काम किसी ने किया, पैसा किसी और के खाते में पहुंच रहा
मनरेगा में गड़बड़झाला थाने पहुंचा पैसे के लेन-देन का मामला पंचायत में दोनों पक्षों को बुलाकर शंात कराया मामला
जागरण संवाददाता, पानीपत : मनरेगा में काम किसी ने किया। पैसे दूसरे मजदूर के खाते में आए। जब देने से इन्कार किया तो मामला थाने पहुंचा। पंचायत में दोनों पक्षों को बुलाकर मामला शांत करवाया गया।
गो अभयारण्य के लिए मशहूर नैन गांव सुर्खियों में है। मनरेगा कार्यों में नए-नए खुलासे हो रहे हैं। गांव में एक डेढ़ माह पहले मजदूर रणजीत ने सड़क बनाने में 13 दिन कार्य किया। मजदूरी के भुगतान के लिए जिले सिंह के बैंक खाते का नंबर दे दिया। खाते में 3600 रुपये आए। रणजीत जब पैसा मांगने पहुंचा तो जिले सिंह देने से इंकार कर दिया। पैसे के लेन-देन का विवाद थाने पहुंच गया। सरपंच विक्रम ने बमुश्किल दोनों पक्षों को बुलाकर आपस में राजीनामा करवाया। जॉब कार्ड बनाने में नियम ताक पर
ग्रामीणों ने बताया कि पंचायत के रिकार्ड में 400 जॉब कार्ड गांव में बनाए गए हैं। लेकिन सरकार की इस योजना के तहत कुछ लोगों को ही काम मिला। जॉब कार्ड बनाते समय अनियमितता बरती गई। 5-7 किले जोतने वाले किसान भी मौके का फायदा उठा कर कार्ड बनवा लिए। मेट को बाहर निकाला
ग्रामीणें का कहना है कि मनरेगा के कार्यों में हरिराम का पुत्र महा सिंह को मेट बनाया गया था। मेट रहते हुए मजदूरों के कुछ गड़बड़ी होने पर गांव के सरपंच ने उसे इस योजना से हटा दिया। सरपंच का कहना है कि महा सिंह ने पिता के खाते में पैसा मंगवाया था। काम का दबाव ज्यादा : विक्रम
सरपंच विक्रम ने बताया कि धनपति काम करने के लायक नहीं है। उसका जॉब कार्ड भी नहीं बना है। कृष्णा ने रीना के साथ गो अभयारण्य में तालाब की खोदाई की। उसका पैसा आ चुका है। इससे पहले मनरेगा में कहां कार्य की इस बारे में पता नहीं है। मनरेगा में काम का दबाव अधिक होने पर गांव में मजदूर उपलब्ध नहीं हो पाता है। सौ दिन कार्य कर चुके मजदूरों को दोबारा इस योजना में काम नहीं दे सकते हैं। उरलाना और अदियाना गांव से मजदूर मंगा कर किसी तरह काम पूरा कराया गया।