वनवासी लोग हमारे समाज के अभिन्न अंग : अनूप
रामायण और महाभारत काल से वनवासी हमारे समाज का अभिन्न अंग रहे है। उनकी हर संभव मदद करके विकास कराना हमारा कर्तव्य है। ताकि दूसरे धर्म के लोग उन्हें गुमराह करके गलत रास्ते पर ना ले जाएं।
जागरण संवाददाता, पानीपत:
रामायण और महाभारत काल से वनवासी हमारे समाज का अभिन्न अंग रहे है। उनकी हर संभव मदद करके विकास कराना हमारा कर्तव्य है। ताकि दूसरे धर्म के लोग उन्हें गुमराह करके गलत रास्ते पर ना ले जाएं। ये बातें आर्य पीजी कॉलेज में देर शाम वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा आयोजित पूर्वोत्तर छात्राओं के स्वागत व सांस्कृतिक कार्यक्रम में जिला सरसंघ चालक अनूप गर्ग ने कही। उन्होंने कहा कि वनवासियों का जीवन स्तर ऊंचा उठाने के लिए कार्य किया जा रहा है। सरकार से कोई मदद नहीं ली जाती है। समाज से ही सहायता ली जाती है। हरियाणा में वन वासी क्षेत्र नहीं है। हरियाणा ने ओडिसा को गोद लिया हुआ है। पिछले वर्ष हरियाणा से 80 लाख रुपये की सहायता भेजी गई। कार्यक्रम की शुरुआत में छात्राओं ने गणपति की अराधना की। उसके बाद छात्राओं ने शिव तांडव की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में पूर्वोत्तर क्षेत्र की छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। जिला पानीपत वनवासी कल्याण आश्रम के संचालक रामेश्वर कल्याण ने कहा कि पंजाब, हरियाणा, दिल्ली को छोड़कर देश के हर राज्य में वनवासी क्षेत्र आता है। 11 करोड़ लोग वनवासी क्षेत्र में रहते हैं। ईसाई मशीनरी इनके पिछ़ड़ेपन का फायदा उठाकर धर्मांतरण करवाती है। जिसे रोकने के लिए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने वनवासी कल्याण आश्रम के तहत कार्य शुरु किया गया। मुख्य वक्ता कृपा प्रसाद सिंह ने वनवासियों की हालत पर रोशनी डाली।
कार्यक्रम की अध्यक्षता विजय लक्ष्मी पालीवाल ने की। मंच संचालन करते हुए विकास शर्मा ने कहा कि यह एक राष्ट्रीय, ईश्वरीय व सामाजिक कार्य है। कार्यक्रम में उत्तराखंड की मंत्री अनुराधा भाटिया, पूर्णकालिक प्रांत संगठन मंत्री जयभगवान ने अपने विचार रखे। अनुराधा भाटिया ने कहा कि पूरी दुनिया में 45 करोड़ जनजाति है जिनमें सबसे ज्यादा 11 करोड़ भारत में है। लघु नाटिका के माध्यम से वनवासी की हालत पर रोशनी डाली गई। कार्यक्रम में प्रमोद विज, अजय गुप्ता, ललित गोयल, मनोज, केदार मौजूद रहे।