Move to Jagran APP

यमुनानगर में डेयरी पर लॉकडाउन का असर, हर रोज लाखों का नुकसान झेल रहे संचालक

कोरेाना महामारी और लॉकडाउन की वजह से जहां उद्योगों को नुकसान हो रहा है वहीं डेयरी संचालक भी परेशान हैं। हर रोज लाखों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। लॉकडाउन की वजह से शादी समारोह भी ठप है ऐसे में इसका नुकसान भी डेयरी संचालकों को रहा है।

By Anurag ShuklaEdited By: Published: Tue, 18 May 2021 05:37 PM (IST)Updated: Tue, 18 May 2021 05:37 PM (IST)
यमुनानगर में डेयरी संचालकों को नुकसान हो रहा।

यमुनानगर, जेएनएन। इस बार लॉकडाउन में डेयरी संचालकों पर भारी पड़ रहा है। केवल सुबह आठ बजे से लेकर दोपहर 12 बजे तक की छूट मिली हुई है। जिससे डेयरी संचालकों को हर रोज लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। इस समय लॉकडाउन की वजह से शादी समारोह भी सादे तरीके से हो रहे हैं। इसलिए दूध की खपत नहीं हो रही है। मजबूरी में निजी प्लांट को ही डेयरी संचालक कम दामों पर दूध देने को मजबूर हैं। यमुनानगर से करनाल की मार्डन डेयरी में दूध जा रहा है। वह 27 से 28 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से जा रहा है। जबकि डेयरी संचालकों को किसानों से करार के मुताबिक, हर रोज 45 से 50 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से दूध लेना पड़ रहा है। शाम को डेयरी पूरी तरह से बंद रहती है। इसलिए शाम को भी खपत नहीं हो पाती।

loksabha election banner

जिले में करीब 100 डेयरियां हैं। जिन पर गांवों में किसानों से दूध एकत्र करने वाले दूधिए व कुछ किसान सीधे सप्लाई करते हैं। इनके साथ पूरे वर्ष का करार डेयरी संचालकों का होता है। जिसमें एक ही दाम तय होता है। यदि रेट कम या अधिक हो, तो उसको भी डेयरी संचालक को झेलना पड़ता है। एक दुकान पर कम से कम हर रोज एक क्विंटल दूध की खपत आसानी से हो जाती है। बड़ी डेयरियां पर अधिक खपत भी हो जाती है।

पनीर, खोया व अन्य प्रोडक्ट करते हैं तैयार 

डेयरी संचालक दूध से पनीर, खोया व अन्य प्रोडक्ट तैयार करते हैं। इसके साथ ही शहरी क्षेत्रों में काफी लोग इन डेयरियों से ही रोजाना दूध लेकर जाते हैं। शादी समारोह, कुल्फी विक्रेता भी इन डेयरियों से ही दूध मंगवाते हैं। अब लॉकडाउन की वजह से चाय की दुकानें, कुल्फी विक्रेताओं का काम भी बंद पड़ा है। शादी समारोह में भी गिनती के लोग आ रहे हैं। इसलिए खपत कम है। कुछ खपत हो भी जाए, तो उस पर शाम को डेयरी खोलने की अनुमति नहीं है। डेयरी संचालक अंग्रेज गाबा का कहना है कि गत वर्ष की तरह से शाम के समय भी डेयरी खोलने की छूट मिलनी चाहिए। इससे कुछ हद तक दूध की खपत हो सकती है। नुकसान कम होगा। इस समय हर रोज एक डेयरी संचालक से दस से 15 हजार रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है।

निजी प्लांट को बेचना पड़ रहा दूध :

डेयरी संचालकों को सुबह व शाम के समय दूध लेना पड़ रहा है। अब शाम को डेयरी न खुलने पर दूध के खराब होने का खतरा रहता है। दूध खराब न हो। इसलिए मजबूरी में औने पौने दामों पर निजी प्लांट को बेचना पड़ रहा है। इस समय जिले से करनाल के एकमात्र मार्डन डेयरी के प्लांट में दूध जा रहा है। हालांकि जिले में सरकारी वीटा डेयरी है, लेकिन यहां पर भी दूध नहीं लिया जा रहा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.