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सिविल अस्पताल में फीमेल मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

सिविल अस्पताल की तकरीबन 42 करोड़ रुपये की लागत से बनी बिल्डिंग महिला मरीजों के लिए नई आफत लेकर आई है।

By Edited By: Published: Fri, 16 Nov 2018 06:06 PM (IST)Updated: Sat, 17 Nov 2018 02:31 PM (IST)
सिविल अस्पताल में फीमेल मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज
सिविल अस्पताल में फीमेल मरीजों को नहीं मिल रहा इलाज

पानीपत, जेएनएन : सिविल अस्पताल की तकरीबन 42 करोड़ रुपये की लागत से बनी बिल्डिंग महिला मरीजों के लिए नई आफत लेकर आई है। गर्भवती महिलाओं को करीब साढ़े तीन माह से अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिली है। पोस्ट पार्टम (पीपी) सेंटर में लगभग 15 दिन से लेडी डॉक्टर नहीं बैठ रही। नतीजा, रोजाना 200 से ज्यादा महिलाओं को बिना इलाज घर लौटना पड़ रहा है।

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दरअसल, सिविल अस्पताल में लगी अल्ट्रसाउंड मशीन करीब 14 साल पुरानी है, जबकि इसकी अधिकतम मियाद 12 साल है। अस्पताल की पुरानी बि¨ल्डग में बिजली की दिक्कत को देखते हुए तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ. संतलाल वर्मा के आदेश पर 10 जुलाई को एक्स-रे और अल्ट्रासाउंड मशीन को नई इमारत में शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू हुई। करीब 10 दिन की मशक्कत के बाद मशीनें इंस्टॉल हुई तो इंजीनियरों ने अल्ट्रासाउंड मशीन को कंडम बता दिया था। सेवा प्रदाता कंपनी से व्यापक रखरखाव अनुबंध सितंबर माह में खत्म हो चुका है। नतीजा, गर्भवती का प्रसव पूर्व, पथरी दर्द सहित पेट की अन्य बीमारियां, हार्ट, लिवर, रक्तवाहिका, पित्ताशय की थैली, तिल्ली, अग्नाशय, गुर्दे, मूत्राशय, अंडाशय, आंख और अंडकोष आदि रोगों से पीड़ित मरीजों को नि:शुल्क अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल रही है।

तीन महिला रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ
सिविल अस्पताल में यूं तो तीन महिला रोग एवं प्रसूति विशेषज्ञ हैं। एक डॉक्टर अवकाश पर हैं, बाकी दो शिफ्टों में ड्यूटी देती है। आपरेशन थियेटर से इमरजेंसी कॉल आने पर डॉक्टर को वहां जाना पड़ता है। नतीजा, पोस्ट पार्टम सेंटर में गर्भवती व रोगों से पीड़ित महिलाओं को इलाज नहीं मिल रहा है। सोमवार को भी अस्पताल में ऐसे ही हालात दिखे। मेडिसिन ओपीडी की कतार में खड़ी संजय चौक निवासी शाकिरा ने बताया कि सवा घंटा से लाइन में हैं, नंबर नहीं आया है। शल्य चिकित्सा ओपीडी के बाहर खड़े सोमपाल और दामोदर ने बताया कि डॉक्टर ने बुलाया तो लिया लेकिन ओपीडी में नहीं पहुंचे। अस्पताल के एमएस डॉ. आलोक जैन ने बताया कि डॉक्टरों की डिमांड भेजी हुई है, पूरा करना सरकार का काम है। मैन पॉवर और मशीनरी बढ़ जाए तो मरीजों की दिक्कतें कम हो जाएंगी।


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