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सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का पानी नाले में बह रहा, उद्यमी तरस रहे

महावीर गोयल पानीपत शहर के सीवर से होता हुआ पानी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में साफ होता

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 06:31 AM (IST)Updated: Mon, 21 Sep 2020 06:31 AM (IST)
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का पानी नाले में बह रहा, उद्यमी तरस रहे

महावीर गोयल, पानीपत

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शहर के सीवर से होता हुआ पानी सीवर ट्रीटमेंट प्लांट में साफ होता है। इसके बाद इसे नाले में बहा देते हैं। हर रोज करोड़ों लीटर पानी इसी तरह बर्बाद हो रहा है। डाई हाउस चलाने वाले उद्यमी इस पानी की मांग कर रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहरलाल एसटीपी का पानी इंडस्ट्री को देने की घोषणा कर चुके हैं। पर सरकारी सिस्टम ऐसा है कि महीनों बाद भी पानी नाले में ही बह रहा है। एक दिन पहले ही ईपीसीए (एन्वायरन्मेंट प्रोटेक्शन कंट्रोल अथॉरिटी) के चेयरमैन डा.भूरेलाल ने अफसरों को साफ कह दिया था कि भूजल का दोहन नहीं होना चाहिए। एसटीपी का उपयोग करो। दैनिक जागरण ने इस पूरे मामले की पड़ताल की।

डाई उद्योग भूजल दोहन पर लगे हुए हैं। इससे जहां भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। उद्यमी एसटीपी का साफ पानी लेने के तैयार हैं। एक साल से उद्यमी इसकी मांग भी कर रहे हैं। कोई सुनवाई नहीं की जा रही।

छह करोड़ लीटर क्षमता के हैं एसटीपी

सिवाह में 60 एमएलडी के दो सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाए हुए हैं। 25 एमएमलडी यानि ढाई करोड़ लीटर पानी की क्षमता के एसटीपी को मात्र 12 लाख लीटर पानी साफ होने के लिए मिल रही है। साढ़े तीन करोड़ लीटर पानी साफ करने वाले प्लांट को 20 लाख लीटर पानी साफ होने के लिए मिल रहा है। क्षमता से आधे प्लांट चल रहे हैं। इन प्लांट से जो पानी साफ हो कर निकल रहा है वह साथ बहते गंदे पानी की नाले में डाला जा रहा है। करोड़ों रुपये गंदे नाले बहा जा रहे हैं। उद्योगों को पानी का इंतजार

डाइंग उद्योग को सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का साफ पानी उपलब्ध कराने से पहले सैंपल लेकर टेस्ट कराने के लिए एक साल पहले चंडीगढ़ लैब भेजे गए हैं। दावा किया गया टेस्ट में पास होने पर ही सिचाई विभाग बजट लेकर पाइप बिछाने की कागजी प्रक्रिया शुरू करेगा। लैब के रिजल्ट आने के बाद भी पानी आपूर्ति के लिए लाइन बिछाने का कोई प्रोजेक्ट तैयार नहीं किया गया। इस बारे में अभी तक कुछ नहीं कहा जा रहा। उद्योगों को अब भी पानी का इंतजार है। 12 हजार से अधिक उद्योगों में रोजाना करोड़ों लीटर पानी की खपत

औद्योगिक शहर में प्रतिदिन करोड़ों लीटर पानी की खपत होती है। ये उद्योग ट्यूबवेल लगाकर भूजल दोहन कर रहे हैं। जल का उपयोग करने के बाद अवैध उद्योग तो केमिकलयुक्त रंगीन पानी जमीन पर ही छोड़ देते हैं। भूजल का स्तर नीचे चला गया है। समालखा, सनौली और शहर का कुछ भाग डार्क जोन में है।

21.48 करोड़ खर्च होगा

जुलाई 2019 में प्रशासन ने कृषि और जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव अनुराग रस्तोगी को पत्र लिख कर इस योजना के बारे में प्रशासनिक अनुमति मांगी। उद्योगों और कृषि के लिए जल उपलब्ध कराने पर 21.48 करोड़ से अधिक की राशि खर्च होगी। 350 से अधिक डाइंग उद्योग और 15 गांवों को कृषि के लिए ट्रीट किया जल दिया जा सकेगा। अभी तक इस पर कार्रवाई नहीं की जा सकी।


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