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2025 तक टीबी की बीमारी के खत्मे पर जोर, रोगियों के लिए सरकार ने जारी किया एप

सरकार ने टीबी रोगियों के लिए एप जारी किया है। सरकार का 2025 तक टीबी बीमारी का खात्‍मे पर जोर है। एप में पंजीकरण से मरीजों को इलाज और जांच की मिलेगी जानकारी। मोबाइल एप की सहायता से नजदीकी केंद्र और इलाज की सुविधा की जानकारी मिल जाएगी।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 08:29 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 08:29 AM (IST)
टीबी रोगियों के लिए एप जारी किया गया।

अंबाला, जागरण संवाददाता। देश से वर्ष 2025 तक टीबी के खात्मे के लिए शुरू किए गए प्रयासों में एप जारी हुआ है। टीबी मरीजों की सुविधा के लिए केंद्र सरकार ने टीबी आरोग्य साथी एप लांच किया है। इस मोबाइल एप की सहायता से कोई भी नजदीकी जांच केंद्र व इलाज की सुविधा वाले अस्पताल या क्लीनिक के बारे में जानकारी मिलेगी।

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नागरिक अस्पताल छावनी की डा. चित्रा ने बताया कि केंद्र सरकार ने देश से टीबी की समाप्ति के लिए जो समय सीमा निर्धारित की है, उसे देखते हुए विभाग द्वारा कई तरह के कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। इसके तहत लोगों को टीबी के प्रति जागरूक करते हुए उन्हें बीमारी के लक्षण के बारे में बताया जा रहा है। अगर किसी में लक्षण है तो उसकी जांच कराई जाती है। जांच में पाजिटिव पाए जाने पर उसका पंजीकरण कर इलाज शुरू कराया जाता है। अब मोबाइल एप की सहायता से भी लोगों को कई तरह की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। कोई भी अपने प्ले स्टोर की सहायता से टीबी आरोग्य साथी एप डाउनलोड कर सकता है।

इस एप के जरिए टीबी से संबंधित कई तरह की आवश्यक सूचना हासिल की जा सकती है। इस एप के जरिए टीबी के संबंध में आवश्यक जानकारी हासिल की जा सकती है। कहा जांच व इलाज की सुविधा है तथा टीबी के मरीज के न्यूट्रीशन के लिए क्या आवश्यक है, सब जानकारी एप पर मौजूद है। टेलीकंसल्टेशन की भी सुविधा यहां पर उपलब्ध है। एप की सहायता से निःक्षय पोर्टल पर पंजीकरण कराया जा सकता है। इसका लिंक नजदीकी टीबी जांच केंद्र को भेजकर वहां उपलब्ध जांच की सुविधा का लाभ उठाया जा सकता है।

पंजीकरण के बाद मिलती है इलाज की सुविधा

टीबी की जांच में रिपोर्ट पाजिटिव पाए जाने के बाद विभाग द्वारा मरीज का पंजीकरण निःक्षय पोर्टल पर किया जाता है। इस पोर्टल पर पंजीकरण होने के साथ ही मरीज का इलाज शुरू हो जाता है। समय-समय पर इलाज से संबंधित फीडबैक फील्ड स्टॉफ द्वारा लिया जाता है। इलाज के दौरान मरीज को पोषण भत्ता भी दिया जाता है। इलाज के बाद जांच रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी फालोअप जारी रहता है।


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