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पानीपत में पांच हजार उद्योगों पर लटकी खतरे की तलवार, उद्यमी एकजुट

पानीपत में ग्रीन कैटेगरी के उद्योग भी सख्त नियमों के दायरे में क्या आए उद्यमियों पर खतरे की तलवार लटक गई है। इन उद्योगों का सर्वे शुरू हो गया है।

By Manoj KumarEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 09:19 AM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 09:19 AM (IST)
पानीपत में पांच हजार उद्योगों पर लटकी खतरे की तलवार, उद्यमी एकजुट
पानीपत में पांच हजार उद्योगों पर लटकी खतरे की तलवार, उद्यमी एकजुट

पानीपत [महावीर गोयल] ग्रीन कैटेगरी के उद्योग भी सख्त नियमों के दायरे में क्या आए, उद्यमियों पर खतरे की तलवार लटक गई है। इन उद्योगों का सर्वे शुरू हो गया है। उद्यमी कह रहे हैं कि बरसों से लगे उद्योगों से क्यों छेड़छाड़ की जा रही है। उस समय क्यों नहीं नियम बनाए गए। ग्रीन कैटेगरी के बारे में भी 2016 में नियम बना। अब चार वर्ष बाद तंग किया जा रहा है। इस मसले को लेकर शहर के सभी औद्योगिक संगठन एकजुट हो गए हैं। पहली बार ऐसा हुआ कि एक्सपोर्टर से लेकर स्थानीय उद्यमी एकसाथ खड़े नजर आए। जागरण की पड़ताल में सामने आया कि करीब पांच हजार उद्योग इस दायरे में आ गए हैं।

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इन उद्योगों को चलाने की सहमति पत्र लेना अनिवार्य किया गया है। पहले ग्रीन कैटेगरी में शामिल उद्योग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दायरे से बाहर थे। उद्योगों के सामने सबसे बड़ी समस्या चैंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू) व नगर निगम की एनओसी को लेकर आ रही है। नगर निगम की लिमिट से बाहर लगे उद्योगों को विभाग से सीएलयू सर्टिफिकेट लेना होगा। नगर निगम की सीमा में जो नया क्षेत्र शामिल किया गया है, उनमें लगे उद्योगों को नगर निगम से एनओसी लेनी होगी। करीब पांच हजार उद्योग हैं, जो 1990 से पहले और बाद में लगे हैं। उस समय यहां उद्योग लगाते समय सीएलयू और निगम की एनओसी की शर्त लागू नहीं थी।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तीन कैटेगरी

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तीन कैटेगरी हैं। इनमें रेड और ऑरेंज कैटेगरी पर पहले से ही कंसेंट लागू है। ग्रीन कैटेगरी को 2016 में शामिल किया गया है।

इन उद्योगों पर खतरा

ग्रीन कैटेगरी कवर होने से पानीपत के स्पिङ्क्षनग मिल, धागा मिल, पावर लूम से लेकर शटल लैस उद्योग, पैङ्क्षकग उद्योग प्रदूषण नियंत्रण के दायरे में आ गए हैं। बोर्ड छापेमारी के दौरान बाहरी क्षेत्र में लगे उद्योगों पर कार्रवाई कर रहा है।

रेड कैटेगरी व ऑरेंज कैटेगरी के उद्योग होंगे शिफ्ट

एनसीआर में नगर निगम सीमा में शामिल रेड कैटेगरी व ऑरेंज कैटेगरी के उद्योगों को शिफ्ट करने की कवायद चल रही है। सुप्रीम कोर्ट भी इसके लिए आदेश दे चुका है। उद्योग निदेशालय सर्वे करवा चुका है। सर्वे की रिपोर्ट निदेशालय को सौंपी जा चुकी है। अब रिपोर्ट पर पांच प्रतिशत सूची का वेरिफिकेशन कर रहा है। वेरिफिकेशन के बाद अगली कार्रवाई होनी है।

