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इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की जिदगी-मौत का निर्णय करते तीन मिनट : डॉ. कुंवर

इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आइएपी) हरियाणा के अध्यक्ष डॉ. कुंवर सिंह ने कहा कि अस्पताल की इमरजेंसी में मरीज के पहुंचने पर पहले तीन मिनट काफी महत्वपूर्ण होते हैं। यही क्षण हैं जब मरीज की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए चिकित्सिकों के अलावा पैरामेडिकल स्टाफ और नर्साें का प्रशिक्षित होना जरूरी है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 07:00 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 07:00 AM (IST)
इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की जिदगी-मौत का निर्णय करते तीन मिनट : डॉ. कुंवर
इमरजेंसी में आने वाले मरीजों की जिदगी-मौत का निर्णय करते तीन मिनट : डॉ. कुंवर

जागरण संवाददाता, पानीपत : इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आइएपी) हरियाणा के अध्यक्ष डॉ. कुंवर सिंह ने कहा कि अस्पताल की इमरजेंसी में मरीज के पहुंचने पर पहले तीन मिनट काफी महत्वपूर्ण होते हैं। यही क्षण हैं जब मरीज की जान बचाई जा सकती है। इसके लिए चिकित्सिकों के अलावा पैरामेडिकल स्टाफ और नर्साें का प्रशिक्षित होना जरूरी है।

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वर्कशॉप में हरियाणा, दिल्ली, पंजाब और उत्तर प्रदेश के 40 से अधिक शिशु रोग विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। डॉ. कुंवर सिंह ने रविवार को जीटी रोड स्थित एक होटल में संपन्न एडवांस लाइफ सपोर्ट मास अवेयरनेस वर्कशॉप में ये बातें कही। उन्होंने कहा किसी बच्चे को गंभीर डायरिया है, पानी में डूब गया है, कोई ठोस वस्तु गले में अटक गई है, सांसे रुक गई है, सांप ने काट लिया है जैसी गंभीर परिस्थितियों में पहले तीन मिनट बहुत मायने रखते हैं। कोर्स डायरेक्टर डॉ. एलएन तनेजा ने कहा कि पहले तीन मिनट बच्चों के लिए ही नहीं बल्कि व्यस्कों को हार्ट अटैक, लकवा, ब्रेन अटैक आदि केसों में भी लागू हैं। डॉ. राकेश कालड़ा ने कहा कि इमरजेंसी में आम व्यक्ति बेसिक लाइफ सपोर्ट दे सकता है। स्कूल-कॉलेजों के एनसीसी-एनएसएस शिविरों में इसका प्रशिक्षण दिया जाता है। मेडिकल सुविधा डॉक्टर, स्टाफ नर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस का इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन ही दे सकता है। कार्यक्रम में कुछ डेमो और वीडियो दिखाई गई।

डॉ. प्रेम सिगला, डॉ. प्रशांत, डॉ. शिखा महाजन, डॉ. संदीप कंवल, डॉ. राज मेहता और डॉ. सतीश शर्मा आदि ने भी अलग-अलग इमरजेंसी केसों में टिप्स दिए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, पानीपत का सहयोग रहा।


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