Festive Season: त्योहारों से पहले होलसेल कपड़े के दामों में बढ़ोतरी, 15 से 30 प्रतिशत बढ़े दाम
गुजराज के सूरत से पहले होलसेल मार्केट में जो साड़ी 200 रुपए में आती थी वह अब 230 रुपए में मिल रही है। होलसेल बाजार से दुकानों पर पहुंचकर फुटकर में यह साड़ी 350 रुपए में मिलती थी वह अब 400 रुपए से अधिक में मिल रही है।
अंबाला, जागरण संवाददाता। त्योहारी सीजन में इस बार होलसेल कपड़े के दामों में 15 से 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। इसका सीधा असर फुटकर में बिकने वाले सिल्क, शूटिंग और साड़ियों से लेकर होजरी के दाम में पहली बार बड़े स्तर पर दाम बढ़कर पड़ा हैं। दुकान और शो रूम पर आने वाले ग्राहक को सेल्स मैन से लेकर दुकानदार महंगाई बढ़ने का हवाला दे रहे हैं। हालांकि पिछले वर्षो की तुलना में इस बार अभी कारोबार कुछ खास नहीं है। हालांकि कम हो रही खरीददारी के बाद भी इस बार के त्योहार में कपड़ा कारोबार बेहतर होने की संभावना जताई जा रही है।
सूरत की साड़ियां भी हुई महंगी
गुजराज के सूरत से पहले होलसेल मार्केट में जो साड़ी 200 रुपए में आती थी वह अब 230 रुपए में मिल रही है। होलसेल बाजार से दुकानों पर पहुंचकर फुटकर में यह साड़ी 350 रुपए में मिलती थी वह अब 400 रुपए से अधिक में मिल रही है।
शूटिंग से लेकर होजरी के बढ़े दाम
बाजार में शूटिंग और होजरी के दुकानों पर खरीददारी करने वालों की भीड़ जुटने लगी है। दुकानदारों की मानें तो पहले के त्योहारी सीजन की बात करें तो वह अब तक 25 प्रतिशत कारोबार का चुके होते थे, लेकिन इस बार तो अभी तक मात्र 15 प्रतिशत ही बिक्री हो सकी है। दुकानदार बताते हैं कि ग्राहक दुकान पर पूरे परिवार के लिए कपड़े खरीदने के आता है, लेकिन महंगाई की वजह से इसमें कटौती करके खरीददारी कर रहा है।
नवरात्र से शुरू हो जाता है त्योहारी सीजन
अंबाला के कपड़ा कारोबारी इश्वरी प्रसाद माहेश्वरी ने बताया कि नवरात्र से ही कपड़े का कारोबार त्योहारी सीजन में शुरू हो जाता था, लेकिन इस बार महंगाई की वजह से अपेक्षित कारोबार नहीं हो रहा है। इससे होलसेल से लेकर फुटकर के दुकानदार काफी परेशान नजर आ रहे हैं।
त्योहार में लोग नए कपड़े पहनते हैं
अंबाला के कपड़ा कारोबारी दयानंद शर्मा ने बताया कि त्योहार में लोग नए कपड़े पहनते हैं, लेकिन इस बार के अब तक के कारोबार को देखा जाए तो मात्र 15 से 20 फीसदी ही कपड़े का कारोबार हो सका है। जबकि पहले के त्योहारी सीजन कारोबार का ग्राफ 40 से 60 फीसदी होता था।