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पराली को आमदनी का साधन बनाने वाले 30 किसानों को दैनिक जागरण ने किया सम्मानित

सामाजिक सरोकारों के तहत दैनिक जागरण किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करता आ रहा है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही पराली अब आय का साधन बन गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 09:38 AM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 09:38 AM (IST)
पराली को आमदनी का साधन बनाने वाले 30 किसानों को दैनिक जागरण ने किया सम्मानित
पराली को आमदनी का साधन बनाने वाले 30 किसानों को दैनिक जागरण ने किया सम्मानित

जागरण संवाददाता, पानीपत : सामाजिक सरोकारों के तहत दैनिक जागरण किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करता आ रहा है। पर्यावरण की रक्षा के साथ ही पराली अब आय का साधन बन गया है। ऊझा कृषि विज्ञान केंद्र में बृहस्पतिवार को जिले के उन 30 किसानों को दैनिक जागरण की तरफ से प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया जिन्होंने वातारण को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। गांव के अन्य किसानों को ऐसा करने की सीख दी।

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उत्तर भारत में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर कृषि वैज्ञानिक चितित हैं। पराली जलाने को भी प्रदूषण का प्रमुख कारक मानते हैं। दैनिक जागरण ने बीते अक्टूबर महीने से पानीपत जिले के छह ब्लॉकों में स्थित प्रमुख गांवों में अभियान चला किसानों को जागरूक किया। उरलाना कलां गांव में लाइव डेमो शो में किसानों को पराली की उपयोगिता के बारे में बताया गया। इसे आय का साधन बनाने के लिए प्रेरित किया। पराली को पशुओं के चारे के रूप में और इसके अवशेष को जैविक खाद के रूप में भी प्रयोग करने की सलाह दी। अधिकतर किसान जागरुक हुए और पराली को आय के साधन के रूप में देखना शुरू किया। जिले के चुनींदा किसानों को तीसरे पहर 3 बजे से कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा में आयोजित कार्यक्रम में दैनिक जागरण की टीम ने सम्मानित किया। कार्यक्रम में मौजूद अन्य किसानों ने भविष्य में पराली न जलाने की शपथ ली।

दूसरे किसानों से भी खरीद रहे पराली

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वैसर गांव के किसान लहणा सिंह ने बताया कि वह खुद पराली का स्टॉक करने के साथ गांव के अन्य किसानों की पराली भी तीन हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से खरीद रहे हैं। ताकि कोई पराली न जलाए। इसके साथ मांग होने पर वह पराली को बेचकर मुनाफा कमा सकते हैं। कई तरह कर सकते हैं पराली का इस्तेमाल

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उरलाना गांव के गुरलाल सिंह ने बताया कि पराली को पशुओं के चारे, जैविक खाद और गत्ता बनाने में भी प्रयोग किया जाता है। जिससे पराली की लगातार मांग बढ़ रही है। तूड़ी की तुलना में पशु पराली के चारे को अधिक पसंद करते हैं। दूध की मात्रा भी बढ़ती है। वह मशीनों से पराली के रोल बनाकर उसे एकत्रित करते हैं। वर्जन :

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पानीपत प्रशासन के साथ दैनिक जागरण के प्रयासों से भी किसान जागरूक हुए हैं। पराली जलाने के बहुत कम मामले सामने आ रहे हैं। किसानों को इसकी कीमत और इसे जलाने से पर्यावरण को होने वाले नुकसान की बात समझ आई है। पराली अब आय का साधन बन रही है।

डॉ. राजबीर गर्ग, प्रभारी, केवीके ऊझा।

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