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धान और गेहूं अवशेष का करें प्रबंधन : डॉ. गर्ग

कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा में फसल अवशेष प्रबंधन की तरफ से एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। किसानों को जल संरक्षण व अवशेषों के यथास्थान प्रबंधन के बारे में किसानों को जागरूक करना था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 03 Oct 2019 07:54 AM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2019 07:54 AM (IST)
धान और गेहूं अवशेष का करें प्रबंधन : डॉ. गर्ग
धान और गेहूं अवशेष का करें प्रबंधन : डॉ. गर्ग

जागरण संवाददाता, पानीपत : कृषि विज्ञान केंद्र ऊझा में फसल अवशेष प्रबंधन की तरफ से एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। किसानों को जल संरक्षण व अवशेषों के यथास्थान प्रबंधन के बारे में किसानों को जागरूक करना था। केंद्र के वरिष्ठ संयोजक डॉ. राजबीर गर्ग 140 किसानों स्वच्छता ही सेवा को अपनाने की शपथ भी दिलाई गई। डॉ. राजबीर गर्ग ने कहा कि धान व गेहूं कटाई के बाद अवशेष बचते हैं। गेहूं के अवशेष को आसानी से प्रबंधन किया जा सकता है। धान की पराली काफी होती है, जिसका प्रबंधन करना बहुत ही आवश्यक है। मृदा की उपजाऊ शक्ति बनाए रखी जा सके। इसके लिए किसानों को फसल विविधिकरण के प्रति जागरूक होना होगा। उन्होंने किसानों को खेती आधारित अन्य गतिविधियों डेरी फार्मिंग, मशरूम उत्पादन आदि को अपनाने का भी आह्वान किया, ताकि फसल अवशेषों का सदुपयोग हो सके। डॉ. देवराज, मृदा वैज्ञानिक ने कहा कि अवशेष जलाने से प्रदूषण की समस्या बढ़ने के साथ मित्र कीट भी मर जाते हैं। उन्होंने आधुनिक सिचाई ड्रिप व फव्वारा से भी खेती का आह्वान किया। ताकि जल संरक्षण हो सके। इस मौके पर डॉ. संदीप आंतिल, डॉ. कुशलराज व डॉ. सतपाल सिंह मौजूद रहे ।

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