बिजली चोरी साबित न कर सका निगम, लौटाने होंगे जुर्माने की राशि
चंदौली स्थित एक फैक्ट्री में बिजली निगम ने छापेमारी करके जुर्माना लगाया था। लेकिन चोरी साबित न कर पाने पर निगम को जुर्माने की राशि लौटानी होगी।
पानीपत, जेएनएन। बिजली चोरी के एक मुकदमे में बिजली निगम फैक्ट्री संचालक से हार गया। चोरी साबित न कर पाने पर अदालत ने जुर्माने के रूप में वसूले गए 18 लाख रुपये फैक्ट्री मालिक को लौटाने का आदेश दिया।
चंदौली गांव स्थित अंडा रखने की ट्रे बनाने वाली फैक्ट्री में वर्ष 2013 में बिजली निगम ने छापा मारा था। बिजली चोरी का आरोप लगाते हुए 36 लाख का जुर्माना लगाया था। फैक्ट्री स्वामी ने 18 लाख रुपये जमा कराए। एडीजे कोर्ट में बिजली निगम केस हार गया। वादी ने जुर्माना को गलत बताकर सिविल वाद दायर किया। सिविल जज (जूनियर डिवीजन) देवेंद्र सिंह ने जमा धनराशि लौटाने के आदेश दिए हैं।
वादी पक्ष के वकील मोहम्मद आजम ने बताया कि बिजली निगम की टीम ने 18 नवंबर 2013 को बलराम पुत्र ज्ञानीराम की फैक्ट्री में छापेमारी की थी। बिजली चोरी का आरोप लगाते हुए 36 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। बलराज के पुत्र संदीप के खिलाफ करनाल स्थित थाना में मुकदमा दर्ज कराया था।
केस की सुनवाई तत्कालीन एडीजे राजेश कुमार भानखड़ की कोर्ट में हुई थी। कोर्ट ने 26 मार्च 2018 को निर्णय सुनाया कि फैक्ट्री में बिजली की चोरी साबित नहीं हुई है। बिजली निगम ने इस फैसले को हाई कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी। बलराज के पुत्र ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के यहां कनेक्शन जुड़वाने और जमा रकम लौटाए जाने की अपील करते हुए बिजली निगम के खिलाफ वाद दायर किया। इसमें निगम के एसडीओ और एक्सईएन को पार्टी बनाया गया था।
वकील के मुताबिक कोर्ट ने बिजली निगम को आदेश दिए हैं कि ऑर्डर की तारीख से तीन माह के अंतराल में 18 लाख रुपये लौटाए जाएं। वादी ने रकम ब्याज सहित लौटाए जाने की याचिका भी दायर की है।