Move to Jagran APP

Raksha Bandhan 2019: पिता सरहद पर तैनात, मुंहबोले मुस्लिम भाइयों ने उठा रखा हिंदू बहनों की रक्षा का जिम्‍मा Panipat News

पानीपत में हिंदू-मुस्लिम एकता की मिशाल देखने को मिली है। हिंदू बहनें मुस्लिम भाइयों को राखी बांधना नहीं भूलतीं। करीब दस साल से ये सिलसिला लगातार चलता आ रहा है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Thu, 15 Aug 2019 03:23 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 10:27 AM (IST)
Raksha Bandhan 2019: पिता सरहद पर तैनात, मुंहबोले मुस्लिम भाइयों ने उठा रखा हिंदू बहनों की रक्षा का जिम्‍मा Panipat News
Raksha Bandhan 2019: पिता सरहद पर तैनात, मुंहबोले मुस्लिम भाइयों ने उठा रखा हिंदू बहनों की रक्षा का जिम्‍मा Panipat News

पानीपत, जेएनएन।  'मजहब नहीं सिखाता, आपस में बैर रखना... ये पंक्तियां आज भी सार्थक हैं। एक ओर जहां धर्म और सांप्रदायिकता के नाम पर देश दुनिया में नफरत फैलाने वालों की कमी नहीं है, वहीं इन रिश्तों को धागे में पिरोकर संभालने वाले आज भी मौजूद हैं। हिंदू बहनों से लगातार 10 सालों से मुस्लिम भाई न सिर्फ राखी बंधवाते हैं बल्कि, इसका फर्ज भी अदा करते आ रहे हैं। जानिए, इस सद्भावना के पीछे की कहानी।

loksabha election banner

हम बात कर रहे हैं पानीपत के रहने वाले छाछपुर खुर्द के आजाद सिंह और कारड गांव के सिकंदर अली की। आजाद सिंह बीएसएफ में असिस्टेंट कमांडेंट हैं और देश की रक्षा के लिए सरहद में तैनात हैं। वहीं उनकी बेटियां और मुस्लिम दोस्त के बेटे सद्भावना की मिशाल बने हैं। 

जानिए, दोनों परिवारों के बारे में 
वर्तमान में किशनपुरा के रहने वाले आजाद सिंह की दो बेटियां और एक बेटा है। बड़ी बेटी दीक्षा खानपुर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रही है। जबकि छोटी बेटी दिव्या 12वीं पासआउट होकर मेडिकल की तैयारी कर रही है। बेटा अमन सिंह नेशनल पिस्टल शूटर है। वहीं मुखीजा कॉलोनी के सिकंदर अली व्यवसायी हैं। उनके दो बेटे अरमान और शहजाद अली हमेशा रक्षा बंधन पर बहनों से राखी बंधवाने आते हैं।

panipat

हिंदू बहनों से राखी बंधवाना नहीं भूलते मुस्लिम भाई
अरमान और शहजाद हमेशा राखी के त्योहार में हिंदू बहनों से राखी बंधवाने पहुंच जाते हैं। वहीं दीक्षा और दिव्या को भी उनका इंतजार रहता है। दोनों मुस्लिम भाइयों में होड़ रहती है कि वे अमन से पहले राखी बंधवाएं। वहीं बहनें भी ये फर्ज बखूबी निभाती हैं और पहले उनकी कलाई में राखी बांधती हैं। 

साल भर जोड़ते हैं पॉकेट मनी
अरमान और शहजाद साल भर तक अपनी पॉकेट मनी से कुछ रुपया निकालकर जोड़ते रहते हैं। रक्षा बंधन पर वे इसी पॉकेट मनी से जोड़े गए रुपयों को अपनी दोनों बहनों को देते हैं। 

पहली बार नहीं आ पाया शहजाद
दीक्षा और दिव्या ने बताया कि पहली बार ऐसा हुआ है कि शहजाद नहीं आया। हालांकि उसने सुबह ही वीडियो कॉल करके माफी मांग ली है। शहजाद किसी जरूरी काम से जयपुर गया है। उसने वादा किया है कि आज शाम को या सुबह आते ही सबसे पहले राखी बंधवाने आएगा।

ईद भी मनाते साथ
असिस्टेंट कमांडेंट आजाद सिंह ने बताया कि ईद हो या दीवाली दोनों परिवार एक साथ खुशियां मनाते हैं। ईद में तो सिंकदर और दोनों बेटे खुद उनके परिवार को लेने आते हैं। उन्होंने बताया कि सरहद पर चाहे जितना तनाव हो, लेकिन मन में कभी भी धर्म और संप्रदाय का ख्याल तक नहीं आता है। हम दो नहीं बल्कि एक परिवार हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.