कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी में परीक्षा के बन रहे आसार, यूजीसी के सुझाव पर तैयारी
लॉकडाउन और कोरोना महामारी के बीच अब यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में परीक्षा के आसार बन रहे हैं। यूजीसी के सुझाव अनुसार यूनिवर्सिटी और संस्थानों को अपनी तैयारी करनी है।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। कोरोना काल के चलते पिछले कई माह से शिक्षण संस्थान बंद हैं तो विश्वविद्यालयों और तकनीकी संस्थानों में विद्यार्थियों की परीक्षाओं को लेकर हल्ला मचा हुआ है। उसी दिन से छात्र संगठन हाथों में ज्ञापन लिए सरकार के दरवाजे पर खड़े हैं और परीक्षाओं की बजाय अन्य विकल्प अपनाने की मांग पर अड़े हैं।
ऐसे में सरकार ने परीक्षा लेने की बजाय प्रमोट करने का रास्ता अपनाया तो यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी) ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया। यूजीसी अब इस बात पर अड़ी है कि कम से कम अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा हर हाल में ली जाएगी, बेशक के लिए विकल्प कोई भी रहे। यूजीसी के रुख को देखते हुए परीक्षा के आसार बने हुए हैं और विकल्पों पर विचार चल रहा है।
कुवि में चला बैठकों का दौर
यूजीसी के रुख को देखते हुए 11 अगस्त को प्रदेश के उच्चत्तर शिक्षा निदेशालय की ओर से भी पत्र जारी कर दिया गया है कि वह अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों की परीक्षा को लेकर तैयारियां रखें। इसके बाद से ही कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में बैठकों का दौर चल रहा है। हालांकि अभी बैठकों का कोई नतीजा नहीं निकला है, लेकिन जल्द ही इसके लिए विकल्प तैयार कर फैसला सुनाया जा सकता है।
ऑनलाइन या ऑफलाइन
यूजीसी की ओर से केवल परीक्षा लेने की बात कही गई है। अब यह विवि और तकनीकी संस्थानों को तय करना है कि वह ऑनलाइन या ऑफलाइन किस तरह से परीक्षा लेना चाहते हैं। इन विकल्पों में शिक्षण संस्थानों की ओर से ओपन बुक, मल्टीपल च्वाइस, असाइनमेंट जारी करने पर विचार किया जा रहा है।
रणनीति तैयार करने में जुटे छात्र संगठन
कुवि के इस रुख से छात्र संगठन भी अगली रणनीति पर विचार करने लगे हैं। छात्र संगठन इस मामले में सरकार और विवि की ओर से कोई फैसला लिए जाने का इंतजार कर रहे थे। अब सरकार की ओर से पत्र जारी होने पर जल्द ही छात्र संगठनों की संयुक्त बैठक को सकती है। कुसा के अध्यक्ष विकास बलाही और एसएफआई के मोहित बूरा ने कहा कि उनकी कार्यकारिणी विचार कर रही है, जल्द ही छात्र संगठनों की एक संयुक्त बैठक बुलाई जा सकती है। इन हालातों में परीक्षा लिया जाना कतई उचित नहीं है।