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प्रदूषण फैलाने पर पानीपत थर्मल पर एक करोड़ का हर्जाना

प्रदूषण फैलाने पर एनजीटी ने पानीपत थर्मल प्लांट पर एक करोड़ रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है। हर्जाने की पूरी राशि पर्यावरण के सुधार पर खर्च होगी।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 09:31 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 09:31 AM (IST)
प्रदूषण फैलाने पर पानीपत थर्मल पर एक करोड़ का हर्जाना
प्रदूषण फैलाने पर पानीपत थर्मल पर एक करोड़ का हर्जाना

जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रदूषण फैलाने पर एनजीटी ने पानीपत थर्मल प्लांट पर एक करोड़ रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है। हर्जाने की पूरी राशि पर्यावरण के सुधार पर खर्च होगी। फ्लाई एश के प्रबंधन की कार्रवाई की रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को एक महीने में एनजीटी में देनी होगी। 2 जनवरी को अगली सुनवाई होगी।

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एनजीटी ने कहा कि फ्लाई एश का विज्ञानी निष्पादन करने के लिए थर्मल प्रबंधन को कई बार समय दिया गया, लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। आसपास के गांवों में बीमारियां फैल रही हैं।

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देशभर के थर्मल प्लांटों पर लागू होगा आदेश

हर्जाने की राशि बिजली उत्पादन क्षमता के अनुसार निर्धारित की गई है। 500 मेगावाट उत्पादन तक एक करोड़ रुपये, एक हजार मेगावाट तक तीन करोड़ और एक हजार मेगावाट से ज्यादा बिजली उत्पादन क्षमता वाले थर्मल पर पांच करोड़ रुपये हर्जाना किया गया है। यह आदेश देशभर के उन थर्मल प्लांटों पर लागू होगा जिन्होंने 31 दिसंबर 2017 तक फ्लाई एश का निष्पादन नियमानुसार नहीं किया है। पानीपत थर्मल प्लांट में वर्तमान में 250-250 मेगावाट की दो यूनिटे 7-8 चल रही हैं। इसीलिए थर्मल को एक करोड़ का हर्जाना देना होगा।

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जाटल की पंचायत ने की थी शिकायत

जाटलवासियों ने एनजीटी में शिकायत दी थी। शिकायत में कहा गया था कि फ्लाईएश के कारण 30-40 ग्रामीण कैंसर से मर चुके हैं। गांव में 70 प्रतिशत लोग अस्थमा से पीड़ित हैं। 90 प्रतिशत लोग नेत्र रोग से और 70-80 प्रतिशत ग्रामीण त्वचा रोग से पीड़ित हैं। गांव में कोई भी व्यक्ति स्वस्थ नहीं है। शिकायत को गंभीरता से लेते हुए एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से रिपोर्ट मांगी थी। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 29 अक्टूबर 2019 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी जिस पर एनजीटी ने असहमति व्यक्त की थी। थर्मल प्लांट 1979 में स्थापित

पानीपत में थर्मल प्लांट 1979 में स्थापित हुआ था। उस समय 110 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता की पहली यूनिट लगी थी। उसके बाद थर्मल में आठ यूनिट हो गई। जिनकी उत्पादन क्षमता 1360 मेगावाट हो गई। इनमें से चार यूनिटों को बंद किया जा चुका है। वर्जन :

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी। आदेशों का अध्ययन किया जा रहा है। बोर्ड प्रदूषण नियंत्रण के लिए कटिबद्ध है।

प्रदीप कुमार, एईई प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पानीपत।


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