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हरियाणा में बढ़ा मछली पालन, किसानों को भा रहा व्‍यवसाय, कम लागत में मोटा मुनाफा

हरियाणा के कैथल में मछली पालन को किसान आय का जरिया बना रहे हैं। 444 किसानों ने 850 हेक्टेयर में किया है इस वर्ष मछली पालन। अब कैथल में किसान खेती के साथ-साथ मछली पालन भी कर रहे हैं।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 05:50 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 05:50 PM (IST)
हरियाणा में बढ़ा मछली पालन, किसानों को भा रहा व्‍यवसाय, कम लागत में मोटा मुनाफा
किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा।

कैथल, जागरण संवाददाता। कैथल में मछली पालन अब पंचायती तालाबों तक ही सीमित नहीं रहा है। अपनी जमीन पर भी तालाब खोदकर उसमें मछली पालन कर किसानों ने आय का जरिया बना लिया है। किसानों ने शुरुआती दिनों में पंचायती तालाबों में रोहू, कतला व मिरगल मछली का पालन शुरू किया था, तो आय बढ़ने लगी। अब नई तकनीक के साथ किसानों ने बायोफ्लोक, रास, देशी मांगूर, सिंघी, पंगास के साथ वियतनाम मछली पालन की तरफ रुझान बढ़ाया है। इसमें किसानों को कम लागत में अच्छा मुनाफा मिल रहा है। एक समय था जब साल भर खेती करने के बाद भी किसान साहूकारों का कर्ज के तले दबे रहते थे। आज पारंपरिक खेती छोड़कर कम लागत में अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं।

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सालाना 10 से 15 लाख रुपये की आमदनी करते है किसान

झींगा मछली का पालन कर मछली पालक एक साल में चार से आठ महीने के अंदर ही 10 से 15 लाख रुपये तक कमाई कर रहे हैं। किसान राजेश, रणधीर व रामकेश ने बताया कि आम मछली 120 से 130 रुपये किलो तक बिक जाती है व झींगा मछली 450 रुपये किलो तक बिक जाती है। इसी तरह बायोफ्लोक, रास में जो मछलियां पाली जाती हैं वो भी बाजार में 350 रुपये किलो तक बिकती हैं। इसमें ज्यादा जमीन की जरूरत नहीं पड़ती है। किसान अपनी घर की जमीन पर तालाब खोदकर व पंचायती जमीन के तालाबों को पट्टे पर लेकर अच्छी कमाई कर रहे है।

700 हेक्टेयर पंचायती व 150 हेक्टेयर अपनी जमीन पर हो रहा है मछली पालन

मछली पालन अधिकारी सूर्य प्रकाश ने बताया कि 700 हेक्टेयर पंचायती जमीन व 150 हेक्टेयर किसान अपनी जमीन पर मछली पालन कर रहे हैं।

पानीपत दिल्ली की मंडियों में जा रही है मछली: सुरेंद्र

कैथल जिले से मछली पानीपत दिल्ली की मंडियों में जा रही है। किसानों का रुझान बढ़ा है। नीली क्रांति स्कीम आने के बाद से ही किसान अब मछली पालन को अपनी आय का अच्छा जरिया बना रहे है। कम लागत में अच्छी आमदनी होती है। विभाग की तरफ से समय- समय पर विभिन्न योजनाओं का फायदा दिया जा रहा है।

सुरेंद्र कुमार, डीएफओ कैथल


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