पानीपत के कालीन से सजेंगे यूरोप के गिरजाघर, जानिए क्या है खासियत Panipat News
क्रिसमस और नव वर्ष पर पानीपत की कालीन की खास डिमांड हैं। ऐसे में कारोबारियों को उम्मीद है कि टेक्सटाइल कारोबार को रफ्तार मिलेगी।
पानीपत, [पवन शर्मा]। पानीपत के रेशमी कालीन इस साल यूरोपियन गिरजाघरों की सजावट में भी चार चांद लगाएंगे। यहां से करीब डेढ़ महीने पहले ही समुद्री मार्ग से कालीन की खेप उन देशों के लिए रवाना कर दी गई थी, जहां से ऑर्डर मिले थे। वहीं कुछ देशों से मिले अर्जेंट ऑर्डर वायु मार्ग से पहुंचाए गए हैं। इनमें सबसे अधिक मांग हस्तनिर्मित कारपेट की रही। इससे उत्साहित शहर के कालीन कारोबारियों को उम्मीद है कि यूरोपियन देशों से मिले शानदार रिस्पांस की बदौलत एक बार फिर टेक्सटाइल कारोबार को रफ्तार मिलेगी।
पानीपत की 100 से अधिक इकाइयों में तैयार कालीन के कद्रदान यूं तो पूरी दुनिया में फैले हैं, लेकिन ईसाई बहुल देशों में क्रिसमस और नव वर्ष पर कुछ बरसों में इनकी मांग बढ़ रही है। क्रिसमस और नए साल पर ज्यादातर गिरजाघरों में कारपेट बदलने की परंपरा है। बतौर गिफ्ट भी कालीन का आदान-प्रदान किया जाता है। इसी का फायदा भारतीय कालीन कारोबारियों को मिल रहा है। पानीपत के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के भदोही और आगरा से भी साल-दर-साल यूरोपियन देशों में कालीन का निर्यात बढ़ा है।
हरियाणा कारपेट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रधान अनिल मित्तल बताते हैं कि सितंबर से ही यूरोपियन देशों में क्रिसमस और नव वर्ष के लिए कालीन और अन्य टेक्सटाइल उत्पादों का निर्यात शुरू हो गया था। इनमें सबसे ज्यादा मांग हस्तनिर्मित कारपेट की रही। उन्हें खुशी है कि सीजनल काम के बहाने ही सही, कम से कम अच्छे ऑर्डर तो मिले।
स्थानीय गिरजाघरों में भी तैयारी तेज
पानीपत के गिरजाघरों में भी क्रिसमस की तैयारी तेजी पर है। मॉडल टाउन स्थित करीब 60 वर्ष पुराने जॉन वेस्ले मेथोडिस्ट चर्च के पास्टर फादर चार्ल्स डेविड कहते हैं कि यकीनन, यह जानकर बहुत गर्व होता है कि इस खास मौके पर पानीपत के कालीन केवल हिंदुस्तान ही नहीं, बल्कि यूरोप सहित दुनिया के विभिन्न देशों में निर्यात किए जा रहे हैं। पानीपत में भी चर्च को सजाने की प्रक्रिया चल रही है। इसके तहत प्रेयर हॉल में भव्य रेड कारपेट बिछाने की योजना है। इस बाबत, जल्द चर्च कमेटी से विचार-विमर्श किया जाएगा।
कहां किसकी मांग
विदेशी कद्रदान अपनी-अपनी पसंद के अनुरूप भारतीय कालीन और अन्य टेक्सटाइल उत्पादों का चयन करते हैं। मसलन, तकरीबन पूरे यूरोप में ऊन से बने और हस्तनिर्मित कालीन की अच्छी मांग है। अमेरिका में कॉटन निर्मित उत्पादों को तरजीह मिलती है। कुछ समय से चीन और टर्की से भी भारतीय कालीन उद्यमियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़ी चुनौती मिल रही है।
बड़ा केंद्र है पानीपत
लंबे समय से पूरी दुनिया में पानीपत के कालीन कारोबार की धाक है। पानीपत क्लस्टर 10,000 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार देता है। यहां से तकरीबन 3000 करोड़ का निर्यात होता है। घरेलू बाजार में भी पानीपत की लगभग 1000 करोड़ की भागीदारी है। कालीन के अलावा, पानीपत दरी, मैट, टेपस्टरी, बेड कवर और अन्य हैंडलूम उत्पादों का भी निर्यात करता है। चीन व टर्की के मशीनी माल की मांग लगातार बढऩे के बावजूद अपने परंपरागत हस्तनिर्मित कौशल के चलते पानीपत के उत्पाद भी दुनिया भर में पसंद किए जाते हैं।