कैद बचपन को दिलाई अभिव्यक्ति की आजादी
राज ¨सह, पानीपत कहने के लिए तो बाल कल्याण समिति की सदस्य हैं। बाल हित में काम करना उनका कर्तव्य है।
राज ¨सह, पानीपत
कहने के लिए तो बाल कल्याण समिति की सदस्य हैं। बाल हित में काम करना उनका कर्तव्य है। लीक से हटकर बच्चों के जीवन में आशा की किरण पहुंचातीं किरण मलिक। करीब ढाई साल में 40-50 बच्चों को मौके पर जाकर बाल श्रम से मुक्त कराया। हक के बोल बोलना सिखाया। सौतेले पिता की हवश का शिकार नाबालिग को आरोपित कि खिलाफ बोलने का साहस प्रदान किया। घटनाक्रमों के दौरान कई बार उन्हें भीड़ ने घेरा लेकिन वे डरकर नहीं बैठीं, आवाज उठाती रहीं।
नांगलखेड़ी गांव की रहने वाली किरण मलिक ने बताया कि उन्होंने 12 सितंबर 2016 को बाल कल्याण समिति में बतौर सदस्य ज्वाइन किया। मकसद सिर्फ नौकरी करना नहीं बल्कि बच्चों के हित की आवाज को बुलंद करना था। तीन मामले जहां मलिक बनीं आशा की किरण 1. झारखंड की किशोरी को बचाया, आरोपितों को सजा दिलाई
किरण ने 21 दिसंबर 2016 को झारखंड निवासी एक किशोरी को सींक गांव से मुक्त कराया था। किशोरी बहुत दबाव में थी। किरण मलिक ने काउंसि¨लग करते हुए उसे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। किशोरी ने जब बयान दिए तो पूरा मामला मानव तस्करी से जुड़ा निकला। उसे सोनीपत के बख्तावरपुर गांव निवासी दलाल ईदू ने सींक निवासी अनिल को 70 हजार रुपये में बेचा था। इस मामले में कोर्ट ने इसी माह दोनों को 10-10 साल की सजा सुनाई है। 2. भीड़ ने घेरा, हाथापाई की थी नौबत लेकिन पीछे नहीं हटीं
दिसंबर 2018 के अंत में सूचना मिली कि सेक्टर-29 की एक कंपनी में बालश्रम कराया जा रहा है। मलिक ने इस बाबत पुलिस और श्रम विभाग के अधिकारियों को सूचना नहीं दी। सीधे कंपनी में छापा मार दिया। वहां से तीन बच्चों को बाल श्रम से मुक्त कराया। इस दौरान भीड़ ने उन्हें घेर लिया और हाथापाई पर उतारू हो गई। हालांकि, किरण ने हिम्मत नहीं हारी और बच्चों को साथ लेकर ही वापस लौटीं। 3. बेटी का सौदा करने वाले को जेल पहुंचाया, पीड़िता को भी आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया
सौतेले पिता द्वारा नाबालिग बेटी से दुष्कर्म और उसे डेढ़ लाख रुपये में किसी युवक को बेचने का मामले में भी किरण मलिक की बहादुरी को सराहा गया। 18 जनवरी 2019 की इस घटना में भी उन्होंने किशोरी को पिता के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया। उसके बयान पर मुकदमा दर्ज हुआ। किरण मलिक ने आरोपित को पकड़ कर पुलिस को सौंपा। ये घटनाएं सिर्फ बानगी हैं, ऐसे कई मामले हैं जहां किरण बच्चों को अभिव्यक्ति का अधिकार दिलाने में ड्यूटी से अलग हटकर बच्चों के साथ खड़ी रहीं।