पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा, बिना किसानों की सहमति उन पर काले कानून को थोपना सरकार की तानाशाही
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा सीटू फार्मूले पर एमएसपी की गारंटी दे सरकार नहीं तो पंजाब की तरह तीनों कानूनों को करे खारिज।
पानीपत/करनाल, जेएनएन। बिना किसानों की सहमति उन पर तीन काले कानून थोपना तानाशाही है। कांग्रेस हर स्तर पर तीनों कानूनों का विरोध करेगी। इसके लिए बड़े से बड़ा आंदोलन करना पड़ा तो हम उसके लिए तैयार हैं। अगर सरकार ने अपना तानाशाही रवैया जारी रखा तो प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनते ही इन काले कानूनों को खत्म किया जाएगा। यह बात पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा।
हुड्डा लगातार प्रदेश की अनाज मंडियों का दौरा कर रहे हैं। इसी कड़ी में बुधवार को उन्होंने घरौंडा और करनाल अनाज मंडियों का दौरा किया। यहां उन्होंने मंडी में मौजूद किसान, मजदूर और आढ़तियों से मुलाकात की। इस मौके पर नेता प्रतिपक्ष ने दोहराया कि बिना स्वामीनाथन के सीटू फार्मूले वाली एमएसपी के 3 नए कृषि कानून किसान को मंजूर नहीं है। इसलिए सरकार को इसमें एमएसपी की गारंटी का प्रावधान जोडऩा चाहिए। अगर वो ऐसा नहीं करती है तो पंजाब सरकार की तरह तीनों काले कानूनों को सिरे से खारिज कर देना चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि पंजाब की तर्ज पर प्रदेश की सभी पार्टियों और किसान संगठनों को एक सुर में किसान विरोधी फ़ैसलों का विरोध करना चाहिए। लेकिन बीजेपी किसानों में फूट डालने और मुद्दे को भटकाने की कोशिश में लगी है। किसान नेताओं से बात करने की बजाए उन्हें बार-बार बेइज्जत और गिरफ्तार किया जा रहा है।
पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के दौरान भी किसान अपनी मांगों को लेकर आवाज उठाते थे। उस वक्त किसानों से बात करके हमेशा उनकी समस्या का समाधान करने की कोशिश की जाती थी। लेकिन इस सरकार में किसान की आवाज को लाठियों से दबाया जाता है। किसान और पूरा हरियाणा किसान पर लाठियां बरसाने वाली इस गठबंधन सरकार को कभी माफ़ नहीं करेगा। अन्नदाता पर चलने वाली हर लाठी सरकार की ताबूत में कील का काम करेगी। इस मौक़े पर उनके साथ पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा, पूर्व मंत्री जयप्रकाश, विधायक बीबी बतरा, पूर्व विधायक नरेंद्र सांगवान, भीमसेन मेहता, त्रिलोचन सिंह, राजेंद्र बाला, रण पाल संधू, रघुबीर संधू, अनिल राणा, धर्मपाल कौशिक, परमजीत लाठर, बीबी सुरेंद्र कौर और हरिराम साबा समेत कई बड़े नेता मौजूद रहे।