उद्योगों को नियमित करने के लिए हुआ सर्वे

उद्योग विभाग ने पूरे प्रदेश में बाहरी क्षेत्रों में लगे उद्योगों को नियमित करने के लिए सर्वे भी करवाया। सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक जिन बाहरी क्षेत्रों में 70 प्रतिशत उद्योग लगे हुए हैं, उन्हें रेगुलर किया जाना है। इस सर्वे की रिपोर्ट पर भी अभी तक कुछ नहीं हुआ।

राजस्व के साथ रोजगार दे रहे

उद्योग ही सरकार को बड़ा राजस्व दे रहे हैं। साथ ही रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं। उद्यमियों ने विस्तारीकरण के लिए बाहरी क्षेत्रों में यूनिट लगा रखी है।

क्या हो समाधान

-बाहरी क्षेत्र में लगे सभी उद्योगों को नियमित किया जाए

-नियमित होने पर प्रदूषण के दायरे में शामिल किया जाए 

-सर्वे में औद्योगिक संगठनों को शामिल किया जाए

-उद्योगों पर उचित फीस लगाकर नियमित किया जा सकता है

-नियमित होने पर उन्हेंं अन्य उद्योगों की तरह सुविधाएं दी जाएं

-निगम क्षेत्र में जो बाहरी क्षेत्र शामिल किया गया है, उनमें लगे उद्योग भी नियमित हों

उद्यमियों का क्या कहना है

बाहरी क्षेत्र में लगे सभी उद्योग नियमित किए जाएं। 30-30 साल से ये उद्योग चल रहे हैं। उन दिनों सीएलयू की कोई शर्त नहीं होती थी। अंडर ग्राउंड वाटर लेने पर भी कोई प्रतिबंध नहीं था। इसके लिए परमिशन भी मांगी गई है। इन सभी उद्योगों को नियमित किया जाना चाहिए।

सुरेश गुप्ता, प्रधान आल इंडिया स्पिङ्क्षनग मिल एसोसिएशन

हम उद्योगों को नियमित करने के लिए फीस देने के लिए भी तैयार हैं। उद्योग लगाते समय सभी शर्तें पूरी की गई। अब उद्योगों पर नई शर्तें लागू की जा रही हैं। ऐसे में इन उद्योगों की नियमित किया जाना जरूरी है। करोड़ों रुपये का राजस्व इन उद्योगों से सरकार मिल रहा है।

जगदीश जैन, प्रधान स्पिङ्क्षनग मिल एसोसिएशन काबड़ी

बाहरी क्षेत्रों  काबड़ी रोड, बरसत रोड, जाटल रोड, सनौली रोड सहित जीटी रोड पर हजारों उद्योग लगे हुए हैं। इनको नियमित करने के लिए उद्योग विभाग ने सर्वे शुरू करवाया था। जो औपचारिकता बनकर रह गया। कहा गया था कि जहां 70 प्रतिशत उद्योग लगे हुएं उन्हें नियमित किया जाएगा। हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स ने एसीएस एके ङ्क्षसह को पत्र लिखकर दोबारा सर्वे करवाने की मांग की है।

मनीष अग्रवाल, महासचिव, हरियाणा चैंबर ऑफ कॉमर्स पानीपत   

सरकार के समक्ष सांसद व विधायक के माध्यम से अपनी समस्या को रखा गया है। शीघ्र उच्च अधिकारियों से मिलकर भी अवगत करवाया जाएगा।

---प्रीतम सचदेवा, प्रधान रोटर स्पिनर्स एसोसिएशन

अधिकारियों का क्या कहना

ये पॉलिसी मैटर हैं। नगर निगम सीमा में उद्योगों का सर्वे किया जा चुका है। उनका पांच प्रतिशत वेरिफिकेशन होगा। सर्वे सही हुआ या नहीं, देखा जाएगा।

शितिज कपूर

महाप्रबंधक, जिला उद्योग केंद्र पानीपत

---ग्रीन कैटेगरी में शामिल उद्योगों का कंसेंट लेने होगा। यह 2016 से लागू किया जा चुका है। कुछ उद्योगों ने आवेदन दिया है। जिले में कितने उद्योगों हैं उनका सर्वे करवाया जा रहा है। सर्वे पूरा होने के बाद अगली कार्रवाई होगी।

शैलेंद्र अरोड़ा, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पानीपत


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