किसान के दिल्ली धरने से सब्जी उगाने वाले फंस गए, बंपर पैदावार करके भी भाव नहीं मिल रहे
पानीपत में यमुना की तलहटी में सब्जी की बंपर पैदावार हुुुुई है। कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के कारण नहीं मिल रहे दाम। हजारों एकड़ में उगाई हुई हैं कई तरह की सब्जियां। कई गांवों के किसानों में निराशा है।
पानीपत, जेएनएन। यमुना नदी की तलहटी में आसपास बसे 18 से अधिक गांवों के किसानों ने गोभी, मूली, मेथी सहित कई प्रकार की सब्जियां उगाई हुई हैं। इस बार बंपर पैदावार हो रही है। किसान आंदोलन के कारण दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद की मंडियों में सब्जी नहीं जाने से हजारों किसान निराश हैं।
हरियाणा की मंडियों में अच्छे दाम नहीं मिल रहे हैं। तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए भाकियू-सीटू के कार्यकर्ता, पदाधिकारी किसानों को साथ लेकर हरियाणा दिल्ली बार्डर पर बैठे हुए हैं। पहले लाकडाउन अब किसान आंदोलन की मार, आंदोलन से दूर किसानों पर भारी पड़ रही है। किसान अपनी सब्जियां बड़ी मंडियों में नहीं जा पा रहे हैं। छोटी सब्जी मंडियों में इतनी खपत नहीं हैं। नतीजा, किसान सब्जी की फसल को दुकानों और घरों में बेचने से मजबूर हो रहे हैं।
गोभी, मूली, मेथी, धनिया, गाजर जैसी फसलों के दाम 10 रुपये प्रति किग्रा. भी नहीं मिल रहे हैं। कुछ किसानों ने तो टै्क्टर चलाकर फसल को नष्ट करना भी शुरू कर दिया है।
15 रुपये भाव मिले, तब लागत पूरी
गांव रामड़ा के किसान बलवान, सुरेश, रोहतास, सुखपाल, सलीम, कृष्ण, मामन, अनिल का कहना है कि एक एकड़ में गोभी का उत्पादन करने में लगभग 30 हजार रुपये की लागत आती है। किसान को 15 रुपये प्रति किग्रा. का भाव मिले, तब लागत निकलती है। बड़ी मंडियों में फसल पहुंचे, उत्पादन की तुलना में खपत बढ़े, तब अच्छा भाव मिलेगा।
ट्रैक्टर से उजाड़ी फसल
यमुना नदी से सटी भूमि में सब्जी उगाने वाले किसान भगवान दास, जावेद, सतपाल, बलवान, सतीश, नरेश ने कहा कि लोकल मंडी में मूली के भाव बहुत कम मिलने से मजदूरी भी नहीं निकल रही थी, मजबूरी में फसल को उजाड़ना पड़ा है। किसान राजपाल, रोहताश ने गोभी की फसल को उजाड़ा है। किसानों को घाटा सहना पड़ा है।