ऐसे खेला जी जान से, गरीबी को मात दे यूं बना चैंपियन
कभी खेल के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। उसने कुश्ती सीखी, लेकिन मन नहीं लगा। वह हैंडबॉल सीखना चाहता था। गरीबी ने उसकी राह रोकी। दोस्तों ने मदद की तो प्रतिभा को निखार चैंपियन बन गया।
पानीपत, जेएनएन। कहते हैं अगर कुछ कर गुजरने की चाहत हो तो भगवान भी उसका साथ देते हैं। कुछ ऐसा ही हुआ इस खिलाड़ी के साथ। कभी खेल सीखने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। उसने कुश्ती खेलनी शुरू कर दी। मन नहीं लगा, लेकिन हैंडबॉल के लिए उसके पास पैसे नहीं थे। दोस्तों ने मदद की तो उसने अपनी मेहनत के दम पर नाम कमाया। एक के बाद मेडल अपने नाम किया और हैंडबॉल में चैंपियन बन गया। जानिए उस खिलाड़ी की कहानी, इस रिपोर्ट में।
अहर गांव के नीरज कुमार ने परिवार की आर्थिक तंगी में खुद को साबित करते हुए स्कूली नेशनल प्रतियोगिता की हैंडबॉल में गोल्ड मेडल जीता है। नीरज खुद बताते हैं कि उसके पास कभी खेलों में जाने के लिए किराया तक नहीं था। दोस्तों ने उसका सहयोग किया। उसका सपना अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलकर देश की झोली में गोल्ड मेडल लाने का है।
अंडर-14 में जीता गोल्ड मेडल
अहर गांव निवासी नीरज कुमार ने बताया कि वह उग्राखेड़ी गांव स्थित भट्टाचार्य पब्लिक स्कूल की आठवीं कक्षा में पढ़ता है। उसने हिसार में 9 से 14 जनवरी को आयोजित 64वीं स्कूली नेशनल टूर्नामेंट में भाग लिया। वह अंडर-14 आयु वर्ग में गोल्ड मेडल लाने में कामयाब रहा।
छोटी बहन भी हैंडबॉल की खिलाड़ी
नीरज कुमार ने बताया कि वे तीन भाई बहन हैं। दो बहन छोटी हैं। उसकी छोटी बहन मनु हैंडबॉल की खिलाड़ी है। पिता कृष्ण कुमार खेती करते हैं और मां नीलम गृहिणी हैं। उसने अपने माता-पिता, चाचा महाबीर और मौसी नीतू और स्कूल संचालक अशिताभ को श्रेय दिया है। उसके पिता खेलों में जाने से इन्कार कर देते थे, लेकिन उसकी मां उसको खेलों में भेजती थी।
कुश्ती छोड़ हैंडबॉल सीखा
नीरज कुमार ने बताया कि उसका बचपन में कुश्ती का शौक था। वह गांव के अखाड़े में मेहनत भी करता था, लेकिन कुश्ती में आगे नहीं बढ़ पाया। उसके दोस्तों ने उसको दूसरे खेल में आगे आने के लिए प्रेरित किया। वह फिर हैंडबॉल में आगे आया। वह अब गांव में रामपाल पहलवान से प्रशिक्षण ले रहा है। उसके दोस्त सावन, जतिन और अजय उसके पदक से बहुत खुश हैं।