डॉ. देवव्रत ने बताया कि एक दशक पूर्व वह बीमार पड़े तो लंबे इलाज के बाद ही ठीक हुए। बीमारी को लेकर जब उन्होंने डाक्टरों से चर्चा की तो एक ही कारण बार-बार सामने आया कि खेतों में रासायनिक खाद के कारण हम अनाज या सब्जी के रूप में जहर खा रहे हैं। इसके बाद उन्होंने जैविक खेती की ओर कदम बढ़ाए। उन्होंने इसकी शुरुआत गुरुकुल की अपनी 200 एकड़ भूमि से की। खेती का जब फायदा दिखा तो प्रचार-प्रसार शुरु किया। आचार्य कहते हैं कि मनुष्य को जहरीले भोजन से बचाने व किसानों को समृद्ध बनाने के लिए ही उन्होंने यह मुहिम छेड़ी है।
ये है जीरो बजट खेती की विधि:
एक एकड़ जमीन के लिए जैविक खाद जीवामृत बनाने के लिए 200 लीटर पानी में 10 किलो देसी गाय का गोबर, पांच से 10 लीटर गोमूत्र, एक से डेढ़ किलो गुड़, एक से डेढ़ किलो बेसन, थोड़ी खेत की मिट्टी मिलाकर इसका एक घोल बना लें। घोल को एक टंकी में रखकर दो-तीन मिनट तक हिलाएं और इसके बाद इसे बोरी से ढक कर 72 घटे के लिए छाव में रख दें। सुबह शाम घोल को दो-दो मिनट के लिए हिलाते रहें। इस घोल को सप्ताह के अंदर प्रयोग से बेहतर परिणाम मिलेंगे। फसलों को बीमारी से बचाने का भी तैयार किया फार्मूला बड़ी सुंडियों व इल्लियों के खात्मे के लिए ब्रह्मास्त्र है। देसी गाय का मूत्र 10 लीटर, नीम के पत्ते पांच किलोग्राम, नीम, आम, अमरूद, अरंडी, पपीते के पत्तों की चटनी दो-दो किलोग्राम। वनस्पतियों के पत्तों की चटनी को गोमूत्र डालकर धीमी आच पर उबाल आने तक गर्म करें। 48 घटे के लिए ठंडा होने के लिए रख दें। ढाई से तीन लीटर घोल को 100 लीटर पानी में मिला लें और एक एकड़ फसल पर इसका उपयोग करें।
लोकसभा में आचार्य:
आचार्य डॉ. देवव्रत देश के पहले राज्यपाल हैं जिन्होंने लोकसभा के सभागार में जैविक कृषि पर कार्यशाला में सासदों को संबोधित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के बुलावे पर चार जनवरी को जैविक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
--------- हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल और हरियाणा केकुरुक्षेत्र स्थित गुरुकुल शिक्षण संस्थान के संरक्षक आचार्य डॉ. देवव्रत की जीरो बजट प्राकृतिक खेती का फार्मूला उम्मीद की नई किरण के रूप में सामने आया है। इस विधि से खेती के सामने आए सकारात्मक परिणामों ने न सिर्फ किसानों की आमदनी को दोगुना करने का रास्ता दिखाया है, बल्कि पर्यावरण, जल संरक्षण और गोरक्षण जैसे मसलों का हल भी सुझाया है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसकी तारीफ कर चुके हैं।